150 रुपए किलो तक आखिर प्याज कैसे पहुंचा, क्या होगा अगले साल का हाल?

Arvind ShuklaArvind Shukla   4 Dec 2019 5:58 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
150 रुपए किलो तक आखिर प्याज कैसे पहुंचा, क्या होगा अगले साल का हाल?सरकार प्याज आयात तो कर रही लेकिन इससे राहत मिलने की उम्मीद कम है।

अरविंद शुक्ला /मिथिलेश धर दुबे

लखनऊ/नासिक। "नासिक की मंडियों में थोक (पिंपलगांव मंडी) में पुराना प्याज 7000 से 8500 रुपए प्रति कुंतल जबकि नया माल (प्याज) 5000 से 6000 रुपए प्रति कुंतल बिक रहा है। अभी नासिक का लोकल माल ही आ रहा है। प्याज ज्यादा महंगा इसलिए हो गया है क्योंकि नई फसल बारिश के चलते एक महीने करीब लेट हो गई है।" महाराष्ट्र में नासिक जिले की पिंपलगांव बसवंत मंडी के थोक कारोबारी नंदू नागरे फोन पर गांव कनेक्शन को आज (26 नवंबर) का रेट बताते हैं।

दिल्ली, लखनऊ और बंगलौर, कोलकाता समेत कई शहरों के अलावा भारत के ग्रामीण इलाकों में भी प्याज 120 से 150 रुपए किलो बिक रहा है। अगर थोक मंडियों में कीमतें 80 रुपए किलो तक पहुंचेंगी तो फुटकर में रेट और बढ़ सकते हैं। लेकिन इसका किसानों को क्या कितना फायदा मिल रहा है? ये पूछने के लिए गांव कनेक्शन ने नासिक में प्याज के उगाने वाले किसान पप्पू शिंदे से बात की।

"कांदा (प्याज) बहुत ऊपर जा रहा है। आने वाले दिनों में भी प्याज सस्ता होगा इसकी उम्मीद न के बराबर हैं क्योंकि किसान का पुराना प्याज (पिछले साल वाला) तो सड़ा ही। खेत की नई फसल भी 70 फीसदी से ज्यादा बर्बाद हो गई है। इसी बढ़ी कीमत के बावजूद किसान का फायदा नहीं है।" शिंदे बताते हैं। (वीडियो देखिए लातूर में क्यों किसानों ने फेंका प्याज)

भारत के सबसे बड़े प्याज उत्पादक इलाके नासिक के बड़े किसान पप्पू शिंदे, जिस वक्त गांव कनेक्शन से बात कर रहे थे उनके खेत में नई फसल के लिए प्याज की रोपाई हो रही थी, जबकि 4 एकड़ की फसल तैयार हो रही है अगले महीने मंडी जाएगी। नासिक में भारत की सबसे बड़ी प्याज मंडियां भी हैं। लालसगांव और पिंपलगांव बसवंत, जहां से देश में प्याज के रेट तय होते हैं। अक्टूबर के महीने में महाराष्ट्र में हुई भीषण बारिश के चलते प्याज की खेतों में तैयार हो रही फसल तो नुकसान हुआ ही है, पिछले साल की रखी फसल का बड़ा हिस्सा ज्यादा नमी से सड़ गया।

यह भी पढ़ें- किसान व्यथा: 80 पैसे प्रति किलो प्याज बेचा, अब खाने के लिए 80 रुपए में खरीद रहा

उधर की प्याज की बढ़ी कीमतों से परेशान लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने और प्याज आयात करने जा रही है। इससे पहले अफगानिस्तान से भी प्याज की खेप मंगाई जा चुकी है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ही 1.2 लाख टन प्याज आयात को मंजूरी दी है। जिसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी ने मिस्र से 6,090 टन प्याज आयात का अनुबंध किया है। इसे राज्यों को 52 से 60 रुपये किलो की दर पर दी जाएगी।

बेहतर रखरखाव न होने के कारण खराब हो रहीं खुली में रखी प्याज

राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) ने रबी सीजन में महाराष्ट्र और गुजरात से 57,373 टन प्याज की खरीद की थी, जिसमें से राज्य सरकारों को 26,372 टन प्याज का आवंटन किया जा चुका है, इसके अलावा करीब 11,408 टन प्याज खुले में बेचा गया है।

एमएमटीसी (खनिज तथा धातु व्यापार निगम लिमिटेड) दूसरों देशों से व्यापार करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। केंद्रीय मंत्रालय के बयान के मुताबिक आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंदाल, ओडिशा, सिक्किम और केरल पहले ही प्याज के लिए ऑर्डर कर चुके हैं। विदेश से आने वाले प्याज की मुंबई में कीमत 52-55 रुपए किलो होगी, जबकि दिल्ली में कीमतें 60 रुपए प्रति किलो रहेंगी। केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजिनक वितरण मंत्री राम विलास पासवन ने नवंबर महीने में ही एक लाख टन प्याज के आयात की घोषणा की थी। किसानों का कहना है पहले बारिश और अब बाहर से आने वाले प्याज से उपभोक्ताओं को भले राहत मिले लेकिन किसान को काफी नुकसान हो जाएगा।

