कोरोना का आर्थिक संक्रमण: मौसम के सताए किसान अब मंडी में घाटा उठाकर बेच रहे फसलें

Mithilesh Dhar | Mar 21, 2020, 15:22 IST
खराब मौसम की वजह से पहले से ही नुकसान झेल रहे किसानों को अब सरकारी कीमत के लिए जूझना पड़ रहा है। गेहूं, सरसों, कपास और दलहनी फसलों की कीमत मंडियों में एमएसपी से काफी नीचे चल रही है।
corona impact
मौसम की मार के बाद देश के किसानों को अब सही कीमतों के लिए जूझना पड़ रहा है। गेहूं, सरसों, कपास और दलहनी फसलों की कीमत मंडियों में सरकार की तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बहुत कम मिल रही है। ऐसे में भारी बारिश और ओलावृष्टि से नुकसान झेल रहे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।

आंध्र प्रदेश, अनंतपुर के गांव पुतलुर के किसान मुरली धर 20 मार्च को जब ताड़ीपत्री मंडी पहुंचे तो चना की कीमत 30,00 से 32,00 रुपए प्रति कुंतल के बीच थी। वे ट्रैक्टर से लगभग 25 कुंतल चना लेकर मंडी पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने आधा चना ही बेचा।

ऐसा उन्होंने क्यों किया, इस बारे में वे बताते हैं, "हमें कम से कम सरकारी रेट मिल जाये तो हम उतने में ही खुश हो लेते हैं, लेकिन मुझे तो एक कुंतल के बदले 3,100 रुपए मिल रहा था। अब इतना नुकसान सहकर चना कैसे बेचता, लेकिन इतनी मेहनत करके उपज मंडी लाया था तो बिना पैसे वापस नहीं जा सकता था। इसलिए आधा बेच दिया, आधा रोक लिया है, जब कीमत सही होगी तब बेचूंगा।"

344471-msp-price
344471-msp-price
आंध्र प्रदेश की मंडियों में चने की कीमत। रिपोर्ट- नाफेड

ऐसा नहीं है कि चने की कीमत के लिए बस आंध्र प्रदेश के ही किसान परेशान हैं। अच्छी कीमत की आस में बैठे अनंतपुर से लगभग 15,00 किमी दूर राजस्थान, चित्तौड़गढ़ के तहसील कपासन, गांव जितिया के किसान पप्पू जाट की भी उम्मीदें टूटी हैं।

वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "एक हेक्टेयर में चना लगाया था। पिछले साल 15 कुंतल पैदावार हुई थी, इस साल भी यही उम्मीद है, लेकिन इस साल रेट कम है। निंबाड़ा तहसील में पांच कुंतल चना 2,800 रुपए कुंतल के हिसाब से बेचा है, जबकि पिछले साल इस समय कीमत 36,00 से 38,00 रुपए प्रति कुंतल थी।"

चना की ही तरह मसूर, गेहूं, सरसों और कपास भी मंडियों में एमएसपी से काफी नीचे बिक रही हैं।

किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था लागू की गई है। अगर कभी फसलों की कीमत गिर जाती है, तब भी केंद्र सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल खरीदती है। इसके जरिये सरकार उनका नुकसान कम करने की कोश‍िश करती है। किसी फसल की एमएसपी पूरे देश में एक ही होती है और इसके तहत अभी 23 फसलों की खरीद की जा रही है।

मध्य प्रदेश के जिला शिवपुरी, तहसील खनियादाना के गांव राजापुर के किसान मोहन सिंह को 21 मार्च को लगभग 18,000 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। 30 कुंतल मसूर उन्होंने 4,200 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से बेचा जबकि मसूर की सरकारी दर यानी एमएसपी 4,800 रुपए प्रति कुंतल है। मतलब हर कुंतल के पीछे 600 रुपए का नुकसान। इससे पहले गुरुवार (17 मार्च) को उन्होंने 25 कुंतल मसूर 4,400 प्रति कुंतल की दर पर बेचा था। तब उन्हें प्रति कुंतल 400 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था।

344469-whatsapp-image-2020-03-21-at-44158-pm
344469-whatsapp-image-2020-03-21-at-44158-pm
मध्य प्रदेश के जिला शिवपुरी की कोलारस मंडी।

वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "मेरे जिले की मंडी कोलारस मेरे यहां से लगभग 50 किमी दूर है। एक बार ट्रैक्टर लेकर जाता हूं तो कम से कम 1,200 रुपए का खर्च आता है। मेरा खुद का ट्रैक्टर है इसलिए 1,200 ही लगता है। लगभग 2 हेक्टेयर में सोयाबीन भी लगाया था जो बारिश के बाद पूरी चौपट हो गई थी। मसूर की फसल अच्छी थी तो सोचा था कि अच्छा रेट मिलेगा, लेकिन ज्यादा तो छोड़िए, जो कीमत तय है उससे भी कम मिल रहा।"

चना की कीमत कम क्यों हैं, इसके लिए रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार चना का उत्पादन चालू रबी में बढ़कर रिकार्ड 112.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 99.4 लाख टन का उत्पादन हुआ था। चना की बुआई चालू रबी सीजन में पिछले साल के 95.89 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 106.40 लाख हेक्टयेर में हुई थी। नेफेड के पास चना का बकाया भी करीब 15.45 लाख टन का बचा हुआ है, इसमें 10 लाख टन रिजर्व है, जिसकी सप्लाई राज्य सरकारों को की जानी है।

"मैंने लगभग एक हेक्टयेर में चना लगाया है। आज जब (21 मार्च को) मंडी में कीमत पता किया तो एक कुंतल चने की कीमत 3,500 से 3,800 रुपए के बीच है। मेरा चना सात से आठ दिनों में कट जायेगा। लोग बता रहे हैं कि कीमत और नीचे जायेगी। मतलब इस सीजन में नुकसान बहुत ज्यादा बढ़ने वाला है।" मोहन आगे कहते हैं।

