दस बैंकों का विलय कर बनेंगे चार बैंक, देश में सरकारी बैंकों की संख्या हुई 12
गाँव कनेक्शन | Aug 30, 2019, 12:34 IST
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भरोसा दिलाया कि इन बैंकों के विलय के बाद भी किसी प्रकार की छंटनी नहीं की जाएगी।
देश को पांच ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का आपस में विलय कर उसे चार बैंकों में बदल दिया है। इससे देश में सरकारी बैंकों की संख्या 18 से 12 हो गई है। इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक का आपस में विलय कर उसे इंडियन बैंक बनाया गया है।
वहीं केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक को आपस में मिलाकर केनरा बैंक कर दिया गया है। जबकि यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कार्पोरेशन बैंक का भी आपस में विलय कर उसे यूनियन बैंक कर दिया गया। पंजाब नेशनल बैंक में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) का विलय किया गया है।
कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, "बड़े बैंक अब वैश्विक बाजार को ध्यान में रखते हुए अपना लक्ष्य तय करेंगे। जबकि मझोले बैंक राष्ट्रीय स्तर के लक्ष्यों को पूरा करेंगे। वहीं कुछ क्षेत्रीय स्तर के बैंक होंगे जो स्थानीय लक्ष्यों का ध्यान देंगे।"
निर्मला सीतारमण ने भरोसा दिलाया कि इन बैंकों के विलय के बाद भी किसी प्रकार की छंटनी नहीं की जाएगी। उन्होंने याद दिलाया बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय के बाद किसी भी प्रकार की छंटनी नहीं की गई थी। इससे पहले 2017 में भी सरकार ने कई छोटे सरकारी बैंकों का बड़े बैंकों में विलय किया था। 2017 में 27 सरकारी बैंक थे, जिसे तब घटाकर 18 कर दिया गया था। अब इनकी संख्या 12 हो गई है।
इस घोषणा के वक्त वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी बैंकों की हालत पिछले कुछ समय में ठीक हुई हैं। लोन रिकवरी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है, जबकि नॉन प्रॉफिट एसेट्स (एनपीए) भी 7.90 लाख करोड़ रुपये तक कम हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 1.21 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी की गई है।
$5 Trillion अर्थव्यवस्था के लिए बैंकों की अहम भूमिका होगी, उसके लिए ऐसे बैंक चाहिए जिनमे अधिक lending capacity हो, आधुनिक तकनीक के प्रयोग से बेहतरीन सेवाएँ प्रदान कर सकें। Consolidation is the way forward @PMOIndia @FinMinIndia @PIB_India #PSBsFor5TrillionEconomy pic.twitter.com/5Uy5XJk04A
— Rajeev kumar (@rajeevkumr) August 30, 2019
कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, "बड़े बैंक अब वैश्विक बाजार को ध्यान में रखते हुए अपना लक्ष्य तय करेंगे। जबकि मझोले बैंक राष्ट्रीय स्तर के लक्ष्यों को पूरा करेंगे। वहीं कुछ क्षेत्रीय स्तर के बैंक होंगे जो स्थानीय लक्ष्यों का ध्यान देंगे।"
निर्मला सीतारमण ने भरोसा दिलाया कि इन बैंकों के विलय के बाद भी किसी प्रकार की छंटनी नहीं की जाएगी। उन्होंने याद दिलाया बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय के बाद किसी भी प्रकार की छंटनी नहीं की गई थी। इससे पहले 2017 में भी सरकार ने कई छोटे सरकारी बैंकों का बड़े बैंकों में विलय किया था। 2017 में 27 सरकारी बैंक थे, जिसे तब घटाकर 18 कर दिया गया था। अब इनकी संख्या 12 हो गई है।
इस घोषणा के वक्त वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी बैंकों की हालत पिछले कुछ समय में ठीक हुई हैं। लोन रिकवरी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है, जबकि नॉन प्रॉफिट एसेट्स (एनपीए) भी 7.90 लाख करोड़ रुपये तक कम हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 1.21 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी की गई है।
लोन रिकवरी का रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया है, 1.21 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी की गई है
सकल एनपीए 7.90 लाख करोड़ रुपये तक कम हो गया है: वित्त मंत्री @nsitharaman pic.twitter.com/KJP9bNxRhn
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) August 30, 2019