लॉकडाउन में फंसे बेरोजगार छात्रों का दर्द: "खाने के पैसे नहीं बचे हैं, किराया कहां से दें?"
Daya Sagar | May 01, 2020, 14:58 IST
अभी तक दिल्ली और महाराष्ट्र सरकारों ने मकान मालिकों से किराया ना लेने का आदेश दिया है। लेकिन इन राज्यों में भी मकान मालिकों द्वारा आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है और वे छात्रों पर लगातार किराया देने का दबाव बना रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के उत्सव कुमार (25 वर्ष) पिछले तीन साल से दिल्ली के मयूर विहार में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उनके पिता एक सीमांत किसान हैं, जो हर महीने 6 से 8 हजार रूपये खर्च के रूप में उत्सव को भेजते हैं। इसमें से 4500 रूपया मकान का किराया लगता है, बाकी का पैसा उत्सव अपने महीने के खाने-पीने और अन्य खर्चों में लगाते हैं।
लेकिन लॉकडाउन के बाद उत्सव के पिता के लिए यह खर्च भेज पाना संभव नहीं है। वह कहते हैं, "लॉकडाउन में अभी घर चलाना मुश्किल हो रहा है। छोटी सी खेती है, बारिश और ओलावृष्टि ने वह भी अधिकतर बर्बाद कर दी। अब बताइए इस लॉकडाउन में हम घर-परिवार के खाने-पीने का इंतजाम करें या फिर किराये का पैसा चुकाएं। बैंक वाले भी सिर्फ पैसा निकालने दे रहे हैं, जमा नहीं कर रहे। ऐसे में हम चाहकर भी अपने बेटे को पैसा नहीं भेज पा रहे। सरकार ने किराया माफ करने का आदेश तो दे दिया है, लेकिन मकान मालिक नहीं मान रहे।"
उत्सव की तरह ही बिहार के मधेपुरा जिले के मुकेश कुमार पटना में रहकर पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। घर वाले उतने सक्षम नहीं है इसलिए वह अपना खर्च चलाने के लिए पार्ट टाइम जॉब भी करते हैं। लॉकडाउन से पहले वह होली की छुट्टियों में घर गए थे, जब तक घर से वापस आते तब तक बिहार और पूरे देश में लॉकडाउन लागू हो चुका था। अब वह घर पर हैं लेकिन मकान मालिक लगातार फोन और मैसेज कर के उनसे घर का किराया मांग रहे हैं, जिसे चुका पाना मुकेश के लिए अभी संभव नहीं है।
यह कहानी सिर्फ उत्सव और मुकेश ही नहीं उन जैसे लाखों छात्रों की है, जो संसाधनों की कमी और गरीबी के बावजूद पढ़ने का साहस लेकर दिल्ली, इलाहाबाद, बनारस, पटना जैसे महानगरों में आते हैं। लॉकडाउन की इन कठिन परिस्थितियों में इन छात्रों के लिए पढ़ाई और तैयारी कर पाना तो मुश्किल है ही लेकिन इससे अधिक मुश्किल उन्हें अपने कमरे का किराया देने और अपने दूसरों खर्चों का पूरा करने में आ रहा है।
भारत में कोरोना वायरस के प्रसार के बाद जब लॉकडाउन घोषित हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इम्पलॉयर्स से लोगों की नौकरी नहीं छीनने और उन्हें समय पर वेतन देने की अपील की थी। साथ ही उन्होंने मकान मालिकों से मजदूरों, छात्रों और कम वेतन वाले कर्मचारियों से किराया ना वसूलने की अपील भी की थी। हालांकि इस अपील का बहुत ही कम प्रभाव मकान मालिकों पर पड़ा, जिसकी वजह से दिल्ली और महाराष्ट्र की राज्य सरकारों को किराया ना वसूलने संबंधी आदेश भी जारी करने पड़े।
इसके बावजूद मकान मालिक लगातार छात्रों से किराया वसूलने का दबाव बना रहे हैं। तमाम मकान मालिक इन छात्रों को किराया ना चुकता कर पाने की स्थिति में मकान छोड़ने की धमकी भी दे रहे हैं। लॉकडाउन के इस कठिन समय में इन छात्रों को भूख का डर तो है ही, साथ ही साथ ये भी डर है कि कहीं किराया ना देने के कारण उनके सिर से छत ना छिन जाए।
