पहले नशे के नुकसान को समझा फिर सैकड़ों लोगों ने इससे किया तौबा

यूपी के दस जिलों में चलने वाले इस नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम की सुखद तस्वीर ये रही कि कई ग्रामीणों ने नशे की बुरी लत को छोड़ने का भरोसा दिलाया।

Neetu SinghNeetu Singh   25 Oct 2019 7:25 AM GMT

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पहले नशे के नुकसान को समझा फिर सैकड़ों लोगों ने  इससे किया तौबाये हैं कानपुर जिले के श्रीराम कठेरिया जिन्होंने कार्यक्रम के दौरान नशा छोड़ने का भरोसा दिलाया

लखनऊ। "मैं मजदूर आदमी हूँ जितना रोजाना कमाता हूँ कभी आधा तो कभी पूरा पैसा नशे में खर्च कर देता हूँ। चिलम, गांजा, शराब, पुड़िया, बीड़ी सिगरेट कोई नशा बकाया नहीं जो मैं करता न हूँ। पर आज मैं इस कार्यक्रम में सभी के सामने कसम खाकर कहता हूँ कि आज से कोई भी नशा नहीं करूँगा।" ये बात नशामुक्त जागरूकता कार्यक्रम में श्रीराम कठेरिया ने सभी के सामने आत्मविश्वास से कही।

नशे की बुरी लत से हर साल खत्म होती लाखों जिंदगियों को बचाने के लिए गाँव कनेक्शन फाउंडेशन और राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस) के साझा प्रयास से यूपी के 10 जिलों में 10 नशामुक्त जागरूकता कार्यक्रम किये गये। लखनऊ के कपासी गाँव में 10 अक्टूबर 2019 से शुरू हुआ ये अभियान 23 अक्टूबर 2019 को कन्नौज जिले के उमर्दा ब्लॉक सभागार में समापन किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक करना था कि वो नशे के दुष्प्रभाव समझे इसका सेवन न करें और आने वाली पीढ़ी को नशे की इस बुरी लत से दूर रखें।

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ग्रामीणों ने हाथ ऊपर करके नशा छोड़ने का किया वादा

इस नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम की सुखद तस्वीर ये रही कि कार्यक्रम के दौरान कई लोगों ने नशा छोड़ने का भरोसा दिलाया। जिसमें श्री राम कठेरिया एक थे। श्रीराम कठेरिया कानपुर जिले के बिधनू ब्लॉक के रमईपुर गाँव के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा, "घरवालों ने नशा करने के लिए मना तो बहुत बार किया पर किसी की बात मानी नहीं। जबसे मैं नशा कर रहा हूँ कभी इस तरह के कार्यक्रम में गया नहीं। पहली बार आया हूँ यहाँ जो बातें बताई गईं उसे सुनकर मुझे अन्दर से लगा कि मुझे नशा छोड़ देना चाहिए।" इनकी तरह ही सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक के नेरी गाँव में कार्यक्रम में आये एक युवा अमरीश कुमार (32 वर्ष) ने कहा, "मैं गुटका और बीड़ी का नशा करता हूँ लेकिन आज इस कार्यक्रम को देखने के बाद मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं आज से नशे की इस लत को छोड़ दूं। दूसरों को भी इस बात की जानकारी दूंगा कि वो नशा छोड़ दें।"

गाँव कनेक्शन फाउंडेशन और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस के साझा प्रयास से संपन्न हुए नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य भी यही था कि लोग नशे के दुष्प्रभाव को समझें और इस बुरी लत को छोड़ दें। साथ ही युवा, शिक्षक और माता-पिता इस विषय पर बातचीत करें। साथ ही आने वाली पीढ़ी को नशामुक्ति रहने के लिए प्रेरित करें। यूपी के 10 जिलों में लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, रायबरेली, कानपुर, उन्नाव, अलीगढ़, एटा, हरदोई और कन्नौज में ये जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गये। ये कार्यक्रम सुदूर गाँव में उन लोगों के बीच भी किये गये जो खूब नशा करते हैं और जहाँ कच्ची शराब खुलेआम घरों में बनती और मिलती है। अलीगढ़ जिले के जिस सांकरा गाँव में ये कार्यक्रम हुआ वहां 50 फीसदी घरों में कच्ची शराब बनती है और 90 फीसदी लोग नशा करते हैं।

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कन्नौज जिले के युवा नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम को ध्यान से सुनते हुए

कन्नौज जिले के उमर्दा ब्लॉक सभागार में इस नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम के समापन के दौरान तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के मनोवैज्ञानिक महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, "तम्बाकू खाने से रोजाना हमारे देश में 2700 लोग मर जाते हैं। हर साल मरने वालों की संख्या 10 लाख है। तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में हानिकारक है। इसके सेवन से मुंह से दुर्गन्ध, बाल झड़ना, हार्ट अटैक, टीबी, लकवा जैसी कई बीमारियाँ हो जाती हैं।"

