क्या फिर रुलाएगी प्याज ? मंडी में 500 रुपए प्रति कुंतल तक बढ़ा दाम

Mithilesh DharMithilesh Dhar   6 Feb 2018 6:33 PM GMT

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क्या फिर रुलाएगी प्याज ? मंडी में 500 रुपए प्रति कुंतल तक बढ़ा दाममहंगा हो सकता है प्याज।

मंडी में प्याज की कीमत एक बार बढ़ रही है। ऐसे में अब ये भी आशंका है कि आने वाले समय में प्याज का दाम आपको एक बार फिर रुला सकती है। प्याज के निर्यात पर अंकुश हटते ही प्याज की कीमत 550 रुपए तक बढ़ गयी है। प्याज की गिरती कीमतों को रोकने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया था।

प्याज एक बार फिर आंसू निकालने वाला है। प्याज की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव में प्याज के भाव इस सप्ताह के पहले दो दिन में ही 550 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं। पिछले महीने प्याज के थोक भाव में करीब 60 फीसदी की भारी गिरावट आई थी। हालांकि खुदरा बाजार में ग्राहकों को इसका खास फायदा नहीं मिला था। पिछले महीने प्याज के दाम में करीब 60 फीसदी की गिरावट के बाद सरकार ने शुक्रवार को न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटाने का फैसला लिया जिसका असर महाराष्ट्र सहित देश की मंडियों पर साफ दिखा रहा है।

प्याज की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव में प्याज के दाम 550 रुपए बढ़कर 2,050 रुपए प्रति कुंतल हो गए। न्यूनतम भाव 500 रुपए प्रति कुंतल से बढ़कर 1,000 रुपए और अधिकतम मूल्य 1,740 से उछलकर 2,200 रुपए प्रति कुंतल हो गए। पिछले महीने प्याज के भाव में तेज गिरावट हुई थी। लासलगांव मंडी में 5 जनवरी को प्याज का औसत थोकभाव 3,540 रुपए प्रति कुंतल था और अधिकतम मूल्य 3,800 रुपए प्रति कुंतल बोला गया था। यहां से कीमतें गिरनी शुरू हुईं और 2 फरवरी को लासलगांव में प्याज का औसत भाव गिरकर 1,500 रुपए प्रति कुंतल हो गया, इसी दिन मंडी में प्याज 500 रुपए प्रति कुंतल तक बिका था।

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मुंबई के थोक बाजार में प्याज का औसत भाव 1,600 रुपए से बढ़कर 2,250 रुपए प्रति कुंतल हो गया। यानी मुंबई में प्याज के भाव महज एक दिन में 650 रुपए प्रति कुंतल बढ़ गए। थोकभाव में बढ़ोतरी होते ही खुदरा बाजार में भी प्याज का रंग बदल गया। पिछले सप्ताह मुंबई में प्याज के खुदरा दाम गिरकर 30 रुपए प्रति किलोग्राम तक हो गए जो आज 40 रुपए के ऊपर पहुंच गए। कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए एमईपी को हटाया गया है। कृषि मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के बीच हुई बैठक में अधिकारियों ने फैसला लिया था कि प्याज के दाम 2,000 रुपए प्रति कुंतल के नीचे आ जाते हैं तो एमईपी खत्म कर दिया जाएगा।

सरकार का मानना है कि किसानों को 7 से 15 रुपए प्रति किलोग्राम का भाव मिलना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि मंडियों में प्याज 2,000 रुपए के आस पास रहे। गौरतलब है कि नवंबर महीने में प्याज के दाम तेजी से ऊपर की ओर भाग रहे थे जिन पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्याज निर्यात पर 850 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया था। जिसे बाद में घटाकर 700 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था। शुरुआत में एमईपी दिसंबर 2017 तक लगाया गया था जिसे बाद में बढ़ाकर 20 जनवरी तक कर दिया गया था।

महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी है। देश के अन्य मंडियों में प्याज की कीमतों में उछाल आया है। एग्री मार्केट की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों की मंडियों में प्याज के दाम बढ़े हैं। इस बारे में दिल्ली आजादपुर मंडी के प्याज संघ के महासचिव राजेन्द्र शर्मा बताते हैं "पिछले सप्ताह जिस भाव में प्याज पहुंच गया था उस पर बेचना किसानों के लिए घाटे का सौदा था इसीलिए किसानों ने मंडियों में माल लाना कम कर दिया। सरकार के फैसले और आवक कम होने के कारण कीमतों में जोरदार तेजी हुई।

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फिलहाल महाराष्ट्र और गुजरात के कई हिस्सों में नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है इसलिए प्याज में बहुत तेजी की संभावना नहीं है। सरकार मानती है कि प्याज के दाम 2,000 रुपए प्रति कुंतल के आसपास रहे। जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। पिछले साल कीमतों में तेज बढ़ोतरी की एक प्रमुख वजह ज्यादा निर्यात भी रही। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में 34.93 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया जिसका मूल्य 4,651 करोड़ रुपए था। वर्ष 2017 में जनवरी से अक्टूबर तक 3,741 करोड़ रुपए का 27.72 लाख टन निर्यात हुआ।"

लखनऊ की थोक मंडी दुबग्गा के प्याज व्यापारी बाबू अतिक भाई कहते हैं "मंडी में प्याज का दाम 300 रुपए से ज्यादा तक बढ़ा है। लेकिन जब नयी प्याज की आवक बढ़ेगी तो कीमतें नीचे आएंगी। अभी तो दो दिन से दाम बढ़ ही रहा है।"

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार इस साल प्याज की पैदावार 2.14 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल (2016-17) में 2.14 करोड़ टन पैदावार हुई थी यानी इस बार प्याज की पैदावार करीब 4.5 फीसदी कम है। इस साल पैदावार की कमी की वजह पिछले साल प्याज की बुआई कम होना है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल 11.9 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्याज की बुआई हुई है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 8.4 फीसदी कम है।

  

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