बिहार के मधुबनी जिले के दीपेश कुमार दिल्ली के स्टूडेंट हब नेहरू विहार में रहकर शोध परीक्षाओं (नेच-पीएचडी) की तैयारी करते हैं। वह जिस मकान में रहते हैं वहां लगभग 35 से 40 कमरे हैं, जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी रहते हैं।
दीपेश ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "जब हम सभी लड़के अपने मकान मालिक के पास किराया माफ कराने के लिए गए तो वे भड़क उठे। कहने लगें कि किराया लेने में देरी तो कर सकते हैं लेकिन माफ तो नहीं किया जा सकता।"
दीपेश ने बताया कि इसके बाद लड़कों ने उनसे आधा किराया लेने का निवेदन किया तो इस बात को भी उन्होंने सिरे से इनकार कर दिया। इतना जरूर कहा, "थोड़ा-बहुत कम कर देंगे, लेकिन किराया माफ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। किराया एक-दो महीने बाद जब भी हो देना, देना तो पड़ेगा ही।"
मुकेश की तरह ही दीपेश भी अपने घर से पैसा नहीं लेते क्योंकि उनके घर की माली हालत ठीक नहीं है। हिंदी में एम.ए. के साथ-साथ उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ट्रांसलेशन का कोर्स भी किया है। लॉकडाउन से पहले वह कुछ प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में प्रूफ रीडिंग और ट्रांसलेशन का काम कर अपना खर्चा निकाल लेते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद आय का वह स्त्रोत भी बंद हो गया।
वह किसी तरह से अपने दोस्तों से उधार मांगकर खाने-पीने का इंतजाम तो कर रहे हैं, लेकिन 4000 रूपये के एकमुश्त किराये का इंतजाम कर पाना मुश्किल हो रहा है। वह बताते हैं कि मकान मालिक ने यहां तक बोल दिया है कि अगर किराया नहीं दे पाओ तो घर खाली कर दो। "अब आप ही बताइए कि लॉकडाउन में मकान खाली कर कहां जाएंगे," इतना कहते-कहते दीपेश का गला रूंध जाता है।
बनारस में रहकर बीएचयू के भूगोल विभाग के शोध छात्र अंजनी कुमार भी कुछ ऐसी ही हालत है। वह बताते हैं, "सरकार या स्वयंसेवी संस्थाओं की तरफ़ से झुग्गी झोपड़ियों या सड़कों के किनारे की बस्तियों तक मदद पहुँचाई जा रही है, जो कि उचित भी है। लेकिन कॉलोनी के मकानों में अकेले रह रहे छात्रों की खोज-ख़बर लेने वाला कोई नहीं है। हमारे साथ दिक़्क़त ये है कि इतने दिनों में अब पैसे ख़त्म होने को हैं और मकान मालिक लगातार किराये को लेकर इशारा करते रहते हैं। अगर उनको किराया दे देता हूँ तो हमारे पास खाने-पीने के ख़र्च को पैसा नहीं बचेगा।"
घर से पैसा मांगने के सवाल पर अंजनी कहते हैं, "घर से पैसे मंगवाना मुश्किल है, क्योंकि वहाँ भी एक महीने से सब कुछ ठप है। फ़िलहाल मित्रों से मदद मिल जा रही है, लेक़िन अगले 2-3 महीने के किराये की चिंता परेशान कर रही है। घर जाना भी समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि एक तो यह परिवार को ख़तरे में डालने वाला कदम होगा और दूसरे लौटने के बाद किराया देना ही पड़ेगा। अगर सरकार यह किराया माफ़ करवा सकती तो बीएचयू और इलाहाबाद में रह रहे हमारे जैसे हज़ारों छात्रों को थोड़ी राहत मिल जाती।"
दरअसल छात्रों का किराया माफ करने के नाम पर सरकार ने कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिए हैं। जहां प्रधानमंत्री ने किराया ना लेने की अपील की थी, उसी तर्ज पर कई राज्यों ने भी अपने राज्य में मकान मालिकों से किराया ना लेने की अपील की। हालांकि महाराष्ट्र और दिल्ली के सरकार ने इसके लिए शासनादेश जारी किए और यह भी कहा कि अगर कोई मकान मालिक जबरदस्ती करता है तो उनके खिलाफ जरूरी कानूनी कार्रवाई होगी।
