वैज्ञानिक विधि से करें पशुओं के चारे का भंडारण
Diti Bajpai | Feb 28, 2018, 16:24 IST
पशुओं से ज्यादा दूध उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता होती है। इन चारों को पशुपालक या तो खुद उगाता है या फिर कहीं और से खरीदता है। चारे की फसल उगने का एक खास समय होता है जो कि अलग-अलग चारे के लिए अलग-अलग है।
चारे को ज्यादा हरी अवस्था में पशुओं को खिलाया जाता है। चारे की कमी से बचने के लिए पशुपालक पहले से ही चारे का भंडारण कर लेते है ताकि कमी के समय उसका प्रयोग पशुओं को खिलाने के लिए किया जा सके। लेकिन इस तरह से भंडारण करने से उसमें पोषक तत्व बहुत कम रह जाते है। इसी चारे का भंडारण यदि वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो उसकी पौष्टिकता में कोई कमी नहीं आती है।
हे बनाने के लिए घास को इतना सुखाया जाता है जिससे कि उसके नमी कि मात्रा 15-20 प्रतिशत तक ही रह जाए इससे जीवाणुओं की एन्जाइम क्रिया रुक जाती है, लेकिन इससे चारे की पौष्टिकता में कमी नहीं आती। हे बनाने के लिए लोबिया बरसीम, लूसर्न, सोयाबीन, मटर आदि। इसके अलावा ज्वार, नेपियर, जौ, बाजरा, आदि घासों का प्रयोग किया जा सकता है। लेग्यूम्स घासों में पाचक तत्व अधिक होते हैं तथा इसमें प्रोटीन व विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। दुग्ध उत्पादन के लिए ये फसलें बहुत उपयुक्त होती है। हे बनाने के लिए चारा सुखाना के लिए निम्नलिखित तीन विधियों में से कोई भी विधि अपनाई जा सकती है।
जब चारे की फसल में फूल आने लगते है तो उसे काटकर परतों में पूरे खेत में फैला देते हैं और खेतों में तब तक पलटते रहते हैं जब तक कि उसमें पानी की मात्रा लगभग 15 प्रतिशत तक न रह जाए। इसको इकट्ठा करके ऐसी जगह रखे जहां बारिश का पानी न आ सके। इस प्रक्रिया से पशुपालक चारे का भंडारण कर सकता है।
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इसमें चारे को काटकर 24 घण्टों तक खेत में पड़ा रहने देते हैं। इसके बाद इसे छोटी-छोटी ढेरियों अथवा गट्ठरों में बांध कर पूरे खेत में फैला देते हैं। इन गट्ठरों को बीच-बीच में पलटते रहते हैं, जिससे नमी की मात्रा घट कर लगभग 18 प्रतिशत तक हो जाए।
जहां भूमि अधिक गीली रहती हो और जहां बारिश अधिक होती हो ऐसे स्थानों पर खेतों में तिपाइयां गाढ़कर चारे की फसलों को उन पर फैला देते हैं। इस प्रकार वे भूमि के बिना संपर्क में आए हवा व धूप से सूख जाती है। कई स्थानों पर घरों की छत पर भी घासों को सुखा कर हे बनाया जाता है।
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चारे को ज्यादा हरी अवस्था में पशुओं को खिलाया जाता है। चारे की कमी से बचने के लिए पशुपालक पहले से ही चारे का भंडारण कर लेते है ताकि कमी के समय उसका प्रयोग पशुओं को खिलाने के लिए किया जा सके। लेकिन इस तरह से भंडारण करने से उसमें पोषक तत्व बहुत कम रह जाते है। इसी चारे का भंडारण यदि वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो उसकी पौष्टिकता में कोई कमी नहीं आती है।
घास को सुखाकर रखना (हे बनाना)
चारे को परतों में सुखाना
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चारे को गट्ठरों में सुखाना
चारे को तिपाई विधि से सुखाना
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