चीनी मिलों की स्थिति सुधारने के लिए केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान

गाँव कनेक्शन | Apr 01, 2018, 13:34 IST
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सरकार ने विपणन वर्ष 2017-18 के अंत तक 20 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दे दी है। यह कदम अतिरिक्त भंडार को कम करने तथा गन्ना किसानों को भुगतान के लिए चीनी मिलों की नकदी स्थिति सुधारने के लिए उठाया गया है। सरकार ने शुल्क मुक्त आयात अधिकार योजना (डीएफआईए) के तहत सितंबर 2018 तक सफेद चीनी के निर्यात को भी मंजूरी दे दी।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू विपणन वर्ष में 21 मार्च तक चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 13,899 करोड़ रुपए बकाया है। सर्वाधिक 5,136 करोड़ रुपए का बकाया उत्तर प्रदेश में है। इसके बाद कर्नाटक में 2,539 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र में 2,348 करोड़ रुपए का बकाया है। खाद्य मंत्रालय ने हालिया आदेश में चालू विपणन वर्ष के दौरान न्यूनतम सूचक निर्यात कोटा योजना के तहत हर श्रेणी के 20 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है।

2015-16 के अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, क्योंकि यह अनुमानित 145.39 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन का 41.28 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल 2.17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में बोई जाती है, जो कि अखिल भारतीय गन्ने की खेती का 43.79 प्रतिशत हिस्सा है।

महाराष्ट्र 2015-16 में गन्ने के 72.26 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है, जो कि अखिल भारतीय गन्ना उत्पादन का 20.52 प्रतिशत है। महाराष्ट्र की कृषि भूमि का क्षेत्रफल जहां गन्ने की कुल बुवाई 0.99 मिलियन हेक्टेयर पर की जाती है वह मोटे तौर पर काली मिट्टी से युक्त क्षेत्र है।

वर्ष 2015-16 में कर्नाटक 34.48 मिलियन टन गन्ना उत्पादन के साथ तीसरे स्थान पर आता है, जो कि देश के कुल गन्ना उत्पादन का लगभग 11 प्रतिशत है। राज्य की कृषि भूमि के 0.45 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र के कुल क्षेत्र पर गन्ने की बुवाई की जाती है। तमिलनाडु गन्ने का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कि 26.50 मिलियन टन गन्ना का अनुमानित उत्पादन करता है, जो कि देश के गन्ना उत्पादन का लगभग 7.5 प्रतिशत है। बिहार 14.68 मिलियन टन गन्ना के उत्पादन के साथ आता है – यह देश के गन्ना उत्पादन का 4.17 प्रतिशत है।

सरकार ने घरेलू कीमतों को स्थिर करने के लिए चीनी पर आयात शुल्क दोगुना बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा निर्यात शुल्क को समाप्त करने के साथ ही चीनी मिलों के भंडार की 2 महीने के लिए अधिकतम सीमा तय कर दी है। चालू विपणन वर्ष में 250 लाख टन की मांग की तुलना में 272 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है। देश में विपणन वर्ष 2016-17 में 203 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

(एजेंसियों से इनपुट के आधार पर)

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