लेकिन उसको भी मानने को मकान मालिक तैयार नहीं है। हमने दिल्ली के मुखर्जी नगर के एक ऐसे ही मकान मालिक राम निवास गुप्ता से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने ऐसे किसी भी सरकारी आदेश की जानकारी होने की बात कहकर फोन काट दिया। इसके बाद हमने इसी इलाके में बालाजी प्रापर्टीज नाम का प्रापर्टी ब्रोकरिंग एजेंसी चलाने वाले शम्मी चढ्ढा से बात की।
शम्मी मुखर्जी नगर और नेहरू विहार इलाके में अपने कई मकान किराये पर दे रखे हैं। इसके अलावा वह दूसरे मकान मालिकों को भी किरायेदार दिलाते हैं। उन्होंने सरकार के इस आदेश की जानकारी होने की बात तो कही लेकिन कहा कि सरकार ने किराया माफ करने की बात नहीं कहा है।
किराया ना वसूलने संबंधी दिल्ली सरकार का आदेश, जिसको लेकर मकान मालिकों का कहना है कि सरकार ने एक महीने किराया नहीं लेने की बात कही है ना कि माफ करने की।
उन्होंने कहा, "अगर आप शासनादेश को ध्यान से पढ़ें तो उन्होंने इस महीने किराया ना लेने की बात कही है ना कि माफ करने की। अभी संकट का समय है तो हम छात्रों से किराया नहीं ले रहे हैं लेकिन अगले महीने तो किराया देना ही होगा।"
"अगर कोई मकान मालिक किराया माफ या आधा करता है तो यह उसकी मर्जी है। बाकी आप भी सोचिए कि जो मकान मालिक सिर्फ किराये पर ही अपने घर पर खर्च चलाते हैं, वे किराया माफ कर देंगे तो उनका घर कैसे चलेगा," चढ्ढा आगे कहते हैं।
इसका जवाब हमें बनारस निवासी नितेश सेठ देते हैं। नितेश भी पिछले पांच साल से दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहकर सिविल सेवाओं की तैयारी करते हैं। वह कहते हैं, "यह राष्ट्रीय आपदा का समय है और जैसे- सरकार हर वर्ग को राहत दे रही है, किराया माफ करने वाले मकान मालिकों को भी राहत दे। लेकिन इस कठिन समय में सब कुछ छात्रों पर थोप देना तो ज्यादती है, जो खुद बेरोजगार हैं।"
इसके अलावा नितेश ने यह भी बताया कि मकान मालिक ऐसे बातें करके बस बचना चाह रहे हैं। "दिल्ली जैसी जगहों पर मकान का किराया बहुत महंगा है, जिससे वे हर महीने लाखों की कमाई करते हैं। ऐसे में ये लोग ही पैसों की कमी होने की बात करने लगे तो यह हास्यास्पद है," नितेश कहते हैं।
इस संबंध में हमने मुखर्जी नगर क्षेत्र के उप जिलाधिकारी विनीत कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार के द्वारा किराया ना मांगने का स्प्ष्ट आदेश दिया गया है। अगर कोई मकान मालिक किसी छात्र पर दबाव डालता है, तो छात्र को 100 नंबर पर कॉल कर स्थानीय पुलिस में शिकायत करना चाहिए।
इस पर छात्र दीपेश कहते हैं, "100 नंबर पर कॉल करने की बात कहना बिल्कुल बेमानी है क्योंकि अधिकतर मकान मालिक और बिल्डर स्थानीय पुलिस वालों से मिले होते हैं। हाल ही में छात्रों पर मकान मालिकों के समूह द्वारा हमला हुआ, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर सरकार इसको लेकर वाकई में गंभीर होती तो एक केंद्रीयकृत टोल फ्री नंबर जारी करती, जिसका कंट्रोल बड़े अधिकारी और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के अधीन होता।"
सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर लगातार छात्रों के मुद्दे उठाने वाले सिविल सर्विसेज के प्रतियोगी छात्र सन्नी कुमार कहते हैं, "दिल्ली सरकार ने जानबूझकर अपने आदेश की भाषा अस्पष्ट रखी है ताकि मकान मालिक को भी कोई कष्ट न हो और विद्यार्थियों का भी मन बहल जाए। इससे विद्यार्थियों और मकान मालिकों के बीच तनाव और बढ़ गया है। सरकार को चाहिए कि इसे एकदम स्पष्ट बताए कि किराया माफ़ हुआ है या नहीं?"
