चावल, फल-सब्जियां, पोल्ट्री उत्पादों समेत भारत के कुल कृषि निर्यात में 22 फीसदी की बढ़ोतरी

एपीडा के उत्पादों का कुल निर्यात 2020 के अप्रैल-अगस्त के 6,485 मिलियन डॉलर की तुलना में 2021 के अप्रैल-अगस्त के दौरान बढ़कर 7,902 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। WTO के व्यापार मानचित्र के अनुसार, वर्ष 2019 में 37 बिलियन डॉलर के कुल कृषि-निर्यातों के साथ भारत विश्व रैकिंग में नौवें स्थान पर है।

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चावल, फल-सब्जियां, पोल्ट्री उत्पादों समेत भारत के कुल कृषि निर्यात में 22 फीसदी की बढ़ोतरी

कोरोना महामारी के बावजूद भारत के कुल कृषि निर्यात में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। पिछले साल की अपेक्षा भारत से विदेश जाने वाले कृषि उत्पादों में वृद्धि हुई है। एपीडा बास्केट में उत्पादों का निर्यात अप्रैल-अगस्त (2020-21) के 6,485 मिलियन डॉलर की तुलना में चालू वित्त वर्ष (2021-22) के पहले पांच महीनों के दौरान बढ़कर 7,902 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।

वाणिज्यिक सूचना तथा सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) द्वारा जारी त्वरित अनुमानों के अनुसार, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के उत्पादों के समग्र निर्यात ने 2021 के अप्रैल-अगस्त के दौरान डॉलर के हिसाब से पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 21.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।

कृषि ऊपज की निर्यात संभावनाओं को व्यापक रूप से बढ़ावा देते हुए, भारत ने 2021-22 (अप्रैल-अगस्त) में कृषि संबंधी तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में पिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में 21.8 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है।

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एपीडा के उत्पादों का कुल निर्यात 2020 के अप्रैल-अगस्त के 6,485 मिलियन डॉलर की तुलना में 2021 के अप्रैल-अगस्त के दौरान बढ़कर 7,902 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। डब्ल्यूटीओ के व्यापार मानचित्र के अनुसार, वर्ष 2019 में 37 बिलियन डॉलर के कुल कृषि-निर्यातो के साथ भारत विश्व रैकिंग में नौवें स्थान पर है।

चावल के निर्यात ने 13.7 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई और यह 2020 के अप्रैल-अगस्त के 3,359 मिलियन डॉलर की तुलना में 2021 के अप्रैल-अगस्त में 3,820 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। त्वरित अनुमानों के अनुसार, ताजे फलों तथा सब्जियों ने डॉलर के हिसाब से 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराई जबकि सीरियल्स प्रीपरेशंस जैसे प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों और विविध प्रसंस्कृत मदों के निर्यात में 41.9 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई। अप्रैल-अगस्त 2020-21 में, ताजे फलों तथा सब्जियों का निर्यात 1,013 मिलियन डॉलर के बराबर था जो अप्रैल-अगस्त 2021-22 में 1,075 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

भारत ने चालू वित्त वर्ष (2021-22) के पहले पांच महीनों के दौरान अन्य मोटे अनाजों के निर्यात में 142.1 प्रतिशत की उछाल दर्ज की जबकि मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 31.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। अन्य मोटे अनाजों का निर्यात अप्रैल-अगस्त 2020 के 157 मिलियन डॉलर की तुलना में अप्रैल-अगस्त 2021 में 379 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया तथा मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात अप्रैल-अगस्त 2020 के 1185 मिलियन डॉलर की तुलना में अप्रैल-अगस्त 2021 के दौरान 1554 मिलियन डॉलर तक जा पहुंचा।

काजू के निर्यात में अप्रैल-अगस्त 2021 के दौरान 28.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई जो अप्रैल-अगस्त 2020 के 144 मिलियन डॉलर की तुलना में अप्रैल-अगस्त 2021 में 185 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

वाणिज्य मंत्रालय के तहत कार्यरत एपीडा द्वारा की गई पहलों ने देश को ऐसे समय में यह उपलब्धि हासिल करने में सहायता की है जब अधिकांश व्यावसायिक गतिविधियों को कोविड 19 महामारी की दूसरी लहर आने के बाद लगाये जाने वाले प्रतिबंधों के कारण भारी झटका लगा था। कृषि संबंधी एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में यह वृद्धि विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनियों के आयोजन, भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी के द्वारा उत्पाद विशिष्ट तथा सामान्य विपनण अभियानों के माध्यम से कृषि संबंधी एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात संवर्धन के लिए एपीडा की विभिन्न पहलों के कारण संभव हो पाई है।

एपीडा ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ कृषि और प्रसंस्कृत उत्पादों पर और अमेरिका के साथ हस्तशिल्प सहित जीआई उत्पादों पर वर्चुअल तरीके से क्रेता-विता बैठकों का आयोजन करने के द्वारा भारत में पंजीकृत भौगोलिक संकेतकों (जीआई) वाले उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की है। एपीडा निर्यात की गई प्रमुख कृषि संबंधी कमोडिटीज के जीआई उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए संभावित आयातक देशों के साथ वर्चुअल क्रेता-विता बैठकों (वीबीएसएम) का आयोजन करने की पहल लगातार कर रहा है।

निर्यात किए जाने वाले उत्पादों का निर्बाधित गुणवत्ता प्रमाणन सुनिश्चित करने के लिए एपीडा ने उत्पादों तथा निर्यातकों के एक व्यापक रेंज को परीक्षण की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत भर में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है।

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