‘सहकारिता ऋण तंत्र से किसानों को जोड़े रखने के लिए उपायों की जरुरत’

गाँव कनेक्शन | Jan 05, 2018, 21:36 IST

लखनऊ। “सहकारिता ऋण तंत्र से लघु एवं सीमांत किसानों को जोड़े रखने के लिए अब समुचित उपायों की जरुरत है। इतना ही नहीं, सहकारी बैंकों को न सिर्फ व्यवसाय विविधीकरण अपनाने की जरुरत है, बल्कि सूचना प्रद्योगिकी और मानव संसाधन प्रबंधन पर भी जोर देना होगा।“ यह विचार नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. हर्ष कुमार भनवाला ने लोगों के सामने रखे।

मार्च 2018 तक यूपी के सभी जिला सहकारी बैंक कंप्यूटरीकृत होंगे



डॉ. हर्ष कुमार भनवाला बैंकर ग्रामीण विकास संस्थान (BIRD), नाबार्ड और सहकारी संस्थाओं के उत्कृष्ठा केंद्र (CPEC) के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को आयोजित एक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे। इस मौके पर सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने इस विषय पर सकारात्मक चर्चा की सराहना करते हुए कहा, “सहकारिता ग्रामीण मानवीय जीवन का अभिन्न अंग है। ऐसे में सरकार का प्रयास है कि मार्च 2018 तक राज्य के सभी जिला सहकारी बैंक कंप्यूटरीकृत हो जाएंगे। इतना ही नहीं, नाबार्ड के सहयोग से राज्य सरकार सभी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के भी कम्प्यूटरीकरण करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है।“

सहकारी ऋण संस्थाओं की गतिविधियों में विविधीकरण समय की मांग

मंत्री मुकुट वर्मा ने आगे कहा, “प्राथमिक समितियों को नए व्यवसायों के बारे में चिंतन करना चाहिए और सहकारी ऋण संरचना के माध्यम से दीर्घकालिक कृषि क्षेत्र ऋण को 10 प्रतिशत से बढ़ा कर 30 प्रतिशत तक करने की आवश्यकता पर भी बल देना चाहिए।“ आगे कहा, “सहकारी ऋण संस्थाओं की गतिविधियों में विविधीकरण समय की मांग है और उसे समय के अनुरूप बदलना होगा।“

सहकारिता क्षेत्र के लिए मीन का पत्थर साबित होंगे

वहीं, नाबार्ड अध्यक्ष डॉ. हर्ष कुमार भनवाला ने कहा, “इस प्रकार का सेमिनार, जिसमें सहकारिता ऋण संरचनाओं की ओर से अपनाए जाने वाले उत्कृष्ट प्रथाओं पर चर्चा की जा रही हो, पहली बार देश में ऐसा सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस दो दिवसीय सेमिनार में हुई चर्चा से उभरे कार्य बिन्दु सहकारिता क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।“

15 राज्यों के सहकारिता संस्थाओं के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल

डॉ. डीवी देशपांडे, निदेशक, BIRD ने कहा, “इस सेमिनार में 15 राज्यों के सहकारिता संस्थाओं के वरिष्ठ प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जिससे अल्पकालिक सहकारिता ऋण संरचना से संबन्धित विभिन्न मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा संभव हो पाएगी।“ उदघाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्रों में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को विविध सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न प्रयास, ऋण मूल्य निर्धारण, CRAR प्रबंधन आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।

इस सेमिनार में आर. अमलोरपावनाथन, उप प्रबंध निदेशक, नाबार्ड, डॉ. डीवी देशपांडे, निदेशक, BIRD लखनऊ, डॉ. पीजे रंजीत, प्रधानाचार्य, नाबार्ड स्टाफ कॉलेज, एके पंडा, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड उत्तर प्रदेश, सरिता अरोरा, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड प्रधान कार्यालय मुंबई सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।



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