इस मामले में हमने दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका। ट्विटर पर भी लगातार छात्र #NoRentForStudents और #NoRentInLockdown हैशटैग से अपनी परेशानियों को देश की जनता और सरकारों के सामने रख रहे हैं।
इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने वाले संगठन 'युवा हल्ला बोल' के गोविंद कहते हैं कि लॉकडाउन में अपने घर से दूर अलग-अलग शहरों में फंसे छात्रों के लिए खाने-पीने के साथ-साथ किराये की विकट समस्या आ रही है।
वह कहते हैं, "हमने देश की सभी राज्य सरकारों से किराया माफी को लेकर चिट्ठी लिखी है। हालांकि हमें सिर्फ दिल्ली और महाराष्ट्र में शुरूआती सफलता मिली है। हम चाहते हैं कि अन्य राज्य भी छात्रों का किराया माफ करें और इसे लागू करने में भी कड़ाई बरती जाए ताकि कोई मकान मालिक मनमानी नहीं कर सके और किसी भी छात्र का बड़े शहरों में पढ़ने का सपना ना टूटे।"
ऐसे मकान मालिक जो पूरी तरह से ही किराये पर निर्भर हैं उनके लिए युवा हल्ला बोल ने सरकार से एक 'रेंट पूल फंड' भी बनाए जाने की मांग भी की है। युवा हल्ला बोल के प्रमुख अनुपम कहते हैं कि इस फंड से उन मकान मालिकों की भी मदद होगी जो एक-दो कमरा किराये पर लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं।
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क्या है SSC का UFM नियम, जिससे हो रहा तैयारी करने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़?
लेकिन लॉकडाउन के बाद उत्सव के पिता के लिए यह खर्च भेज पाना संभव नहीं है। वह कहते हैं, "लॉकडाउन में अभी घर चलाना मुश्किल हो रहा है। छोटी सी खेती है, बारिश और ओलावृष्टि ने वह भी अधिकतर बर्बाद कर दी। अब बताइए इस लॉकडाउन में हम घर-परिवार के खाने-पीने का इंतजाम करें या फिर किराये का पैसा चुकाएं। बैंक वाले भी सिर्फ पैसा निकालने दे रहे हैं, जमा नहीं कर रहे। ऐसे में हम चाहकर भी अपने बेटे को पैसा नहीं भेज पा रहे। सरकार ने किराया माफ करने का आदेश तो दे दिया है, लेकिन मकान मालिक नहीं मान रहे।"
उत्सव की तरह ही बिहार के मधेपुरा जिले के मुकेश कुमार पटना में रहकर पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। घर वाले उतने सक्षम नहीं है इसलिए वह अपना खर्च चलाने के लिए पार्ट टाइम जॉब भी करते हैं। लॉकडाउन से पहले वह होली की छुट्टियों में घर गए थे, जब तक घर से वापस आते तब तक बिहार और पूरे देश में लॉकडाउन लागू हो चुका था। अब वह घर पर हैं लेकिन मकान मालिक लगातार फोन और मैसेज कर के उनसे घर का किराया मांग रहे हैं, जिसे चुका पाना मुकेश के लिए अभी संभव नहीं है।
यह कहानी सिर्फ उत्सव और मुकेश ही नहीं उन जैसे लाखों छात्रों की है, जो संसाधनों की कमी और गरीबी के बावजूद पढ़ने का साहस लेकर दिल्ली, इलाहाबाद, बनारस, पटना जैसे महानगरों में आते हैं। लॉकडाउन की इन कठिन परिस्थितियों में इन छात्रों के लिए पढ़ाई और तैयारी कर पाना तो मुश्किल है ही लेकिन इससे अधिक मुश्किल उन्हें अपने कमरे का किराया देने और अपने दूसरों खर्चों का पूरा करने में आ रहा है।
