बकरी के दूध को शहरों में मिल रहा बेहतर बाज़ार
Diti Bajpai | Jul 01, 2019, 10:07 IST
चिनहट (लखनऊ)। "पहले हम बकरी के दूध को नहीं बेचते थे, लेकिन अब इनके दूध को बेचकर महीने के चार-पांच हज़ार रुपए कमा लेते हैं, इससे न सिर्फ घर का खर्च निकल आता है, बल्कि दूध भी अच्छे दाम पर बिक जाता है साथ ही बकरा भी," ऐसा कहना है बकरी पालक बिंद्रा प्रसाद (55 वर्ष) का।
बिंद्रा प्रसाद जैसे छह बकरी पालकों को गैर सरकारी संस्था द गोट ट्रस्ट की ओर से बकरी के दूध को एक स्पेशल मार्केट देकर उनकी आय को बढ़ाने का काम रही है। साथ ही शहरों में रहने वाले लोगों को बकरी के दूध के लिए जागरूक भी कर रहे हैं। बिंद्रा प्रसाद लखनऊ से 25 कि.मी दूर चिनहट ब्लॉक के मदरपुर गाँव के रहने वाले हैं।
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बिंद्रा बताते हैं, "हम पास कुल 17 (बकरी/बकरे) हैं। यह सभी सिरोही नस्ल की हैं। इसमें से आठ-नौ बकरियों से तीन लीटर दूध पैदा होता है और एक लीटर दूध 35 रुपए में बिक जाता है। पहले गाँव में किसी को जरूरत होती थी तब या फिर दूधिया कम दाम में ले जाता था, लेकिन अब रोजाना पैसा मिल जाता है इससे घर का खर्च और बकरियों के चारा-दाना ले आते हैं।"
द गोट ट्रस्ट संस्था पिछले 12 वर्षों से बकरी पालन के प्रशिक्षण के साथ उसके दूध और उससे बने उत्पादों को बनाने और बाजार में बेचने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस संस्था से 18 राज्यों के 3 लाख बकरी पालक जुड़े हुए हैं।
संस्था के मार्केटिंग मैनेजर ऋतुराज सिंह बताते हैं, "अभी बकरी पालक सिर्फ मीट को बेचने में ही फोकस करते हैं क्योंकि दूध को बेचने के लिए उनके पास कोई बेहतर बाजार नहीं है। इसलिए हमने किसानों को एक बाजार दिया है। हमारे एजेंट सुबह पांच बजे उनसे दूध का कलेक्शन करते हैं और हम लोग उसे पाश्चराइज्ड करके शीशे की बोतल में भरते हैं और शहरों में बेच रहे हैं।"
हर पांच साल में होने वाली पशुगणना 2017 के मुताबिक पूरे भारत में बकरियों की संख्या 135.17 मिलियन है। वहीं नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन बकरी का दूध उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा गरीब किसानों के पास है।
"बकरी पालक एक बकरी या बकरे पर सात-आठ महीने खर्च करता है, तब जाकर उसको एक बार में पैसा मिलता है लेकिन दूध के साथ ऐसा नहीं है, दूध को बेचकर रोज कमा सकता है और वह उसके वैल्यू चैन में निवेश कर सकता है," ऋतुराज ने गाँव कनेक्शन को बताया, "जो किसान हमसे जुड़े हैं, उनको हम अच्छी सुविधाएं भी दे रहे हैं। मार्केट आगे बढ़ने पर हम और किसानों को भी जोड़ेंगे। हमारी पहली ऐसी संस्था है जो बकरी के दूध को ब्रांडेड तरीके से बेच रही है।"
मदरपुर गाँव में रहने वाले पवन कुमार भी बकरी के दूध को बेचकर अच्छा कमाई करते हैं। पवन कुमार बताते हैं, "पहले जो दूध होता था वह घर में ही प्रयोग हो जाता था, लेकिन अब जो दो लीटर दूध निकलता है उसको बेच देते हैं। महीने में इससे पैसे भी निकल आते हैं।" पवन के पास 12 बकरी और 2 बकरे हैं। तीन बकरियों से रोजाना तीन लीटर दूध का उत्पादन होता है।
