हिन्दू और मुस्लिम मिलकर कर उड़ाते हैं गुलाल , जब निकलती है होरिहारों की बारात

Virendra Singh | Mar 03, 2018, 16:58 IST
barabanki holi
बेलहरा (बाराबंकी)। वैसे तो देश भर में कई इलाकों की होली बहुत खास होती है। उत्तर प्रदेश में ब्रज से लेकर बुंदेलखंड तक होली का अपना मजा है, तो बाराबंकी में भी देवां शरीफ की होली खेलने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचते हैं, यहां हाजी वारिश अली शाह की दरगाह पर सौहार्द का रंग उड़ता है। बाराबंकी के ही बेलहरा कस्बे की होली का रंग भी कुछ अलग ही होता है।

यहां होली पर कई गांवों के लोग मिलकर ऊंट और घोड़ों पर बारात निकालते हैं, जो कई गांवों से गुजरती है। बारात में ऊंट, घोड़े आगे होते हैं, तो उनके पीछे ढोल मंजीरा पर तान छेड़ते होरिहारे (होली खेलने वाले) होते हैं। यहां पर इस बारात को होली की चांचर कहते हैं, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों वर्गों के लोग शामिल होते हैं।

होली कमेटी के अध्यक्ष सतेंद्र मौर्य बताते हैं, “बरसाने की होली बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन हमारी होली बहुत खास है, 10 से 12 किलोमीटर के आसपास लोग शामिल होते हैं, टोलिलां बनाते हैं, जिस गांव मुहल्ले से निकलते हैं वहां कि टोलियां हमारे साथ हो जाती हैं, भजन कीर्तिन के साथ हम लोग खुशियां मनाते हैं।“

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बेलहरा के स्थानीय निवासी और पूर्व प्रधान मास्टर अल्ताफ हुसैन अपने चेहरे से गुलाल पोछते हुए बताते हैं, “हम वर्षों से ऐसे ही होली खेलते चले आ रहे हैं, ये त्योहार दोनों संप्रदायों (हिंदु-मुस्लिम) की आपसी भावना को मजबूत करता है।“

बारात जिस भी मुहल्ले से निकलती हैं, महिलाएं उसका जोरदार स्वागत करती हैं। लेकिन असली रंग जमता है कस्बे में बाबा साहेब के मंदिर पर, यहां एक तरफ कीर्तन हो रहे होते हैं जो दूसरी तरफ युवा डीजे की धुन पर नाचते हैं। हजारों लोगों की संख्या के साथ सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाते हैं। खुद पुलिस-प्रशासन के लोग उत्सव में शामिल होते हैं।

चौकी प्रभारी पंडित त्रिपाठी बताते हैं, “भाई चारे का त्यौहार है तो सब मिलकर ही मनाते हैं, पुलिस प्रशासन चौकन्ना रहता है, लेकिन इतने बड़ी संख्या के बावजूद कहीं कोई हुड़दंग नहीं होता।” दोपहर बाद जुलूस बाबा साहेब में खत्म हो जाता है, जिसके बाद यहां पर रंग भी बंद कर दिया जाता है। ऊपर वीडियो देखिए

देवां की होली : एक अकेली दरगाह जहां होली खेली जाती है...



उत्तर प्रदेश में देवां ऐतिहासिक जगह है। ये देश की अकेली दरगाह है, जहां होली खेली जाती है। हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग गुलाल और फूलों से सूफियाना होली खेलते हैं। देवां में प्रसिद्ध सूफी संत हाजी वारिश अली शाह की मजार है। मजार के हरे रंग के आगे उड़ता लाल गुलाल और गुलाब की पत्तियां ऐसा माहौल बनाते हैं कि लोग देखते रह जाते हैं।

सिर्फ बरसाना ही नहीं, बुंदेलखंड में भी होती है दिलचस्प लट्ठमार होली

देशभर में होली की हुडदंग इन तस्वीरों में देखें

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