हम छात्र ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और इस वैश्विक महामारी में हमें अपना किराया दे पाना संभव नहीं।सरकार से हम छात्र निवेदन करते है कि वह छात्र हित में सकारात्मक निर्णय लें और किराया माफ करे।
#NoRentInLockdown#NoRentInLockdown @NehaYadav_94 @AkhileshInc
— Aaditya Yadav (@3801Aaditya) April 27, 2020
इसके बावजूद मकान मालिक लगातार छात्रों से किराया वसूलने का दबाव बना रहे हैं। तमाम मकान मालिक इन छात्रों को किराया ना चुकता कर पाने की स्थिति में मकान छोड़ने की धमकी भी दे रहे हैं। लॉकडाउन के इस कठिन समय में इन छात्रों को भूख का डर तो है ही, साथ ही साथ ये भी डर है कि कहीं किराया ना देने के कारण उनके सिर से छत ना छिन जाए।
देश का नौजवान पहले ही बेरोजगारी की मार झेल रहा था, साथ में अब लाक डाउन के समय में घर/पीजी/हॉस्टल रेंट। देश के भविष्य को अंधकार की और धकेला जा रहा है।
छात्र करे तो करे क्या, बोले तो बोले क्या?#NoRentForStudents @AnupamConnects @yuvahallabol pic.twitter.com/NVwqzUf0ov
— रजनीश झा (@rajnishjha94541) April 16, 2020
दीपेश ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "जब हम सभी लड़के अपने मकान मालिक के पास किराया माफ कराने के लिए गए तो वे भड़क उठे। कहने लगें कि किराया लेने में देरी तो कर सकते हैं लेकिन माफ तो नहीं किया जा सकता।"
#DeclareNoRoomRentOrder#NoRentForStudents
@myogiadityanath sir
I'm the student of BHU . I live outside the campus & pay rent for my accommodation Sir my father is farmer & I'm unable to pay rent to the landlord.@CMOfficeUP @NiskanenCenter @PMOIndia pic.twitter.com/FQL2wWsLq9
— Mohitbagri (@Mohitbagri11) April 26, 2020
मुकेश की तरह ही दीपेश भी अपने घर से पैसा नहीं लेते क्योंकि उनके घर की माली हालत ठीक नहीं है। हिंदी में एम.ए. के साथ-साथ उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ट्रांसलेशन का कोर्स भी किया है। लॉकडाउन से पहले वह कुछ प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में प्रूफ रीडिंग और ट्रांसलेशन का काम कर अपना खर्चा निकाल लेते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद आय का वह स्त्रोत भी बंद हो गया।
वह किसी तरह से अपने दोस्तों से उधार मांगकर खाने-पीने का इंतजाम तो कर रहे हैं, लेकिन 4000 रूपये के एकमुश्त किराये का इंतजाम कर पाना मुश्किल हो रहा है। वह बताते हैं कि मकान मालिक ने यहां तक बोल दिया है कि अगर किराया नहीं दे पाओ तो घर खाली कर दो। "अब आप ही बताइए कि लॉकडाउन में मकान खाली कर कहां जाएंगे," इतना कहते-कहते दीपेश का गला रूंध जाता है।
आज का पौधा कल का वृक्ष है, ठीक उसी प्रकार ये विद्यार्थी देश का भविष्य है।
लॉकडाउन की मार सबसे ज्यादा प्रवासी विद्यार्थियों को सहना पड़ रहा है। सीएम @ChouhanShivraj सर जी से ये अनुरोध है कि सभी विद्यार्थियों के lockdown period का रूम रेंट माफ कर राहत दिया जाय।#NoRentForStudents pic.twitter.com/9K63mKvUf9
— Akku Patel (@AkkuPat54931675) April 26, 2020
