ब्रिटेन के लोग चख सकेंगे बिहार की मशहूर शाही लीची का स्वाद
कृषि विभाग, बागवानी विभाग व एपीडा की मदद से लीची की पहली खेप ब्रिटेन निर्यात की गई है। यहां से पहली खेप के तहद 523 किलो लीची कल (24 मई) को भेजी गई है, जो मुजफ्फरपुर के बागों से ली गई है।
Divendra Singh 25 May 2021 2:02 PM GMT

जीआई प्रमाणित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए लीची को विदेश भेजा गया।
बिहार की शाही लीची का स्वाद अब ब्रिटेन के लोग भी चखेंगे। बिहार से शाही लीची की इस मौसम की पहली खेप हवाई मार्ग से ब्रिटेन को निर्यात की गई।
जीआई प्रमाणित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए लीची को विदेश भेजा गया। शाही लीची के निर्यात के लिए पादप-स्वच्छता प्रमाणन पटना में नव स्थापित प्रमाणन सुविधा से जारी किया गया। लीची की पहली खेप मुजफ्फरपुर के किसानों के बाग से ली गई है।
मुजफ्फरपुर के पुनास गाँव के लीची किसान प्रिंस कुमार (40 वर्ष) के पास लगभग 6 बीघा लीची की बाग है। उनके बाग की लीची भी ब्रिटेन भेजी गई है। प्रिंस कुमार बताते हैं, "पहली बार हमारे यहां से कहीं बाहर लीची भेजी गई है। यहां से पहली खेप में कल (24 मई) को 523 किलो लीची भेजी गई है। इस साल शुरुआत हुई है, आगे भी दूसरे देशों में लीची भेजी जाएगी।"
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के अनुसार, इस समय पूरे देश में लगभग 83 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लीची की खेती होती है। विश्व में चीन के बाद सबसे अधिक लीची का उत्पादन भारत में ही होता है। इसमें बिहार में 33-35 हज़ार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं। भारत में पैदा होने वाली लीची का 40 फीसदी उत्पादन बिहार में ही होता है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेशों में भी लीची की खेती होती है। अकेले मुजफ्फरपुर में 11 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं।
लीची जल्दी खराब होने वाला फल होता है, इसलिए प्रोसेसिंग के जरिए कई उत्पाद बनाकर भी विदेशों में भेज सकते हैं।
बिहार में जर्दालू आम, कतरनी चावल और मगही पान के बाद साल 2018 में शाही लीची को जीआई टैग मिला हुआ है। इस तरह से बिहार के चार कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिला है। शाही लीची के लिए जीआई पंजीकरण मुजफ्फरपुर स्थित लीची ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार को दिया गया।
बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, चंपारण, बेगूसराय जिले और आसपास के क्षेत्रों में शाही लीची की बागवानी के लिए अनुकूल जलवायु है।
Major boost to export of #GI certified products!
— Dept of Commerce, GoI (@DoC_GoI) May 25, 2021
1st consignment of Shai #Litchi from #Bihar was exported to United Kingdom. Shai #litchi is fourth agricultural products from Bihar to get GI certification.#AatmaNirbharBharat #AatmaNirbharKrishi
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बागवानी निदेशालय, बिहार के निदेशक नंद किशोर बताते हैं, "पहली बार लीची को किसी दूसरे देश को निर्यात किया जा रहा है। लीची जल्दी खराब होने वाला फल है, इसलिए अभी तक इसे दूसरे देशों तक नहीं भेजा जा रहा है। इससे पहले इससे बने उत्पाद ही भेजे गए थे। इस बार पहली बार लीची भेजी गई है, अगर सब ठीक रहा तो आने वाले साल में इससे बहुत से किसानों को फायदा होगा। हमने किसानों के समूह बनाए हैं, जिससे जुड़े किसानों की लीची को मार्केट देते हैं।"
चीन के बाद भारत विश्व में लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लीची भारत में एक टेबल फ्रूट के रूप में लोकप्रिय है। वहीं चीन और जापान में इसे सूखे या डिब्बा बंद रूप में पसंद किया जाता है। बिहार लीची के उत्पादन मामले में अव्वल है।
राज्य कृषि-निर्यात योजना तैयार करने में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), बिहार सरकार को सुविधा प्रदान कर रहा है, जो राज्य से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रोड-मैप प्रदान करेगा। राज्य कृषि-निर्यात योजना को अंतिम रूप देने के बाद मखाना, आम, लीची और अन्य फलों और सब्जियों की निर्यात क्षमता का उपयोग किया जा सकता है।
बिहार सरकार, एपीडा और अन्य एजेंसियों के सहयोग से सीमा शुल्क निकासी सुविधा, प्रयोगशाला परीक्षण सुविधा, पैक-हाउस और प्री-कूलिंग सुविधाएं, जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रयास कर रही है, जो राज्य की कृषि निर्यात क्षमता का उपयोग करेगा और उसे बढ़ावा देगा।
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