344470-whatsapp-image-2020-03-21-at-44159-pm
344470-whatsapp-image-2020-03-21-at-44159-pm
मसूर बेचने के बाद मोहन सिंह को मंडी से मिली रशीद। इसमें कीमत साफ देखी जा सकती है।

भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नाफेड) के अनुसार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तलेंगाना और राजस्थान की मंडियों में चने का आवक में तेजी शुरू हो गई है, जबकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे बड़े चना उत्पादक प्रदेशों में आवक की रफ्तार अभी धीमी है। इन प्रदेशों में चने की आवक में अप्रैल के दूसरे सप्ताह से तेजी आने की उम्मीद है।

नाफेड की रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तलेंगाना और राजस्थान की मंडियों में 20 मार्च तक 40,71 मीट्रिक टन चने की खरीदारी हुई है लेकिन कीमत तय एमएसपी 4875 से काफी कम अधिकतम 4,000 और कम से कम 2,000 रुपए प्रति कुंतल पर रही है।

कृषि व्यापार मामलों के विशेषज्ञ, विजय सरदाना का मानना है कि किसानों को अभी फसल बेचने से बचना चाहिए। वे बताते हैं, "अभी व्यापार की पूरी चैन रुकी हुई है। मांग और सप्लाई दोनों प्रभावित है। मंडी में बैठे व्यापारियों को पता है कि आज नहीं तो कल माल निकल ही जायेगा। ऐसे में वे किसी भी कीमत पर उपज खरीद रहे हैं और वे उससे फायदे में ही रहेंगे। किसानों को अभी सब्र बरतना चाहिए, क्योंकि जैसे ही कोरोना का असर खत्म होगा, कीमतों में तेजी आयेगी।"

मध्य प्रदेश, उज्जैन के गांव कच्ची नहरिया में रहने वाले किसान जावेद पटेल ने इस रबी सीजन में 40 बीघे में गेहूं और छह बीघे में चना लगाया था। वे बताते हैं, "चने की फसल में बहुत नुकसान हुआ है। पिछले साल इतने ही रकबे में 30 कुंतल चना पैदा हुआ था जो इस बार 7 कुंतल ही हुआ है। पौधे रोग के कारण खराब हो गये थे। ऐसे में गेहूं से उम्मीद थी लेकिन उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। 18 मार्च को देवास मंडी में 35 कुंतल गेहूं 1600 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से बेचा था। सरकारी रेट के अनुसार प्रति कुंतल 325 रुपए का नुकसान हुआ है।" कोरोना वायरस के चलते देवास मंडी को 31 मार्च तक बंद करा दिया गया है।

344472-gram-production
344472-gram-production
मध्य प्रदेश चना उत्पादन में देश का सबसे बड़ा राज्य है। कृषि मंत्रालय ने इस साल गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार 10.62 करोड़ टन होने की अनुमान जताया था। साल 2019 में देश में 10.36 करोड़ टन गेहूं पैदा हुआ था।

केंद्र सरकार ने चालू कपास सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए लंबे रेशे वाले कपास का एमएसपी 55,50 रुपए प्रति कुंतल और मध्यम रेशे के कपास का 52,55 रुपए प्रति कुंतल तय किया है। केंद्र सरकार भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सीसीआई) के माध्यम से कपास खरीदती है, जिसकी देशभर में 225 मंडियां हैं।

"मेरे पास लगभग 180 कुंतल कपास था। इसमें से अभी 20 कुंतल के आसपास रोककर रखा है। इससे पहले दिसंबर (2019) में 50 कुंतल कपास 48,00 रुपए के हिसाब से बेचा था। फिर जनवरी में सीसीआई को 52,00 रुपए बेचा था। लेकिन अभी चार दिन पहले (17 मार्च) कीमत अचानक से 42,00 रुपए प्रति कुंतल पर आ गई। कपास से इस सीजन में बहुत नुकसान हुआ है।"

नेमराज ने इस साल 18 एकड़ में कपास की खेती की थी। उनके घर से मंडी की दूरी कुल 12 किलोमीटर है।

344473-cotton
344473-cotton

वे बताते हैं, " एक गाड़ी (टाटा-407) को भरने में मजदूर 10,00 रुपए ले लेता है। इसके बाद मंडी में ले जाने के लिए 18,00 से 22,00 तक का किराया लग जाता है। फिर मंडी गाड़ी खाली करवाने में 400 रुपए खर्च हो जाता है। एक 407 गाड़ी में 28 कुंतल तक कपास आ जाता है। ऐसे में पूरे खर्च का हिसाब आप खुद ही लगा लीजिए। इसके बाद भी हमें सरकार की तय कीमत भी नहीं मिलती तो नुकसान और बढ़ जाता है।"

कपास की कीमतों में गिरावट की वजह कोरोना वायरस को बताया जा रहा है।

आयात-निर्यात विशेषज्ञ और मोलतोल डॉट इन के फाउंडर कमल शर्मा कहते हैं, "चीन से मिलने वाले ऑर्डर पूरी तरह से थम चुके हैं। जब तक कोरोना खत्म नहीं होता तब तक हालात सुधरने वाले नहीं हैं। मौजूदा सीजन में लगभग 20 लाख गांठ का ही निर्यात हो पाया है जबकि 25 से 30 लाख गांठ कपास का निर्यात होना और बाकी है। निर्यात रुकने की वजह से हमारे बाजारों में कपास की कीमत गिरी है।

Tags:
  • corona impact
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.