घर से पैसा मांगने के सवाल पर अंजनी कहते हैं, "घर से पैसे मंगवाना मुश्किल है, क्योंकि वहाँ भी एक महीने से सब कुछ ठप है। फ़िलहाल मित्रों से मदद मिल जा रही है, लेक़िन अगले 2-3 महीने के किराये की चिंता परेशान कर रही है। घर जाना भी समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि एक तो यह परिवार को ख़तरे में डालने वाला कदम होगा और दूसरे लौटने के बाद किराया देना ही पड़ेगा। अगर सरकार यह किराया माफ़ करवा सकती तो बीएचयू और इलाहाबाद में रह रहे हमारे जैसे हज़ारों छात्रों को थोड़ी राहत मिल जाती।"
Most of us preparing for government jobs are self dependent, this lock down has left us job deprived. Officials should help us by waiving off our rent. @PMOIndia#NoRentForStudents @yuvahallabol @AnupamConnects pic.twitter.com/WH7GLg0t47
— रजनीश झा (@rajnishjha94541) April 16, 2020
लेकिन उसको भी मानने को मकान मालिक तैयार नहीं है। हमने दिल्ली के मुखर्जी नगर के एक ऐसे ही मकान मालिक राम निवास गुप्ता से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने ऐसे किसी भी सरकारी आदेश की जानकारी होने की बात कहकर फोन काट दिया। इसके बाद हमने इसी इलाके में बालाजी प्रापर्टीज नाम का प्रापर्टी ब्रोकरिंग एजेंसी चलाने वाले शम्मी चढ्ढा से बात की।
शम्मी मुखर्जी नगर और नेहरू विहार इलाके में अपने कई मकान किराये पर दे रखे हैं। इसके अलावा वह दूसरे मकान मालिकों को भी किरायेदार दिलाते हैं। उन्होंने सरकार के इस आदेश की जानकारी होने की बात तो कही लेकिन कहा कि सरकार ने किराया माफ करने की बात नहीं कहा है।
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उन्होंने कहा, "अगर आप शासनादेश को ध्यान से पढ़ें तो उन्होंने इस महीने किराया ना लेने की बात कही है ना कि माफ करने की। अभी संकट का समय है तो हम छात्रों से किराया नहीं ले रहे हैं लेकिन अगले महीने तो किराया देना ही होगा।"
"अगर कोई मकान मालिक किराया माफ या आधा करता है तो यह उसकी मर्जी है। बाकी आप भी सोचिए कि जो मकान मालिक सिर्फ किराये पर ही अपने घर पर खर्च चलाते हैं, वे किराया माफ कर देंगे तो उनका घर कैसे चलेगा," चढ्ढा आगे कहते हैं।
इसका जवाब हमें बनारस निवासी नितेश सेठ देते हैं। नितेश भी पिछले पांच साल से दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहकर सिविल सेवाओं की तैयारी करते हैं। वह कहते हैं, "यह राष्ट्रीय आपदा का समय है और जैसे- सरकार हर वर्ग को राहत दे रही है, किराया माफ करने वाले मकान मालिकों को भी राहत दे। लेकिन इस कठिन समय में सब कुछ छात्रों पर थोप देना तो ज्यादती है, जो खुद बेरोजगार हैं।"
इसके अलावा नितेश ने यह भी बताया कि मकान मालिक ऐसे बातें करके बस बचना चाह रहे हैं। "दिल्ली जैसी जगहों पर मकान का किराया बहुत महंगा है, जिससे वे हर महीने लाखों की कमाई करते हैं। ऐसे में ये लोग ही पैसों की कमी होने की बात करने लगे तो यह हास्यास्पद है," नितेश कहते हैं।
