ड्रम सीडर से धान की बुवाई: समय और डीजल दोनों बचेंगे, पैदावार भी होगी अच्छी
अगर आप धान की खेती करना चाहते हैं और अभी तक (1 जुलाई) पौध (नर्सरी) तैयार नहीं की है तो कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि आप ड्रम सीडर मशीन से धान की बुवाई करें। इससे आप का समय, लागत बचेगी और फसल भी कुछ दिन पहले तैयार होगी।
Arvind Shukla 1 July 2021 12:27 PM GMT
धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है। धान की रोपाई 10 जून के बाद शुरु हो जाती है जो अमूमन अगस्त के पहले सप्ताह तक चलती है लेकिन अच्छी फसल वो मानी जाती है, जो जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक रोप दी जाए। इसके लिए 20-25 दिन पहले नर्सरी की जाती है। जिन किसानों की नर्सरी जुलाई के पहले हफ्ते तक भी तैयार नहीं है और वो धान लगाना चाहते हैं उन्हें कृषि वैज्ञानिक और कृषि जानकार ड्रम विधि से धान लगाने की सलाह देते हैं।
"ड्रम विधि से अगर कोई किसान इस वक्त धान बोता है तो कम से कम उसका 21 दिन का समय बच जाएगा। नर्सरी तैयार करने में जो डीजल लगेगा वो बचेगा और बाद में 10-15 दिन फसल में जो पानी देना होगा वो बचेगा। दूसरी बात अभी ड्रम विधि से बोएंगे तो आगे आलू या सरसों की फसल के वक्त खेत समय पर खाली जो जाएंगे। इस विधि में धान के पौधे में कल्ले ज्यादा निकलते हैं तो पैदावार भी अच्छी होती है।" कृषि वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं। डॉ. श्रीवास्तव कृषि विज्ञान केंद्र कटिया सीतापुर में पादप रक्षा वैज्ञानिक हैं। उनके केंद्र में ड्रम सीडर मशीन से धान लगाने को लेकर प्रदर्शन चलते रहते हैं।
ये भी पढ़ें- ड्रम सीडर से धान बुवाई करने से कम लागत में ज्यादा मुनाफा
ड्रम सीडर मशीन चार से 5 छोटे ड्रमों की एक हाथ से चलने वाली मशीन होती है। छोटे ड्रमों में अंकुरित बीज भरे जाते हैं। ड्रमों में बने छोटे-छोटे छेदों से धान के बीज एक कतार में खेत में गिरते जाते हैं। इस विधि में रोपाई धान की नर्सरी, रोपाई समेत कई तरह के खर्च बच जाते हैं। डीजल की बढ़ती महंगाई, मजदूरी और समय के बदले चक्र को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक या तकनीकी किफायती और आसानी से उपयोग में लाई जा सकती है।
केवीके कटिया के वैज्ञानिक (एग्रोनॉमी) डॉक्टर शिशिर कांत की अगुवाई में बृहस्पतिवार (1 जुलाई) को आसपास के किसानों को खेत में इस विधि से धान बोकर दिखाए गए। किसानों को उसके फायदे भी समझाए गए।
डॉ. शिशिर बताते हैं, "ड्रम सीडर मशीन से बुवाई में कई फायदे हैं। इसमें बीज भरने के लिए 4 प्लास्टिक के खोखले ड्रम लगे होते हैं जो कि एक बेलन पर बधे रहते हैं, बेलन के दोनों किनारों पर पहिए होते हैं। इसका व्यास लगभग 60 सेंटीमीटर तक होता है। प्लास्टिक के इन ड्रम में 2 पंक्तियों पर लगभग 8 से 9 मिलीमीटर व्यास के छेद बने रहते हैं ड्रम सीडर मशीन को खींचने के लिए एक हत्था भी लगा होता है। किसान जैसे-जैसे आगे बढ़ता जाएगा बीज बोते जाएंगे।"
धान की नर्सरी और ड्रम सीडर बुवाई में फर्क
धान की नर्सरी 21-25 दिन की होने के बाद खेत को तैयार करके धान की रोपाई की जाती है। ज्यादातर जगहों पर मजदूर हाथों से रोपाई करते हैं। उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में औसतन 8 से 9 मजदूर दिन भर में एक एकड़ खेत की रोपाई करते हैं।
