भारत के कृषि उत्पादों का विदेश में बढ़ रहा बाजार, गैर बासमती चावल औऱ गेहूं निर्यात में भारी बढ़ोतरी

गेहूं, चावल के साथ ही मक्का समेत कई मोटे अनाजों के निर्यात में भारत में खासी बढ़ोतरी दर्ज की है। विदेश अनाज जाने का मतलब है कि देश में किसानों को उनकी फसल के अच्छे दाम मिल सकते हैं। गैर बासमती चावल के निर्यात में 136 फीसदी तो गेहूं के निर्यात में 774% की बढ़ोतरी हुई है।

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भारत के कृषि उत्पादों का विदेश में बढ़ रहा बाजार, गैर बासमती चावल औऱ गेहूं निर्यात में भारी बढ़ोतरी

2020-21 के दौरान कई नए देशों (पहली बार) को निर्यात किया गया गेहूं। ग्राफ- फराज, गांव कनेक्शन

नई दिल्ली। साल 2020-21 में चावल-गेहूं समेत दूसरे अनाजों के निर्यात में भारत में भारी बढ़ोतरी दर्ज की है। वर्ष 2020-21 में भारत ने 9 देशों को 1.53 लाख टन चावल (बासमती और गैर बासमती) का निर्यात हुआ है जबकि साल 2018-19 में 188 मीट्रिक टन और 2019-20 में ये मात्रा 197 मीट्रिक टन था। इसी तरह 2020-21 में 1.48 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया है जो 2019-20 में केवल 4 मीट्रिक टन थी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि भारत के अनाज के कुल निर्यात में 2020-21 में गैर-बासमती चावल के निर्यात में 136.04% की वृद्धि के साथ 4794.54 मिलियन अमरीकी डालर की तेज वृद्धि देखी गई है। गेहूं 774.17% बढ़कर 549.16 मिलियन अमरीकी डॉलर और अन्य अनाज (बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज) 238.28% बढ़कर 694.14 मिलियन अमरीकी डालर हो गए।

एपीडा ने साल 2021 में कई देशों में पहली बार आम, लीची भी निर्यात किए हैं। इनमें कई जगह ऐसी रही हैं जहां से पहली बार कोई उत्पाद विदेश भेजा गया है। एपीडा के मुताबिक विदेश में मिल रहे बाजार से किसानों और दूसरे स्टॉक होल्डर को (भागीदार) की इससे आय में वृद्दि होगी।

मंत्रालय ने ये भी कहा कि विदेशों या वहां के बाजारों में भारत द्वारा नए अवसरों की खोज के प्रयासों से अनाज के निर्यात का विस्तार करने के परिणाम सामने आने लगे हैं। 2020-21 में मुख्य रूप से चावल (बासमती और गैर-बासमती), गेहूं और अन्य अनाजों के निर्यात में भारी बढ़ोत्तरी का कारण निर्यात को बढ़ावा देने में विभिन्न हितधारकों-किसानों, मिल मालिकों, निर्यातकों और सरकारी एजेंसियों के बीच अच्छा आपसी तालमेल और सहयोग है।"

21 जून को जारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के बयान के मुताबिक एपीडा इस दिशा में लगातार नए अवसर तलाश रहा है। चावल (बासमती के साथ-साथ गैर-बासमती) निर्यात के मामले में भारत ने जब पहली बार नौ देशों-तिमोर-लेस्ते, प्यूर्टो रिको, ब्राजील, पापुआ न्यू गिनी, जिम्बाब्वे, बुरुंडी, इस्वातिनी, म्यांमार और निकारागुआ को गैर-बासमती चावल भेजा था तब निर्यात किए गए माल की मात्रा कम रही थी। इन नौ नए देशों को चावल के निर्यात की कुल मात्रा 2018-19 महज 188 मीट्रिक टन थी जो 2020-21 में बढ़कर 1.53 लाख टन तक पहुँच गयी है। साल 2020-21 में सबसे ज्यादा चावल (52225 मीट्रिक टन) तिमोर-लेस्टे और सबसे कम 299 मीट्रिक टन चावल म्यांमार को भेजा गया। तिमोर-लेस्टे को निर्यात पहली बार हुआ है। जबकि 2018-19 में सबसे ज्यादा चावल जिम्बांबे (145 मीट्रिक टन) को भेजा गया था। पिछले 3 वर्षों के निर्यात का चार्ट देखिए