इस संबंध में हमने मुखर्जी नगर क्षेत्र के उप जिलाधिकारी विनीत कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार के द्वारा किराया ना मांगने का स्प्ष्ट आदेश दिया गया है। अगर कोई मकान मालिक किसी छात्र पर दबाव डालता है, तो छात्र को 100 नंबर पर कॉल कर स्थानीय पुलिस में शिकायत करना चाहिए।
इस पर छात्र दीपेश कहते हैं, "100 नंबर पर कॉल करने की बात कहना बिल्कुल बेमानी है क्योंकि अधिकतर मकान मालिक और बिल्डर स्थानीय पुलिस वालों से मिले होते हैं। हाल ही में छात्रों पर मकान मालिकों के समूह द्वारा हमला हुआ, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर सरकार इसको लेकर वाकई में गंभीर होती तो एक केंद्रीयकृत टोल फ्री नंबर जारी करती, जिसका कंट्रोल बड़े अधिकारी और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के अधीन होता।"
सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर लगातार छात्रों के मुद्दे उठाने वाले सिविल सर्विसेज के प्रतियोगी छात्र सन्नी कुमार कहते हैं, "दिल्ली सरकार ने जानबूझकर अपने आदेश की भाषा अस्पष्ट रखी है ताकि मकान मालिक को भी कोई कष्ट न हो और विद्यार्थियों का भी मन बहल जाए। इससे विद्यार्थियों और मकान मालिकों के बीच तनाव और बढ़ गया है। सरकार को चाहिए कि इसे एकदम स्पष्ट बताए कि किराया माफ़ हुआ है या नहीं?"
इस मामले में हमने दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका। ट्विटर पर भी लगातार छात्र #NoRentForStudents और #NoRentInLockdown हैशटैग से अपनी परेशानियों को देश की जनता और सरकारों के सामने रख रहे हैं।
#NoRentForStudents : लॉकडाउन में घर से दूर रहने वाले बेरोज़गार छात्रों का किराया माफ़ करे सरकार - Sign the Petition! https://t.co/mO26OtFxh9 via @ChangeOrg_India#COVID #StaySafe
— Rahul Mishra (@rahulmishrav) April 29, 2020
वह कहते हैं, "हमने देश की सभी राज्य सरकारों से किराया माफी को लेकर चिट्ठी लिखी है। हालांकि हमें सिर्फ दिल्ली और महाराष्ट्र में शुरूआती सफलता मिली है। हम चाहते हैं कि अन्य राज्य भी छात्रों का किराया माफ करें और इसे लागू करने में भी कड़ाई बरती जाए ताकि कोई मकान मालिक मनमानी नहीं कर सके और किसी भी छात्र का बड़े शहरों में पढ़ने का सपना ना टूटे।"
ऐसे मकान मालिक जो पूरी तरह से ही किराये पर निर्भर हैं उनके लिए युवा हल्ला बोल ने सरकार से एक 'रेंट पूल फंड' भी बनाए जाने की मांग भी की है। युवा हल्ला बोल के प्रमुख अनुपम कहते हैं कि इस फंड से उन मकान मालिकों की भी मदद होगी जो एक-दो कमरा किराये पर लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं।
आपके मन में ये सवाल आ सकता है कि किराया माफ हुआ तो कुछ मकान मालिकों को परेशानी हो सकती है।
इसी कारण से @yuvahallabol ने मांग किया कि सरकार एक "रेंट पूल फंड" भी बनाये जिससे उन मकान मालिकों की भी मदद हो जो एक-दो कमरा किराए पर लगाकर अपनी रोज़ी रोटी चलाते हैं।#NoRentInLockdown
— Anupam | अनुपम (@AnupamConnects) April 27, 2020
क्या है SSC का UFM नियम, जिससे हो रहा तैयारी करने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़?