कैसे करें दुधारू पशुओं की देखभाल, पशुपालकों को मिली जानकारी

Divendra Singh | Jun 08, 2018, 12:12 IST
पशुओं के गोबर, मूत्र से वर्मी कंपोस्ट, वर्मी वास, नाडेप, जीवामृत आदि तैयार कर जैविक खेती करके आय बढ़ने के साथ ही मृदा उर्वरता को भी बढ़ा सकते हैं।
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पशुपालन को बढ़ावा देने व नवयुवकों की पशुपालन में सहभागिता बढ़ाने के लिए चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें युवकों को पशुपालन की पूरी जानकारी दी गई।

नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज फैजाबाद द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र पाँती अंबेडकरनगर द्वारा 5-8 जून तक दुधारू पशु पालन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम टांडा विकासखंड के ममरेजपुर गाँव मे आयोजित हुआ।

इस कार्यक्रम में क्षेत्र के कुल 25 किसानों ने भाग लिया। केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रवि प्रकाश मौर्य ने कृषकों को डेयरी व्यवसाय से जुड़कर अपनी आय बढ़ाने की सलाह दी। पशुओं के गोबर, मूत्र से वर्मी कंपोस्ट, वर्मी वास, नाडेप, जीवामृत आदि तैयार कर जैविक खेती करके आय बढ़ने के साथ ही मृदा उर्वरता को भी बढ़ा सकते हैं।

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भूमिहीन एवं सीमांत किसान के लिये डेयरी व्यवसाय उनके जीवनयापन का एक जरिया बन गया है। करीब सात करोड़ ऐसे ग्रामीण किसान परिवार डेयरी से जुड़े हुए हैं जिनके पास कुल गायों की 80 प्रतिशत आबादी है। भारत ने वर्ष 2016-17 में कुल 16 करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन किया। देश में 51 प्रतिशत उत्पादन भैंसों से, 20 प्रतिशत देशी नस्ल की गायों से , 25 प्रतिशत विदेशी नस्ल की गायों से से आता है।

पशुपालन वैज्ञानिक व प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. विद्यासागर ने प्रशिक्षण सत्र के दौरान अच्छे दुधारू नस्ल जैसे मुर्रा भैंस, गायों मे साहीवाल, सिंधी गिर, होल्सटीन फ्रीजियन, जर्सी को पालकर व उचित पोषण कर लाभकारी उत्पादन प्राप्त करने के विषय में विस्तार से चर्चा की। दूधारु पशुओ के उचित पोषण के लिए सूखे और हरे चारे के साथ ही 1.6 किलोग्राम संतुलित दाना हमेशा देने की सलाह दी।

केंद्र के कृषि प्रसार व पशुपालन वैज्ञानिक डॉ जे. डी. वर्मा ने पशु प्रबंधन पर जानकारी दी। साथ ही बरसीम, लोबिया, मक्का नेपियर, घास की उत्पादन तकनीक पर चर्चा की। किसानों को निशुल्क धान बीजउपलब्ध कराया गया। क्षेत्र के प्रविधिक सहायक विनोद कुमार ने सहयोग किया। ममरेजपुर गांव के कृषक रामलौट, राम चरण वर्मा के साथ साथ 25 पशुपालको व प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया।

पशुपालन योजनाओं का लाभ सीधे किसानों के घर तक पहुंचे, इसके लिए सरकार द्वारा एक नई योजना ''नेशनल मिशन आन बोवाइन प्रोडक्टीविटी'' अर्थात् ''गौपशु उत्पादकता राष्ट्रीय मिशन'' को शुरू किया गया है। इस योजना में ब्रीडिंग इन्पुट के द्वारा मवेशियों और भैंसों की संख्या बढ़ाने हेतु आनुवांशिक अपग्रेडेशन के लिए सरकार द्वारा 825 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। दुग्ध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करके डेयरी कारोबार को लाभकारी बनाने के लिए यह योजना अपने उद्देश्य में काफी सफल रही है।

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