शहर की नौकरी छोड़ गाँव में बना रहे टोमैटो सॉस, साल की कमाई 30 लाख

Sushil SinghSushil Singh   4 Dec 2017 5:47 PM GMT

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शहर की नौकरी छोड़ गाँव में बना रहे टोमैटो सॉस, साल की कमाई 30 लाखशहर की नौकरी छोड़ गाँव में बना रहे टोमैटो सॉस, सालाना कमाई 25-30 लाख रुपए।

लंभुआ (सुलतानपुर)। रोजगार की तलाश में जहां गाँव के लोग शहरों की तरफ भाग रहे हैं वहीं कुछ लोग शहर से गाँव में आकर अपना काम कर लाखों रुपये कमा रहे हैं।

सुलतानपुर जिला मुख्यालय से लगभग 28 किमी. दूर लंभुआ ब्लॉक के प्रतापपुर कमैचा गाँव में लगी एक फैक्ट्री में टोमैटो और चिली सॉस बनाया जा रहा है। इसी फैक्ट्री के युवा मालिक मालिक नागेंद्र कुमार यादव जहां साल के 25-30 लाख रुपये कमा रहे हैं। वहीं 3 दर्जन से ज्यादा महिलाओं को प्रत्यक्ष रुप से रोजगार भी दिया है। वो सैकड़ों किसानों और ग्रामीण युवाओं के लिए उदाहरण बन गए हैं।

इस फैक्ट्री के मालिक नागेंद्र कुमार यादव (36 वर्ष) पिछले कई वर्षों से गुजरात और महाराष्ट्र में बड़ी कंपनियों में काम कर रहे थे लेकिन तीन साल पहले वो अपने घर लौटे और अपना काम शुरु कर दिया। हालांकि उनके शुरुआती दिन काफी मुश्किलों भरे रहे। बड़े-बड़े ब्रांड के मुकाबले उनके प्रोडक्ट की डिमांड काफी कम रही लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

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शुरुआत में तो बहुत परेशानी हुई कोई हमारा प्रोडक्ट लेना ही नहीं चाहता था। खुद मोटरसाइकिल पर लाद का दुकान जाता। पहले से बाजार में स्थापित कंपनियों के लोगों ने मुझे हटाने की भी कोशिश की। -
नागेंद्र कुमार यादव, टोमैटो सॉस फैक्ट्री के मालिक

इतना ही नहीं उनके घरवालों ने भी बड़े शहरों में अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर गांव आने का विरोध किया। वो बताते हैं, “जब घर वापस आया तो घर के लोगों को लगा मेरा फैसला गलता है। नौकरी छोड़ दी अब क्या करोगे। मैंने अपने ननिहाल में जमीन खरीदकर यहीं पर प्रोसेसिंग यूनिट लगा ली।”

लेकिन अब हालात बदल चुके हैं उनके ब्रांड को लोग पसंद करने लगे तो कारोबार कई गुना बढ़ गया। नागेंद्र की फैक्ट्री के चलते आसपास के कद्दू, टमाटर और आलू उगाने वालों काफी किसानों को भी फायदा हुआ है। कई किसान उनके लिए फसल उगाने लगे हैं। नागेंद्र फिलहाल अपने यूनिट से साल में 25-30 लाख रुपये कमा लेते हैं।

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टोमैटे प्रोडक्ट

लखनऊ में दो वर्षीय फूड प्रोसेसिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद नागेन्द्र कुमार यादव को गुजरात की एक बड़ी कंपनी में काम मिल गया। छह वर्षों तक गुजरात और महाराष्ट्र में नौकरी करने बाद उन्हें लगा कि अपने गाँव में ही कुछ करना चाहिए। नागेन्द्र बताते हैं, “कई साल बाहर-बाहर नौकरी के बाद मुझे लगा कि कब तक दूसरे के यहां नौकरी करते रहेंगे। अब अपना ही कुछ करना है। वापस अपने घर आ गया।”

आज उनके उत्पाद सुलतापुर जिले के अलावा प्रतापगढ़, अमेठी और जौनपुर जैसे कई जिलों में जाते हैं। उनके यहां आस पास के गाँव की 25-30 महिलाएं काम करती हैं, जिससे उन्हें भी रोजगार मिल रहा है। अब हर दिन उनके यहां से तीन सौ बोतल सॉस बनती है।

उनके पूरे संघर्ष में उनकी पत्नी मीना यादव (32 वर्ष) ने पूरा साथ दिया। मीना यादव आज भी दूसरी महिलाओं के साथ प्रोसेसिंग यूनिट में काम करती है। मीना इस बारे में बताती हैं, “शुरुआत में घर वालों ने भी हमसे नाता तोड़ लिया तब हम अकेले ही इसे संभालते थे। आज हम जितना भी ज्यादा कमा ले अपने काम नहीं छोड़ सकते हैं। सुबह चार बजे से रात दस बजे तक काम करना पड़ता है।”

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