टिड्डियों के हमले से फिर परेशान हो सकता है पश्चिमी राजस्थान, जारी हुई चेतावनी

स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि यह टिड्डियों का एक असामान्य हमला है क्योंकि टिड्डियां रबी (सर्दियों) की फसलों को नष्ट कर रही हैं और उन्होंने अपना सामान्य रास्ता भी बदल लिया है।

Nidhi JamwalNidhi Jamwal   10 Jan 2020 10:58 AM GMT

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टिड्डियों के हमले से फिर परेशान हो सकता है पश्चिमी राजस्थान, जारी हुई चेतावनी

पश्चिमी राजस्थान के जालोर जिले के चितलवाना ब्लॉक के तहसीलदार ने आठ जनवरी को जिले में टिड्डियों के एक और संभावित हमले की चेतावनी जारी की। इस चेतावनी में कहा गया कि टिड्डियों का झुंड पड़ोसी बाड़मेर जिले में सेड़वा के पास तैनात है और कभी भी हमला कर सकता है। टिड्डियों के इस झुंड की चौड़ाई 27 किलोमीटर और लंबाई अज्ञात बताई गई।

इस चेतावनी में स्थानीय किसानों को सलाह दी गई है कि वे हमले से बचने के लिए मिट्टी के तेल का छिड़काव करें, धुआं पैदा करने के लिए चीजों को जलाएं और ड्रम, बर्तनों से आवाज पैदा करें। बाड़मेर जिले की सीमा से लगे जालोर के सभी गांवों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

चितलवाना के तहसीलदार नागाराम गुर्जर ने गांव कनेक्शन को बताया, "हमें उम्मीद थी कि टिड्डियों का झुंड हमारे क्षेत्र में 9 जनवरी को प्रवेश करेगा। लेकिन यह अभी तक नहीं आया है। उम्मीद है अगले एक-दो दिन में वे हमला करें।"

उनके अनुसार इस क्षेत्र में टिड्डियों का हमला असामान्य नहीं है। लेकिन इस साल इनके हमले का पैटर्न बहुत ही 'अजीब' रहा है। वह कहते हैं, "आम तौर पर टिड्डियों के हमले मानसून के आसपास होते हैं और अक्टूबर तक ये वापस निकल जाते हैं। लेकिन इस साल हमारी रबी की फसलों पर टिड्डियों के तीन बड़े हमले हो चुके हैं। अब खेत में कटाई के लिए बहुत कुछ नहीं बचा है। आधा से अधिक फसल बर्बाद हो गई।"

"समय के अलावा टिड्डियों का रास्ता भी बदल गया है। इस बार वे उदयपुर जिले तक गए हैं, जो पहले नहीं होता था," उन्होंने आगे बताया। टिड्डियों के हमले से राजस्थान के बाड़मेर, जालोर और जैसलमेर सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं।

हताश किसान टिड्डियों को रोकने के लिए कई उपायों को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें धुएं से टिड्डियों को भगाने की कोशिश भी शामिल है।

चितलवाना ब्लॉक के परावा गांव के पूर्व सरपंच ईसराराम विश्नोई बताते हैं, "पिछले एक महीने से हम टिड्डियों के हमले से पीड़ित हैं। आखिरी बार टिड्डियों का इस तरह का बड़ा हमला 1961 में हुआ था, जब मैं छठी कक्षा में था।" उन्होंने दावा किया कि आगे होने वाले हमले पिछले हमलों से भी बुरे हो सकते हैं।

"इस बार टिड्डी झुंड की चौड़ाई लगभग 27 किलोमीटर बताई जा रही है। पिछले महीने यह झुंड तीन से चार किलोमीटर चौड़ा और 15 किलोमीटर से अधिक लंबा था, जिससे बहुत नुकसान पहुंचा," ईसराराम कहते हैं।

ईसराराम के अनुसार, जालोर के चितलवाना और सांचोर ब्लॉक के 170 से अधिक गांव टिड्डियों के इस हमले से प्रभावित हुए। इससे रबी के फसलों को 50 से 100 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा।

नागाराम गुर्जर ने बताया कि टिड्डियों के इस हमले से चितलवाना तहसील के 162 गांवों के 81 गांव प्रभावित हुए, जिससे लगभग 60 प्रतिशत फसल खराब हो गई। हुए नुकसान की समीक्षा के लिए एक सर्वे चल रहा है। इस क्षेत्र की मुख्य फसल जीरा है, जिसके बाद सरसों और गेहूँ आते हैं।

