नहर, तालाबों के किनारे उगने वाली घास से बनाइए डीएपी-यूरिया से दमदार बायोचार खाद

Devanshu Mani Tiwari | Feb 07, 2018, 15:53 IST
जैविक खाद
अक्सर यह देखा जाता है कि जिन किसानों के खेत नहरों और तालाबों के किनारे होते हैं, उन्हें खेतों में तरह तरह की जंगली घासें अपनेआप उग जाने से दिक्कत होती है। अगर किसान इन घासों को उखाड़कर फेकने के बजाए इनसे बायोचार खाद बनाकर खेती में प्रयोग करें, तो किसान कृषि लागत को कई गुना कम कर सकते हैं और मिट्टी की सेहत को भी अच्छी बनाए रख सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के कृषि विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने खेतों की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है। बीएचयू में कृषि विज्ञान विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. साकेत कुश्वाहा बताते हैं, ''जंगली घास हो या फिर धान और मशरूम की फसल के मुख्य भाग की कटाई के बाद बचा हुआ हिस्सा, अधिकतर किसान उसे यूहीं फेक देते हैं। किसान अगर फसलों के बचे हुए भाग से बायोचार बना लें और इसे खाद की तरह इस्तेमाल करें, तो यह खेत की मिट्टी और फसल दोनो के लिए लाभकारी होता है।''

बायोचार खाद मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने में कारगर होता है, इसके साथ साथ यह मिट्टी में रासायनिक और जैविक गुणों को बढ़ा देता है। बायोचार लंबे समय तक मिट्टी की उत्पादन क्षमता को बनाए रखने में कारगर साबित होता है। इसके इस्तेमाल से मिट्टी की पानी रोकने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे फसल में नमी अधिक समय तक बरकरार रहती है, जो फसलों की पैदावार के लिए अच्छी मानी जाती है।

नालियों के किनारे उगने वाली घासों में पाए जाते हैं कार्बन और रासायनिक तत्व। ''किसान अपने खेतों की मिट्टी में रासायनिक तत्वों को कम करने के लिए डोलोमाइट और लाइम जैसे महंगे कैमिकल्स का प्रयोग करते हैं। लेकिन बायोचार खाद खेत की एसिडिक स्वायल और पीएच को नियंत्रित रखता है और मिट्टी को बांधता है, इससे फसल की पैदावार अच्छी होती है।'' डॉ. साकेत कुशवाहा ने बताया।

नेशनल ऑर्गेनिक फार्मिंग रिसर्च, इंस्टीट्यूट सिक्किम के मुताबिक बायोचार खाद धान की भूसी के अलावा जंगली घासों (Ageratum, Lantana, Chromolaena odarata, Bidens) से भी बनाया जा सकता है, जो ज़्यादातर नदियों, नहरों और तालाबों के किनारे बड़ी मात्रा में अपने आप उगती हैं। बायोचार खाद खेत की मिट्टी में कार्बन, लौह जैसे तत्वों को बढ़ाता है और मिट्टी की एसिडिटी मैनेजमेंट का काम बेहतर तरीके से करता है।

नेशनल ऑर्गेनिक फार्मिंग रिसर्च, इंस्टीट्यूट सिक्किम के कृषि विशेषज्ञ शाओन कुमार दास और आरके अवस्थी की स्वायल एसिडिटी मैनेजमेंट रिपोर्ट में यह बताया गया है कि प्राकृतिक घासों व खरपतवारों से बनी बायोचार खाद में बड़ी संख्या में लवणतायुक्त (हाइली एल्कैलाइन) तत्व पाए जाते हैं, जो मिट्टी में एल्यूमिनियम जैसे खतरनाक तत्वों को कम करने में कारगर होते हैं। बायोचार खाद का प्रयोग अगर केंचुआ खाद (कम्पोस्ट) के साथ किया जाए तो यह मिट्टी को तेज़ी से उपजाऊ बनाता है।

कैसे बनाए बायोचार खाद

बायोचार खाद को बनाने के लिए ज़मीन पर कुछ दूरी तक धान की भूसी, मशरूम के न प्रयोग होने वाले हिस्से, खरपतवार या जंगली घासों को बिछा दें। इसके बाद इस पर मिट्टी, गोबर व कम्पोस्ट डाल दें। इसके बाद इस पर केचुओं को डालकर इसे बोरे की मदद से ढक दें। 15 से 20 दिनों को बाद बोरे को हटा कर यह मिश्रण इकट्ठा कर लें और इसे खेत की मिट्टी में मिला दें। इसके बाद आप किसी भी फसल की खेती इस पर करें, आपको पहले से अधिक फसल की पैदावार मिलेगी।

Tags:
  • जैविक खाद
  • वर्मी कम्पोस्ट
  • Agriculture News

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.