कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध और बढ़ा, सरकार का प्रस्ताव ख़ारिज, किसान आंदोलन को लेकर ये बड़ा ऐलान

जानिए सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद किसान नेताओं ने क्या कहा?

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

किसान आंदोलन की अगुवाई कर रही किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए दस सूत्रीय प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और आंदोलन को देश भर में तेज करने की चेतावनी दी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि सरकार अपनी पुरानी बातों को ही गोल-गोल घुमा रही है। जो बातें सरकार की तरफ से पहले से की जा रही थी, उसे फिर से दोहराया जा रहा है। हम लगातार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और उस पर ही काबिज हैं। बिना कृषि कानूनों के रद्द करने और एमएसपी गारंटी कानून बनाने के बगैर आंदोलन को समाप्त नहीं किया जाएगा।

अपनी आगे की रणनीतियों को साझा करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के अहम सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने गांव कनेक्शन को बताया कि सरकार द्वारा जारी किए गए 10 सूत्रीय प्रस्तावों पर सिंघु बॉर्डर पर देश भर के किसान नेताओं की बैठक हुई, जिसमें सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से सरकार के प्रस्तावों को सिरे से खारिज कर दिया।

अभिमन्यु ने बताया कि अब आंदोलन को और तेज किया जाएगा व 12 तारीख को पूरे देश भर के टोल प्लाजा को मुक्त किया जाएगा। अंबानी-अडानी और अन्य उद्योगपतियों के प्रतिष्ठानों, जियो सिम का बहिष्कार किया जाएगा और बीजेपी नेताओं, मंत्रियों और जिला कलेक्ट्रेट कार्यालयों का घेराव किया जाएगा। इसके अलावा 12 तारीख को दिल्ली-जयपुर हाईवे को भी पूरी तरह से चक्का जाम किया जाएगा।

वहीं पंजाब में भारतीय किसान यूनियन, दोआबा के नेता मंजीत सिंह राय ने गांव कनेक्शन से बातचीत में कहा कि सरकार के इस प्रस्ताव में कानूनों में संशोधन की बात की गई है, जबकि हम लगातार कानूनों को रद्द करने की बात कर रहे हैं। सरकार का यह प्रस्ताव हमें बिल्कुल भी मंजूर नहीं है और हम अपने आंदोलन को अब और भी तेज करेंगे। अब हम पंजाब की तरह देश भर के टोल प्लाजा को फ्री करेंगे और फिर से भारत बंद करेंगे।

वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इन प्रस्तावों को सरकार द्वारा किसानों का किया गया अपमान बताया और कहा कि 14 दिसंबर से पूरे देश भर में इस आंदोलन का विस्तार किया जाएगा और दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान जिला मुख्यालयों पर एक दिन का धरना देंगे और अन्य राज्यों के किसान 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे।

इससे पहले सरकार ने अपना दस सूत्रीय प्रस्ताव देते हुए साफ कहा था कि सरकार इन तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करने जा रही है। लेकिन वे किसानों की मांगो, आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए ये 10 सूत्रीय प्रस्ताव दे रही है। ये 10 सूत्रीय प्रस्ताव हैं-

१. राज्य सरकार चाहे तो प्राइवेट मंडियों पर भी शुल्क/फीस लगा सकती है।

२. राज्य सरकार चाहे तो मंडी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर सकती है।

३. किसानों को कोर्ट कचहरी जाने का विकल्प भी दिया जाएगा।

४. किसान और कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट की 30 दिन के अंदर रजिस्ट्री होगी।

५. कॉन्ट्रैक्ट कानून में स्पष्ट कर देंगे कि किसान की जमीन या बिल्डिंग पर ऋण या गिरवी नहीं रख सकते।

६. किसानों के जमीन की कुर्की नहीं हो सकेगी।

७. एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में सरकार लिखित आश्वासन देगी।

८. बिजली बिल अभी ड्राफ्ट में है, लागू नहीं हुआ है।

९. एनसीआर में प्रदूषण वाले कानून पर किसानों की आपत्तियों को समुचित समाधान किया जाएगा।

१०. सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी।

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन समाप्त करने के लिए सरकार ने किसानों को दिया 10 सूत्रीय प्रस्ताव, जानिए क्या हैं ये प्रस्ताव?

किसान आंदोलन: ओड़िशा के किसान नेता का प्रधानमंत्री के नाम खत, 'प्रधानमंत्री जी, विवेक की वैधता की यह लड़ाई किसानों का कर्तव्य है, जिद नहीं'

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.