हिमालय की नीली भेड़ों की आंखों से बह रहे खून के कारण का पता चला, एनजीटी को उत्तराखंड सरकार का जवाब
Sanjay Srivastava | Feb 10, 2018, 16:58 IST
नयी दिल्ली। तकरीबन चार माह पूर्व एक समूह ने हिमालय की नीली भेड़ों (भरल) की आंखें बाहर निकली और उनसे खून बहता हुआ देखा। इसकी जानकारी होने पर अधिवक्ता गौरव बंसल ने एक याचिका दायर की, जिसमें संक्रामित जीवों को राष्ट्रीय उद्यान से किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर ले जाने का अनुरोध किया गया।
एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड प्रदेश जैवविविधता बोर्ड को नोटिस जारी कर नौ फरवरी से पहले जवाब मांगा।
उत्तराखंड वन विभाग ने अधिकरण की पीठ को बताया कि उसकी टीम चिकित्सकीय परीक्षण के लिए आंखों में संक्रमण के लक्षण वाले एक मेमने को लेकर आई, लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। विभाग ने अधिकरण को सौंपे अपने हलफनामे में कहा है, गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क की टीमों ने पिछले साल सितंबर, अक्तूबर और नवंबर में भरल को देखने के लिए नेलोंग, केदारताल और गौमुख घाटी का सर्वेक्षण किया।
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एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड प्रदेश जैवविविधता बोर्ड को नोटिस जारी कर नौ फरवरी से पहले जवाब मांगा।
इस पर उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क में हिमालय की नीली भेड़ों की आंखों में संक्रमण के लक्षण नजर आए और उन्हें चलने फिरने में दिक्कतें होती है।
ये भरल भेड़ें बेहद ऊंचाई वाले पहाड़ों में रहने वाली एक लुप्तप्राय प्रजाति हैं यह मुख्य रूप से भारत, नेपाल, तिब्बत, पाकिस्तान और भूटान में पाई जाती है। कई बौद्ध मठों ने आसपास के इलाकों में भेड़ों की रक्षा की है।
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प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए इंटरनेशनल यूनियन ने इस पशु को कम चिंता (एलसी) वाली सूची में रखा है ।
उत्तराखंड वन विभाग ने अधिकरण की पीठ को बताया कि उसकी टीम चिकित्सकीय परीक्षण के लिए आंखों में संक्रमण के लक्षण वाले एक मेमने को लेकर आई, लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। विभाग ने अधिकरण को सौंपे अपने हलफनामे में कहा है, गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क की टीमों ने पिछले साल सितंबर, अक्तूबर और नवंबर में भरल को देखने के लिए नेलोंग, केदारताल और गौमुख घाटी का सर्वेक्षण किया।
केदारताल के भुखरक इलाके में आंखों के संक्रमण के लक्षण वाले दो ही भरल मिले। इसमें से एक को इलाज के लिए लाया गया। इसमें कहा गया, इसलिए ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय पार्क के सीमित क्षेत्र में कुछ पशुओं में आंख की बीमारी हुई। हलफनामे में कहा गया कि देहरादून में भारतीय वन्यजीव संस्थान की एक दूसरी टीम ने राष्ट्रीय पार्क में 353 भरल को देखा इसमें पांच की आंखों में संक्रमण पाया गया।
इनपुट : भाषा
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