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3 वर्षों में नए स्थानों में भारत से चावल का निर्यात

चावल के अलावा गेहूं ऐसी दूसरी फसल है जिसका भारत में प्रमुखता से उत्पादन होता है। नए देशों में गेहूं के निर्यात की बात करें तो भारत ने 2020-21 के दौरान सात नए देशों-यमन, इंडोनेशिया, भूटान, फिलीपींस, ईरान, कंबोडिया और म्यांमार को अनाज भेजा। पिछले तीन वित्तीय वर्षों में इन देशों में गेहूं की निर्यात बेहद कम मात्रा में था।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में इन सात देशों को केवल चार मीट्रिक टन गेहूं भेजा गया था जबकि इससे पहले 2018-19 में इन देशों को गेहूं नहीं भेजा गया था वहीं मौजूदा 2020-21 में यमन, इंडोनेशिया, भूटान, फिलीपींस, ईरान, कंबोडिया और म्यामार को 1.48 लाख टन गेहूं भेजा गया है। 2020-21 में सबसे ज्यादा गेहूं 86000 यमन गणराज्य को भेजा गया जबकि इन 7 देशों में सबसे कम म्यांमार (244 लाख टन) को भेजा गया। 2019-20 में सिर्फ इंडोनेशिया और फिलीपींस को मामूली मात्रा भेजी गई थी।

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नए देशों और स्थानों में कहां कितना भेजा गया गेहूं

सिर्फ चावल और गेहूं ही नहीं अन्य अनाजों के लिए भी भारत ने कई नए देशों में बाजार तलाशे हैं। भारत ने 2020-21 में सूडान, पोलैंड, बोलीविया, कोलंबिया, कांगो डी. गणराज्य और घाना में पर्याप्त मात्रा में अनाज भेजा है। जबकि 2018-19 में इन छह देशों को गेहूं या चावल के अतिरिक्त कोई अन्य अनाज का निर्यात नहीं किया गया था। वर्ष 2019-20 में चावल और गेहूं के अलावा केवल 102 मीट्रिक टन अनाज का निर्यात किया गया था, जो 2020-21 में बढ़कर 521 मीट्रिक टन हो गया। इन छह देशों/जगहों में इस दौरान सबसे ज्यादा अनाज 169 मीट्रिक टन सूडान को जबकि सबसे कम कांगो डी गणराज्य (31 मीट्रिक टन) भेजा गया।

कोविड की चुनौतियों का सामना कर बढ़ाया निर्यात

चावल के निर्यात में भारी बढ़ोत्तरी विशेष रूप से एक ऐसे चरण के दौरान जहां वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी ने कई वस्तुओं की आपूर्ति में बदलाव को बाधित कर दिया है, सरकार को सभी कोविड19 संबंधित सुरक्षा सावधानी बरतते हुए चावल और अन्य अनाज के निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए त्वरित उपाय करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष डॉ. मधयान अंगमुथु ने अपने बयान में कहा, "हमने कोविड19 द्वारा उत्पन्न परिचालन और स्वास्थ्य चुनौतियों के कारण सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के मामले में कई उपाय किए और यह सुनिश्चित किया कि कृषि उत्पादों का निर्यात निर्बाध रूप से जारी रहे।"

एपीडा मूल्य श्रृंखला में विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोग के माध्यम से चावल के निर्यात को बढ़ावा देता रहा है। सरकार ने एपीडा के तत्वावधान में चावल निर्यात संवर्धन फोरम (आरईपीएफ) की स्थापना की थी। आरईपीएफ में चावल उद्योग, निर्यातकों, एपीडा के अधिकारियों, वाणिज्य मंत्रालय और पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सहित प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों के कृषि निदेशकों का प्रतिनिधित्व है।

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