डॉक्टर श्रीवास्तव ड्रम सीडर के फायदे बताते हुए कहते हैं, "औसतन 200-300 रुपए मजदूरी और मजदूरों का नास्ता पानी रखा जाए तो कम से कम एक एकड़ में 2000-2500 रुपए की सिर्फ रोपाई की लागत आती है। जबकि इस ड्रस सीडर विधि में 2 मजदूर 4-5 घंटे में ही एक एकड़ में रोपाई कर सकते हैं। तो इस तरह से श्रम और पैसा दोनों बचते हैं।"
ड्रम सीडर से बुवाई से पहले धान के क्षेत्र के अनूकूल बीजों को भिगो दिया जाता है। जिसके बाद उनके अंकुरित (सिर्फ अंखुआ निकले) होने पर उन्हें छायादार स्थान पर सुखा लिया जाता है। जिसके बाद खेत में पानी सूखने के बाद किसान बीजों को ड्रमों में भरकर आसानी से बुवाई कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें- 'पैडी ड्रम सीडर' से बुवाई बचत के साथ मुनाफे का सौदा
फार्म मशीनरी बैंक, केवीके या जिला कृषि अधिकारी से करें संपर्क
ये मशीन (paddy drum seeder) 4000-5000 रुपए की आती है। जो एक बार खरीदने में कई वर्षों तक काम करती है। इसके अलावा अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र पर संपर्क कर बुवाई के लिए ले सकते हैं। इसके अलावा कई जगहों पर किसानों को सरकार के द्वरा सब्सिडी के आधार पर मिली फॉर्म मशीनरी बैंक के लाभार्थी किसानों के यहां से भी किराए पर मिल सकता है।
डॉ. दया आगे कहते हैं, "पिछले कुछ वर्षों सें मौसम तेजी से बदला है। मई-जून में बारिश खूब हुई लेकिन रोपाई के वक्त नहीं हो रही है। मॉनसून 10-15 दिन आगे पीछे हो रहा है। इसे मोटे शब्दों में जलवायु परिवर्तन कह सकते हैं। ऐसे में किसानों के लिए बहुत जरुरी हो जाता है वो अपने इलाके की जलवायु के अनुकूल, अगली फसल कौन सी लेनी है उसके ध्यान में रखते हुए कम या ज्यादा दिनों में तैयार होने वील किस्मों का चयन करें। फसल जितने दिन खेत में रहेगी आपकी लगात लगेगी। इन सब को देखते हुए ड्रम विधि बेहतर है।"
ड्रम सीडर मशीन से बुवाई के लिए कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इन बातों का रखें ध्यान
1.जिस खेत में ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई करने जा रहे हैं उस खेत की मृदा को अच्छी तरह से तैयार कर लें बुवाई करने से पहले खेत में जमा अधिक पानी को निकाल देना चाहिए।
2.बीजों को कम से कम 10 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखें।
3.बीजों को हल्का अंकुरित होने दें इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अंकुरण ज्यादा ना होने पाए वर्ना ड्रम सीडर के छिद्रों से बीज सही मात्रा में नहीं गिरेंगे।
4.अंकुरित बीजों को ड्रम सीडर के ड्रमों में भरने से पहले लगभग 10 से 15 मिनट के लिए छायादार जगह पर सुखा लें।
ड्रम सीडर से बुवाई के लाभ (डॉ.शिशिर कांत, वैज्ञानिक एग्रोनॉमी, केवीके कटिया)
1.इस तकनीकी में धान की सीधी बुवाई की जाती है, जिससे की नर्सरी तैयार करने और रोपाई का खर्च बच जाता है।
2.सिंचाई कम करनी पड़ती है प्रति हेक्टेयर 40 मजदूरों की बचत होती है।
3.खरपतवार नियंत्रण में आसानी होती है
4.धान की फसल 7 से 10 दिन पहले तैयार हो जाती है
5.प्रति हेक्टेयर लगभग 8000 से 10000 रुपये तक की बचत संभावित होती है।
ये भी पढ़ें- गुजरात: ड्रिप इरीगेशन सिस्टम की मदद से कम पानी में धान की खेती कर रहा है किसान
#paddy #paddy farming #Paddy Field #story
More Stories