टिड्डी, एक बड़े आकार की कीट होती है, जिसके 10 प्रजातियों में से भारत में चार प्रजातियां पाई जाती हैं। ये सभी फसलों को झट से चट्ट कर जाती हैं। रेगिस्तानी टिड्डियों का एक झुंड एक दिन में 10 हाथियों या 2,500 व्यक्तियों के बराबर का भोजन खा सकता है। ये फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाते हैं। ये पिछले साल के मध्य से पाकिस्तान से आ रहे हैं और राजस्थान के पश्चिमी जिलों में लगातार हमला बोल रहे हैं।

जालोर के चितलवाना ब्लॉक के डी एस ढाणी गांव के निवासी शैतान सिंह विश्नोई बताते हैं, "टिड्डियां बाड़मेर से प्रवेश करती हैं और फिर जालोर और अन्य जिलों में जाती हैं। इस बार इनका झुंड उदयपुर तक पहुंच गया। हवा की दिशा और भोजन की उपलब्धता को देखते हुए वे गुजरात के लिए अपना रास्ता बनाते हैं। इनके रास्ते में जो भी फसलें आती हैं, उसे वे निपटाते जाते हैं।"

उन्होंने बताया, "इस हमले से फसलों का जो नुकसान हुआ है, वह काफी अधिक हैं। फसल बीमा के माध्यम से भी इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है।"

समाचार रिपोर्टों के अनुसार, दिसंबर महीने में हुए टिड्डियों के पिछले हमले में राजस्थान के नौ और गुजरात के दो जिलों के लगभग 6,500 गांव प्रभावित हुए थे। दावा किया जा रहा है कि वर्तमान में कुल 312 गांव पहले से ही टिड्डियों के हमले से प्रभावित हैं। सबसे अधिक प्रभावित जिलों में जैसलमेर और बाड़मेर प्रमुख है। टिड्डियों के पंजाब जाने की भी आशंका बनी हुई है।

किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन यह नाकाफी है।

"टिड्डे मुख्य रूप से पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र से आते हैं। ये अंडे भी वहीं देते हैं। वहां की नम मिट्टी अंडों को विकसित होने में मदद करती है। टिड्डियों से फसलों की सुरक्षा का एक प्रमुख तरीका है कि फसलों पर क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव किया जाए, जिसकी कीमत भी राज्य सरकार द्वारा आधी कर दी गई है, " नागाराम गुर्जर बताते हैं।

पिछले महीने के अंत में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रभावित गांवों का दौरा किया था। उन्होंने फसल क्षति के आकलन के लिए एक आधिकारिक सर्वे (विशेष गिरदावरी) का आदेश भी दिया था। सरकारी क्षतिपुर्ति के अनुसार एक किसान परिवार 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अधिकतम दो हेक्टेयर की खेती का मुआवजा ले सकता है। इस तरह एक किसान अधिकतम 27,000 रुपये की फसल क्षतिपूर्ति का लाभ उठा सकता है।

लेकिन ईसराराम का दावा है कि टिड्डियों के इस हमले से किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि इससे लगभग 300 करोड़ रुपये के फसल का नुकसान हुआ है। अकेले जैसलमेर जिले में 3 लाख 83 हजार हेक्टेयर में रबी की बुवाई हुई थी, जिसमें से 1 लाख हेक्टेयर से अधिक की खेती टिड्डियों के हमले से प्रभावित हुई।

टिड्डियों के हमले की इस 'असामान्य' प्रकृति पर टिप्पणी करते हुए ईसराराम ने दावा किया कि ऐसा क्षेत्र में बदलते फसल पैटर्न के कारण हो सकता है। "कुछ दशक पहले तक हम सिर्फ खरीफ की फसल उगात थे क्योंकि हमारे पास रबी फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता था। अब हमारे पास रबी फसलों के लिए बिजली और सिंचाई दोनों सुविधाएं उपलब्ध हैं। ये टिड्डियां भोजन और शिकार की तलाश में हमारी फसलों तक आती हैं," ईसराराम दुःखी होकर बताते हैं।

पिछले महीने केंद्र सरकार ने टिड्डियों के हमले से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए 11 टीमों को गुजरात भेजा था। समाचार खबरों के अनुसार, उत्तरी गुजरात की लगभग 25,000 हेक्टेयर भूमि टिड्डियों के हमले से प्रभावित है, जहां पर अरंडी, जीरा और सरसों की खेती होती है।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने जून 2019 में इन टिड्डियों के हमलों से उपाय के लिए एक योजना बनाई थी। लेकिन इससे कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आया है। ईसराराम जैसे किसान अभी भी अपनी फसलों को नुकसान होता हुआ देख रहे हैं।

अनुवाद- दया सागर

यह लेख मूल रुप से अंग्रेजी में लिखी गई है, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं-

Warning issued for another round of locust attack in western Rajasthan

यह भी पढें- गुजरात: टिड्डियों को भगाने के लिए कहीं चल रही बंदूक, कहीं बज रही थाली, अब तक करोड़ों का नुकसान


   

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