ट्रे -एग्रीकल्चर और फूड प्रोसेसिंग तकनीक बढ़ा रही किसानों की आमदनी

Devanshu Mani Tiwari | Feb 05, 2018, 16:26 IST
Ministry of Food Processing Industries
फल और सब्जियों की खेती कर रहे किसानों के लिए अपनी फसल को सीधे तौर पर मंडी में बेच देने से अच्छा होता है उसका कोई उत्पाद बनाकर बाज़ार में बेचना। मध्य प्रदेेश में उज्जैन के कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से ग्रामीण महिलाओं और किसानों को फल न सब्जियों से प्रोसेस्ड फूड बनाकर उन्हें बाज़ार में ज़्यादा मुनाफे में बेचने की ट्रेनिंग दी जा रही है।

उज्जैन जिले में 3,500 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती की जाती है, जिले के किसान अब केवीके से ट्रेनिंग लेकर उन्हीं खेतों से दो गुना टमाटर का उत्पादन कर रहे हैं, जिनपर वो पहले खेती करते आए हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से मिले आधुनिक कृषि प्रशिक्षण की बदौलत जिले के कई गाँवों में किसान टमाटक प्रसंस्करण इकाई लगाकर टोमेटो केचअप बनाकर अच्छे दाम पर बेच रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र, उज्जैन में पिछले 10 वर्षों से किसानों को आधुनिक खेती का प्रशिक्षण दे रहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ. रेखा तिवारी बताती हैं, ''पहले उज्जैन के किसान टमाटर की पुरानी किस्में उगाते थे, हमने यहां पर किसानों को टमाटर की अच्छी किस्मों की खेती करने, नर्सरी बनाकर खेती करने, कीट प्रबंधन, पौध उगाने के लिए ट्रे का प्रयोग और पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर हमने जिले के तीन गाँवों में टमाटर से प्यूरी और कैचअप जैसे प्रोसेस्ड उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी है।''

गाँव में महिलाओं का समूह बनाकर दिया जा रहा टोमेटो कैचअप बनाने का प्रशिक्षण। मेक इन इंडिया के मुताबिक भारत दुनिया में फूड और फूड प्रोडक्टस के निर्यात में 12वें स्थान पर है। देश में फूड प्रोसेसिंस सेक्टर से अनाज मिलिंग, फलों और सब्जियों के प्रोसेस्ड उत्पाद, चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थ और डेयरी उत्पाद से संबंधित जुड़े उद्योग जुड़े हैं। भारत में मौजूदा समय में 37,000 से अधिक रजिस्टर्ड फूड प्रोसेसिंग यूनिट हैं।

केवीके उज्जैन से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2007 में जहां जिले में किसान टमाटर खेती में 150 कुंतल प्रति हेक्टेयर की उपज पाते थे, वहीं अब केवीके से प्रशिक्षण लेकर आज वही किसान 250 से 325 कुंतल प्रति हेक्टेयर टमाटर की उपज ले रहे हैं।

''मध्य प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी के कारण किसान अपनी फसल कम दामों पर बेचने को मजबूर थे। कृषि विज्ञान केन्द्र ने देवराखेड़ी, भेसोडा और कपेली गाँवों से एक-एक टमाटर उत्पादन समूह का चुनाव किया गया और हमने उन्हें टोमेटो कैचअप, सोयाबीन मिल्क, पनीर और छाछ तैयार करने का प्रशिक्षण भी दिया, इसके बाद उन्हें मार्केट में अपने प्रोडक्ट पर मिल रहा है।''

कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को प्रोसेस्ड फूड बनाने की ट्रेनिंग देने के अलावा उनकी बिक्री में भी किसानों की मदद कर रही है। केवीके किसानों के बनाए गए टोमेटो केचअप और दूसरे प्रोसेस्ड फूड को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर की मदद से बेचा भी जा रहा है। केवीके की मदद से दिए जा रहे इस प्रशिक्षण में अभी तक 500 से अधिक किसान जुड़ चुके हैं।

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