अच्छी ख़बर ! 10 वर्षों में 20 फीसदी लड़कियां बालिका वधू बनने से बच गईं
Neetu Singh | Jan 24, 2018, 14:21 IST
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के सुदूर गाँव में रहने वाली महिमा सातवीं कक्षा में पढ़ती थी। एक दिन जब उसे अपनी सहेली की शादी की बात पता चली तो अचानक से उसमें इतनी समझदारी आ गयी कि उसने अपनी एक सहेली और टीचर की मदद से न सिर्फ अपनी सहेली का बाल-विवाह रोका बल्कि उसकी पढ़ाई को भी नहीं रुकने दिया, इनके प्रयास से आज वो नवीं कक्षा में पढ़ रही है।
महिमा पाण्डेय (13 वर्ष) को जब एक साल पहले ये खबर हुई कि उससे एक कक्षा आगे पढ़ रही उसकी 14 वर्षीय सहेली रूपा राव की शादी उसके घर वालों ने तय कर दी है। महिमा ने बिना देरी किये अपनी एक सहेली और टीचर की मदद से उसे बाल-विवाह जैसी कुरीति से रोक लिया। महिमा उत्तर प्रदेश की पहली लड़की नहीं है जिसने इतनी कम उम्र में ये समझदारी का काम किया हो।
इनकी तरह प्रदेश की कई ऐसी जागरूक छात्राएं हैं जिन्होंने न सिर्फ अपना बाल-विवाह रोका है बल्कि अपने आसपास हो रहे अपनी सहेलियों के भी बाल-विवाह को रोकने के लिए आगे आयी हैं। इन छात्राओं का प्रयास सुनने में भले ही छोटा लग रहा हो लेकिन अपने क्षेत्र में इनके द्वारा किया गया ये प्रयास कई लड़कियों को बाल विवाह जैसी कुरीतियों से बचाया गया है, और उन्हें शिक्षा के लिए आगे बढ़ाया है।
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महिमा पाण्डेय ने अपनी सहेली का रोका था बाल-विवाह देश के कई इलाकों में आज भी बाल विवाह प्रचलित है, खासकर लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है। वर्ष 2016 के नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के मुताबिक देश में तकरीबन 27 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र के पहले हो जाती है। जबकि वर्ष 2005 के नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में यह आंकड़ा तकरीबन 47 फीसदी था। यानि सिर्फ दस वर्षों में 18 साल से कम उम्र वाली लड़कियों की शादी में 20 फीसदी की गिरावट आई है। बाल विवाह में ये गिरावट भले ही दर्ज की गयी हो लेकिन अभी भी ये गम्भीर चिंता का विषय बना हुआ है।
इसलिए जाना जाता है मीना मंच
सर्वशिक्षा अभियान और यूनिसेफ का साझा कार्यक्रम मीना किशोरी लड़कियों के साथ लैंगिक भेदभाव, उनके स्वास्थ्य, अशिक्षा, बाल विवाह, बालश्रम जैसी कुरीतियों को रोकने के लिए मीना मंच का गठन किया गया है। उत्तर प्रदेश के छह जिलों में विश्व बाल दिवस के मौके पर यूनिसेफ द्वारा चलाये जा रहे प्रोग्राम में मीना मंच प्रेरक बच्चों ने अपने अनुभव साझा किये। मीना मंच कार्यक्रम सुन रहे बच्चे मीना की आदतों को अपनाने की कोशिश करते हैं जिससे उनके आसपास बदलाव हो सके। महिमा उस बदलाव की एक कड़ी है।
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बाल विवाह होने की मुख्य वजह अशिक्षा
वर्ष 2014 में आई यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व में 15.6 करोड़ पुरुषों की तुलना में करीब 72 करोड़ महिलाओं की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई। इनमें से एक तिहाई संख्या (लगभग 24 करोड़) भारतीय महिलाओं की है। बाल विवाह को लेकर इण्डिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के अनुसार 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 17 लाख भारतीय बच्चोँ में से 6 प्रतिशत बच्चे जो 10 से 19 की उम्र के बीच में हैं, शादीशुदा हैं। इनमें से बहुत से बच्चे अपने से कहीं बड़े व्यक्तियों के साथ शादी के बंधन में बंधे हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में शादीशुदा बच्चों की संख्या सबसे अधिक 2.8 मिलियन है।
अमित का कहना है, “स्कूल दूर होने की वजह से जिन लड़कियों की पढ़ाई रुक जाती है उनके लिए यूनीसेफ ‘नेशनल ओपन स्कूल’ की शुरुआत 20 जनपदों में वर्ष 2018 में करने वाला है। जिससे घर रहने वाली लड़कियां अपने आसपास पढ़ाई कर सकें जिससे उनका बाल विवाह रुक सके।”
श्रावस्ती जिला अधिकारी दीपक मीणा बाल-विवाह पर बात करते हुए श्रावस्ती जिला अधिकारी दीपक मीणा का कहना है, “बाल-विवाह सदियों पुरानी चल रही एक कुप्रथा है जिसे समाप्त होने में समय लगेगा। इन छात्राओं द्वारा रोके गये बाल-विवाह जिला स्तर पर ये बच्चे रोल माडल साबित होंगे। प्रशासन स्तर पर बाल विवाह रोकने के लिए गोष्ठियां की जा रही हैं, पर जब तक गाँव के लोग खुद जागरूक ओकर आगे नहीं आयेंगे तब तक बदलाव संभव नहीं है।”
सबसे ज्यादा बाल-विवाह हिन्दू धर्म में हो रहे
बाल विवाह की इस खाई में सबसे ज्यादा लड़कियों को ही झोंका जा रहा है। हिंदू समुदाय में करीब 70 लाख 84 हजार (65%) लड़कियों की शादी 10 साल की उम्र में ही करवा दी जाती है। मुस्लिम समुदाय में यह आंकड़ा 58.5 प्रतिशत है।
सेंसस के मुताबिक भारत में जैन समुदाय में लड़कियों की शादी की औसत उम्र 20.8 साल है, इसाइयों में 20.6 साल है, सिख महिलाओं की शादी 19.9 साल में की जाती है। हिंदू और मुस्लिम समुदाय में लड़कियों की शादी की औसत उम्र सबसे कम है 16.7 साल। ये आंकड़े सात राज्यों में सर्वे के आधार पर पेश किए गए हैं।
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80 प्रतिशत निरक्षर लड़कियों की हो जाती है कम उम्र में शादी
करीब 50 लाख चार हजार (44 प्रतिशत) शादीशुदा बच्चे निरक्षर हैं, इनमें भी 80 प्रतिशत लड़कियां है। इसका सीधा असर उनकी शारीरिक और मानसिक स्तर पर पड़ता है।
बाल-विवाह रोकने के लिए बने हैं कानून
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कैसे रोकें बाल विवाह
बाल विवाह को लेकर उत्तर प्रदेश के 33 जिलों की स्तिथि बहुत दयनीय है। जनपद श्रावस्ती में 82.9 फीसदी, महाराजगंज में 82.4 फीसदी, तथा बहराइच में 79 फीसदी बाल विवाह होता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक 15 साल में बाल-विवाह 11 फीसदी घटे हैं लेकिन ये रफ्तार अभी भी बहुत धीमी है।