अगर आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया में हर 6 सेकंड में 1 मौत तंबाकू सेवन की वजह से होती है। तंबाकू में कई केमिकल होते हैं, जिनमें निकोटिन प्रमुख है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार (2015-2016) की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में प्रतिदिन 5500 से ज्यादा युवा तम्बाकू का सेवन शुरू करते हैं जबकि देश में प्रतिदिन 3500 से ज्यादा लोगों की इससे मौत होती है। भारत में कैंसर से मरने वाले 100 में से 40 रोगी तम्बाकू के प्रयोग के कारण मरते हैं। लगभग 95 प्रतिशत मुँह के कैंसर तम्बाकू के सेवन करने वाले व्यक्तियों में होते हैं। वर्ष 2015 में धूम्रपान से 65 लाख लोगों की मौत हुई है। तम्बाकू के सेवनकर्ता प्रतिवर्ष 22 प्रतिशत बढ़ रहे हैं। सेकेण्ड हैण्ड स्मोक के कारण प्रतिवर्ष छह लाख प्रत्यक्ष और एक करोड़ लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (NCB) के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर दिन 10 लोग नशे की वजह से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं।

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सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक में उपजिलाधिकारी महोली शशिभूषण रॉय ने जागरूकता कार्यक्रम की सराहना की.

सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक में कार्यक्रम के दौरान उपजिलाधिकारी महोली शशिभूषण रॉय ने कहा, "गाँव स्तर पर इस तरह नशामुक्त जागरुकता कार्यक्रम करने से युवाओं में जागरूकता फैलेगी। आज का युवा नशा में बहुत ज्यादा लिप्त है उसे जागरूक करने की जरूरत है। मुझे भरोसा है अगर इस तरह के नशा मुक्त जागरूकता कार्यक्रम होते रहे तो निश्चित तौर पर एक दिन सीतापुर जिला आप सभी के प्रयासों से पूरी तरह से नशामुक्त हो जाएगा।" वहीं एटा जिले के मारहरा सिटी इंचार्ज मनोज कुमार ने बताया, "हमारे यहां रोजाना शराब पीकर लड़ाई-झगड़े के 5,6 केस शाम को जरूर आते हैं। हम उनकी चाहें जितनी कॉउंसलिंग करें लेकिन लोगों में कोई सुधार नहीं होता। अगर इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम नियमित होते रहें तो लोगों में जागरूकता जरुर आयेगी।"

वहीं हरदोई जिले में नशामुक्त कार्यक्रम के दौरान बदलाव की वो कहानियाँ साझा की गईं जिन्होंने नशे की बुरी लत को छोड़ दिया है। इन कहानियों को सुनकर कई ग्रामीणों ने हाथ उठाकर ये वादा किया कि वो नशा करने की इस बुरी आदत को छोड़ देंगे। इन कार्यक्रमों में ग्रामीणों को गाँव कनेक्शन फाउंडेशन की टीम, नुक्कड़ नाटक, जादूगर, वीडियो, प्रेरक कहानियों के द्वारा जागरूक किया गया।


रायबरेली के सीओ आबकारी अधिकारी के.पी. पाण्डेय ने अपने सम्बोधन में कहा, "मुझे गाँव की गरीब जनता को कच्ची शराब बनाने के लिए गिरफ्तार करना उनपर मुकदमा करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता। मैं लोगों की मजबूरी समझता हूँ कि वो रोजगार के लिए ऐसा करते हैं पर उन्हें ये समझाता हूँ कि शराब बनाने के अलावा रोजी-रोटी का दूसरा भी कोई तरीका अपना सकते हैं। कई दिनों तक जेल में बंद रहने के बाद लोग छूटकर आते फिर से यही काम शुरू कर देते। उनमें कोई सुधार नहीं होता। इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम नियमित करने की जरूरत है जिससे धीरे-धीरे सुधार जरुर होगा।"

एटा जिले के मारहरा में क्रायक्रम में आये मुख्य अतिथि चेयरमैन परवेज जुबैरी ने कहा, "यहां पर शराब सबसे ज्यादा मजदूर तबके के लोग पीते हैं। नगर पालिका में जितने भी सफाईकर्मी काम करते हैं उसमें से 90 फीसदी लोग खूब शराब पीते थे। पिछले तीन-चार साल इन्हें लगातार समझाया अब केवल 10 प्रतिशत लोग ही शराब पीते हैं।" ये बातें बदलाव की वो तस्वीर थीं जो वहां के लोगों ने बनाई थी।

इस नशामुक्त कार्यक्रम में आबकारी विभाग के अधिकारी, पुलिस प्रशासन, डॉक्टर, खंड विकास अधिकारी, नशामुक्त सलाहकार, ग्राम प्रधान और हजारों ग्रामीणों ने हिस्सा लिया।

   

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