बिहार: 15 दिन पहले जहां था सूखा, वहां बाढ़ से 18 लाख लोग प्रभावित

गाँव कनेक्शन | Jul 15, 2019, 09:22 IST
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मधुबनी/लखनऊ। बिहार के मधुबनी जिले का जयनगर कस्बा और वहां बहने वाली कमला नदी। कमला नदी की तेज धार में कुछ भैंसें बह रही हैं। बहती नदी में सिर्फ उनका सिर दिख रहा है। वहीं एक भैस की पूंछ पकड़ा हुआ इंसान खुद को नदी की तेज धार से बचाने की जद्दोजहद में लगा है। बाढ़ की विभिषका झेल रहे उत्तरी बिहार की यह सबसे त्रासद तस्वीरों में से एक है।

बाढ़ से प्रभावित उत्तरी बिहार के दर्जन भर जिलों का लगभग यही हाल है। जन-जीवन अस्त-व्यस्त है। लोग अपने आप को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे अपना गाँव छोड़कर पशुओं और परिवार समेत पानी से दूर ऊंचे जगहों पर विस्थापित होने का प्रयास कर रहे हैं।



बिहार में बाढ़ से स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही हैं। नेपाल से आए बरसाती पानी से उत्तरी बिहार के लगभग दर्जन भर जिले प्रभावित हैं। राज्य के शिवहर, सीतामढी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा और मुजफ्फरपुर के 55 प्रखंडों में बाढ़ से कुल 17,96,535 आबादी प्रभावित हुई है। इनमें से अधिकतर वे जिले हैं जो कुछ दिन पहले सूखे की मार झेल रहे थे। पूर्णिया जिले के निचले इलाकों में गांवों में पानी भर गया है।

लगातार बारिश से राज्य की पांच नदियां बागमती, कमला बलान, लालबकया, अधवारा और महानंदा कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। पटना के मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले चार दिनों में कई जगहों पर बारिश का अनुमान जाहिर किया है।



बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की सीमा से लगे क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश की वजह से पांच नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में बाढ़ से अब तक कुल चार लोगों की मौत हुई है। अररिया में दो, जबकि शिवहर और किशनगंज में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा सीतामढ़ी जिला प्रभावित हुआ है। यहां करीब 11 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इसके बाद अररिया में पांच लाख लोग बाढ़ का सामना कर रहे हैं। प्रभावित जिलों में राहत और बचाव अभियान चलाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के 13 दल तैनात किए गए हैं। इसके अलावा अलग-अलग गैर-सरकारी संगठन भी लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं।

बाढ़ प्रभावितों के बीच काम कर रहे मिथिला स्टूडेंट यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य झा ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "अभी हालात काफी खराब हैं। उत्तरी बिहार का पश्चिम चंपारण से लेकर किशनगंज तक का क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित है। जगह-जगह तटबंध टूट रहे हैं और गांवों में नदियों का पानी बह रहा है। सरकार मौतों की संख्या काफी कम बता रही है जबकि हमारी टीम की जानकारी में लगभग 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सिर्फ नरूआर (मधुबनी) में ही 15 लोगों की मौत हुई है।"

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फोटो क्रेडिट- आदित्य झा

आदित्य ने बताया कि उनकी 8 से 10 टीमें लोगों को बाढ़ से निकालने और उन्हें मेडिकल, भोजन आदि की सहायता देने के लिए काम कर रही है। इसके अलावा प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के लोग भी लोगों को मदद पहुंचाने में लगे हुए हैं। हालांकि बाढ़ की विभिषिका को देखते हुए यह मदद नाकाफी लग रही है। वहीं पूर्णिया के सामाजिक कार्यकर्ता जयकरन ने बताया कि जिले के बैसा, बैसी और अमौर प्रखंड बाढ़ से बहुत हद तक प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव वालों ने खुद ही बाढ़ से निपटने की तैयारियां कर ली थी। 2017 के बाढ़ से उन्हें इसका अनुभव हो गया है।

इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, सीतामढ़ी और पूर्वी चंपारण जिलों के बाढ़ प्रभावित इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया है। मुख्यमंत्री ने बाढ की स्थिति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक भी की। बैठक के बाद एक उच्च अधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने लोगों को शरण देने के लिए 152 राहत शिविर खोले हैं जबकि 251 सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गयी है। बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राहत शिविरों में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए समुचित व्यवस्था पर नजर रखने के निर्देश दिए ।

(भाषा से इनपुट के साथ)

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