किसान आंदोलन: किसान नेताओं और सरकार के बीच पांचवें दौर की बैठक भी नतीजा, 9 दिसंबर को अगली मीटिंग

मीटिंग के दौरान जहां सरकार कानूनों में संशोधन की बात कर रही थी, वहीं किसान नेता कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहें। बैठक के दौरान किसानों ने 'Yes' या 'No' का प्लाकार्ड भी दिखाया।

shivangi saxenashivangi saxena   5 Dec 2020 1:56 PM GMT

नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर सिंघु बॉर्डर पर पिछले 10 दिन से जमे किसान संगठन शनिवार को सरकार के साथ एक बार फिर मीटिंग के लिए बैठे। हालांकि पांचवें दौर की यह बैठक भी बेनतीजा रही। अब अगले दौर की बैठक 9 दिसंबर को होगी। किसान संगठनों ने इससे पहले 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया।

बैठक के दौरान किसान नेताओं ने आज फिर सरकार द्वारा व्यवस्था किए गए लंच को ठुकरा दिया और गुरूद्वारा सीसगंज साहिब से आए लंगर का खाना खाया। लंच के बाद दूसरे राउंड के बैठक में किसान नेता प्ला कार्ड लेकर बैठ गए। वे 'Yes' या 'No' का प्लाकार्ड लेकर बैठे थे, जिसका मतलब था कि सरकार या तो कानूनों को रद्द करे या हमें फिर नहीं कर दे ताकि हम अपना आंदोलन अगले स्तर तक ले जा सके। इस दौरान किसान नेताओं ने एक घंटे तक मौन भी रखा। इसके बाद सरकार ने 9 तारीख को अगले बातचीत का समय दिया। छठवें दौर की बैठक 9 दिसंबर को सुबह 11 बजे से होगी। सरकार का कहना है कि वह किसानों के प्रस्ताव पर कैबिनेट में विचार करना चाहती है।

किसान नेताओं साथ हुई बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "मोदी सरकार किसान हित के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार किसानों के हित में काम करेगी। उन्होंने कहा कि एमएसपी जारी रहेगी एपीएमसी में सरकार रखल नहीं देगी। किसानों के सभी पहलुओं पर विवार करेंगे।"

उन्होंने आगे कहा कि आज की बैठक के बाद हम उम्मीद करते हैं कि किसान नेता कुछ सुझाव भेजेंगे। सरकार जो कुछ भी करेगी, वह किसान हित में ही होगा। कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से आंदोलन में शामिल बुजुर्ग और बच्चों को वापस घर भेजने की भी अपील की है।


किसानों के साथ बैठक में शामिल केंद्रीय कृषि मंत्री, साथ में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल


बीते 26 नवंबर से जारी किसान आंदोलन के बीच किसान नेताओं और सरकार में लगातार वार्ता चल रही है। सरकार की तरफ से यह पूरी कोशिश है कि यह गतिरोध जल्द से जल्द खत्म किया जाए, हालांकि सरकार इन कानूनों को वापस लेने की मंशा में नहीं दिख रही है। वहीं किसान नेता लगातार इन तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की निश्चितता के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि इसके बिना वे सड़कों से वापस नहीं हटेंगे। किसान नेता तीन कृषि बिलों समेत कुल आठ मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, जिसमें कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी प्रमुख मुद्दा है।

किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। देश भर के 500 किसान संगठनो की 'किसान संयुक्त मोर्चा' की सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। इस दिन किसान संगठन पूरे भारत में चक्का जाम करेंगे और सभी टोल प्लाजा भी बंद करवाएंगे।

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