इन प्राथमिक उपचारों को अपनाकर बचा सकते है पशुओं की जान
Diti Bajpai | Sep 15, 2018, 10:42 IST
कई बार पशुओं को अचानक कोई बीमारी हो जाती है जिसका डॉक्टरों द्धारा तुंरत इलाज नहीं हो पाता है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे प्राथमिक उपचार बता रहे है, जिसको पशुचिकित्सक के आने तक कर सकते है ताकि आपके पशु की जान बच सके।
ज्यादा मात्रा में बरसीम खा लेने पर या बासी खा लेने पर यह अवस्था उत्पन्न हो जाती है। इस तरह के खाने से उत्पन्न गैस पेट के बाहर नहीं निकल पाती व पेट फूलने लगता है। इस स्थिति में पानी बिल्कुल नहीं देना चाहिए। अगर पेट फूलता ही जा रहा हो तो पशुचिकित्सक को खबर देनी चाहिए। इसके अलावा काला नमक 100 ग्राम, हींग 30 ग्राम, तारपीन का तेल 100 मिली. व अलसी का तेल 500 मिली. मिश्रण बनाकर पिला दें। इससे गैस बनना बंद हो जाएगा और आंतों में भी गति बढ़ेगी, इससे खाया हुआ भोजन जल्द बाहर आ जाता है।
बेल निकलना
पशुओं में कैल्शियम व फास्फोरस की कमी इस यह होता है। गाभिन पशु को 50-100 कैल्शियम ब्याने के 1-2 महीने पहले से देते रहना चाहिए, जिससे बेल निकलने की संभावना कम रहती है। इसमें खड़िया भी लाभप्रद होती है। अगर बेल निकल जाती है तो उसे डिटोल या लाल दवा से साफ करके हाथ के दबाव से अंदर कर देना चाहिए। अगले पैर नीचे स्थान पर व पिछले पैर ऊंचे स्थान पर रखने चाहिए, जिससे उस पर जोर कम पड़े। इसके साथ पशुचिकित्सक से तुंरत संपर्क करना चाहिए।
इस बीमारी से पशु के बाल गिरने लगते है और तेज खुजली में पशु अपना शरीर पेड़ से रगड़ने लगता है। लगातार खुजलाने से त्वचा छिल जाती है, जिससे खून का रिसना, फिर जमना और अंत में जीवाणु से दूषित होकर मवाद और पीव बन दिखाने को मिलता है। शरीर के ऊपर लाल चकत्ते हो जाते हैं। ऐसे में पशु को चूने और गंधक के पानी से नहलाया जा सकता है। चूने/गंधक का पानी 100 लीटर पानी में एक किलो बुझा हुआ चूना एक किलो गंधक मिलाकर तैयार किया जाता है।इसके अलावा आयुर्वेदिक दवा जैसे करंज, अलसी, देवदार और नीम का तेल प्रयोग किया जाता है।
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