भारत में बकरियों की 21 नस्लें हैं। इनमें कुछ ऐसी नस्लें जैसे जमुनापारी, बीटल और कई संकर नस्लें जिनसे रोजाना दो लीटर दूध का उत्पादन होता है। भारत में बकरियों की ऐसी कई नस्लें हैं, जो मांस और दूध दोनों के लिए उपयुक्त है।
द गोट ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी संजीव कुमार फोन पर 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "एक बकरी साल में दो बार बच्चा देती है। एक ब्यांत में सौ लीटर दूध (बच्चे को पिलाने के बाद) देती है। ऐसे में 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है। हम लोगों ने समुदाय बनाए हुए हैं जिनसे एक लीटर 40 रुपए में दूध खरीदते हैं। इससे उन्हें अच्छा बाजार मिला है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बकरी के दूध को स्पेशल मार्केट जरूरी है।"
बिंद्रा प्रसाद जैसे छह बकरी पालकों को गैर सरकारी संस्था द गोट ट्रस्ट की ओर से बकरी के दूध को एक स्पेशल मार्केट देकर उनकी आय को बढ़ाने का काम रही है। साथ ही शहरों में रहने वाले लोगों को बकरी के दूध के लिए जागरूक भी कर रहे हैं। बिंद्रा प्रसाद लखनऊ से 25 कि.मी दूर चिनहट ब्लॉक के मदरपुर गाँव के रहने वाले हैं।
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बिंद्रा बताते हैं, "हम पास कुल 17 (बकरी/बकरे) हैं। यह सभी सिरोही नस्ल की हैं। इसमें से आठ-नौ बकरियों से तीन लीटर दूध पैदा होता है और एक लीटर दूध 35 रुपए में बिक जाता है। पहले गाँव में किसी को जरूरत होती थी तब या फिर दूधिया कम दाम में ले जाता था, लेकिन अब रोजाना पैसा मिल जाता है इससे घर का खर्च और बकरियों के चारा-दाना ले आते हैं।"
जुड़े हैं तीन लाख बकरी पालक
संस्था के मार्केटिंग मैनेजर ऋतुराज सिंह बताते हैं, "अभी बकरी पालक सिर्फ मीट को बेचने में ही फोकस करते हैं क्योंकि दूध को बेचने के लिए उनके पास कोई बेहतर बाजार नहीं है। इसलिए हमने किसानों को एक बाजार दिया है। हमारे एजेंट सुबह पांच बजे उनसे दूध का कलेक्शन करते हैं और हम लोग उसे पाश्चराइज्ड करके शीशे की बोतल में भरते हैं और शहरों में बेच रहे हैं।"
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हर पांच साल में होने वाली पशुगणना 2017 के मुताबिक पूरे भारत में बकरियों की संख्या 135.17 मिलियन है। वहीं नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन बकरी का दूध उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा गरीब किसानों के पास है।
ब्रांडेड तरह से बेच रहे दूध
मदरपुर गाँव में रहने वाले पवन कुमार भी बकरी के दूध को बेचकर अच्छा कमाई करते हैं। पवन कुमार बताते हैं, "पहले जो दूध होता था वह घर में ही प्रयोग हो जाता था, लेकिन अब जो दो लीटर दूध निकलता है उसको बेच देते हैं। महीने में इससे पैसे भी निकल आते हैं।" पवन के पास 12 बकरी और 2 बकरे हैं। तीन बकरियों से रोजाना तीन लीटर दूध का उत्पादन होता है।
भारत में बकरियों की 21 नस्लें हैं। इनमें कुछ ऐसी नस्लें जैसे जमुनापारी, बीटल और कई संकर नस्लें जिनसे रोजाना दो लीटर दूध का उत्पादन होता है। भारत में बकरियों की ऐसी कई नस्लें हैं, जो मांस और दूध दोनों के लिए उपयुक्त है।