यह भी पढ़ें- चार दिनों में 1500 रुपए प्रति कुंतल गिरीं प्याज की कीमतें

नवंबर महीने में भी महाराष्ट्र समेत पूरे देश में प्याज की कीमतें आसमान पर हैं, जबकि पिछले साल इसी महीने में महाराष्ट्र के किसान सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करने को मजबूर थे क्योंकि प्याज की कीमतें इतनी कम थीं कि उनकी लागत नहीं निकल पा रही थी।

वर्ष 2019 में प्याज की महंगाई की वजह 2018 का सूखा भी है। महाराष्ट्र में साल में दो बार प्याज की बुवाई होती है, पहले अगस्त फिर अक्टूबर-नवंबर में। अगस्त वाला प्याज नवंबर-दिसंबर में तैयार होता है जबकि नवंबर वाला मार्च-अप्रैल तक। पिछले साल सूखे के चलते किसानों के पास पानी की कमी थी और रेट भी कम मिल रहा था जिसके चलते बुवाई भी कम हुई। गांव कनेक्शन की टीम सितंबर महीने में नासिक, सांगली और पुणे समेत कई जिलों में गई थी, उस वक्त प्याज थोक में 30 से लेकर 50 रुपए किलो तक बिका था, उस दौरान कई किसानों ने बताया और दिखाया था कि कैसे बढ़ी कीमतों के बावजूद किसानों को उसका फायदा नहीं मिल रहा है, क्योंकि फसल बर्बाद हुई है।

नासिक जिले के सटाणा तालुका के बडाई भुई गांव के किसान गंगाधर गुंजाल कहते हैं, "ये जो प्याज बिक रहा है उसमें से ज्यादा पिछले साल की फसल है। लेकिन उसमें का बड़ा हिस्सा मौसम में लगातार नमी रहने से सड़ गया। दूसरा जुलाई-अगस्त में जो प्याज लगाया गया तो भारी बारिश हो गई, जिससे फसल बर्बाद हो गई। यहां तक की नवंबर के लिए जिन किसानों ने नर्सरी लगाई थी वो भी खराब हो हो गई है। तो जिस किसान के पास 100 कुंतल प्याज होना चाहिए था वो सिर्फ 30-35 कुंतल ही बेच पाया बाकी सड़ गया।'

किसानों को नहीं मिल पा रहा फायदा

बढ़े रेट से किसान को कितना फायदा मिल रहा है? इस सवाल के जवाब में किसान पप्पू शिंदे कहते हैं, "इस वक्त मार्केट में बिकने वाला ज्यादातर प्याज नया है। रेट भी ठीक है लेकिन सितंबर से लेकर अक्टूबर तक की भारी बारिश से 70 फीसदी प्याज सड़ गया है। एक एकड़ में 200-400 कुंतल प्याज निकलना चाहिए था, लेकिन निकल रहा है 30-50 कुंतल। अब रेट 100 भी होगा तो कियान को कितना फायदा मिलेगा।"

पप्पू शिंदे के मुताबिक एक एकड़ प्याज में 70 हजार रुपए की लागत आती है लेकिन निकल रहा है 20-30 कुंतल ही। अपने खेत में इस वक्त (नवंबर) में 15 एकड़ प्याज की रोपाई करवाने वाले शिंदे के मुताबिक ये प्याज मार्च-अप्रैल में निकलेगा अगर ऐसा ही रेट रहा तो किसान को फायदा होगा लेकिन प्याज होगा या नहीं ये सब मौमस पर निर्भर करता है।

भारत में महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, कर्नाटक, यूपी बिहार और राजस्थान के कुछ इलाकों में प्याज की बड़े पैमाने पर खेती होती है। इंदौर में पिछले साल किसानों को अपना प्याज 80 पैसे किलो तक में बेचना पड़ा था। तो इस बार खराब बारिश के बाद भी कई किसान लातूर में मंडी के बाहर मैदान में अपना प्याज फेंक गए, क्योंकि नमी के चलते उसमें अंकुरण हो गया था, जिससे खरीदने वाला कोई नहीं था।

10 नवंबर को गांव कनेक्शन की टीम लातूर पहुंची थी, इस दौरान थोक कारोबारी इलिसाय बागवान ने बताया कि मंडी में खराब माल ज्यादा आ रहा है। क्योंकि नई फसल निकलने वाली थी, उसी वक्त बारिश हो गई। जमीन का माल सड़ने लगा है। उसे कौन खरीदेगा? कई किसान 50 रुपए में पूरी बोरी (50 किलो) बेचकर जा रहे हैं क्योंकि बोरी में 75 फीसदी माल खरीब है।"

केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले दिनों कहा था कि जिन राज्यों में प्याज की पैदावार ज्यादा होती है वहां बेमौसम बारिश के कारण भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में चालू खरीफ सीजन में इसका असर देखने को मिलेगा उत्पादन में 25 से ज्यादा की गिरावट आ सकती है। उत्पादन 52.06 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ और लेट खरीफ में उत्पादन 69.91 लाख टन का हुआ था। फसल सीजन 2018-19 में प्याज के उत्पादन का अनुमान 234.85 लाख टन का था जोकि इसके पिछले साल के 232.62 लाख टन से ज्यादा ही था।

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.