रक्षाबंधन पर स्कूल की रसोइया को उपहार में शौचालय देकर प्रिंसिपल ने पेश की मिसाल

गाँव कनेक्शन | Aug 25, 2018, 10:08 IST
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लखीमपुर (उत्तर प्रदेश)। किसी बहन के लिए रक्षाबंधन का इससे बेहतर कोई उपहार हो ही नहीं सकता। ये उपहार इसलिए भी बहुत खास है क्योंकि ये किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिए है। कन्यादेवी के साथ-साथ उनके घर का हर शख्स बहुत खुश है।

लखीमपुर जिले के ब्लॉक ईसानगर में स्थित गांव बालु पूरवा की निवासी फ़िरदौस फातिमा प्राथमिक विद्यालय बालु पूरवा में प्रधानाध्यापिका हैं, जिन्होंने अपने स्कूल में काम करने वाली रसोइया कन्यादेवी को बहन मानकर उपहार में शौचालय दिया है। ''हमारे गांव मे अधिकतर महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है। यह किसी भी महिला के लिए यह बहुत शर्म की बात होती है। कन्यादेवी के घर में भी शौचालय ना होने की वजह से मैनें उन्हे शौचालय देने की बात सोची'', फ़िरदौस ने बताया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल 87 फीसदी लोगों के घरों में शौचालय है जबकि प्रदेश में सात जिले खुले से शौच मुक्त हो चुके हैं।

लखीमपुर में 2014 में केवल 31 फीसदी लोग ही शौचालय का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा 82 फीसदी हो गया है। प्रदेश के लगभग 42 फीसदी गांव खुले से शौच मुक्त हैं।

कन्यादेवी ने गांव कनेक्शन बताया, ''घर में मेरे अलावा मेरी दो बेटियां और सास भी हैं। मेरी सास हमेशा बीमार रहती हैं, उन्हें बार-बार शौचालय के लिए घर से बाहर ले जाना पड़ता है, जिसके कारण बहुत परेशानी होती है। बेटियों को भी घर से बाहर शौच के लिए जाने मे शर्म आती है। घर में शौचालय ने होने से बहुत परेशानी झेलनी पड‍़ती है।''

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बालु पूरवा में शौचालय के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत जुलाई माह में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

''गांव मे आयोजित एक कार्यक्रम में राजेश सर (पूर्व बीआरसी और उच्च प्राथमिक संघ के अध्यक्ष) ने बताया कि जो अपने भाई अथवा बहन को रक्षाबंधन के अवसर पर शौचालय उपहार मे देगा/देगी उसे भाई नंबर 1 या बहन नंबर 1 बनाया जाएगा। इस प्रतियोगिता के दौरान मैंने सोचा कि क्यों न किसी ज़रूरतमंद बहन को ही शौचालय देकर बहन नंबर 1 बना जाए'', फ़िरदौस ने बताया।

फ़िरदौस ने आगे कहा ''स्कूल में काम करने वाली अन्य सभी महिलाएं शौचालय का प्रयोग करती हैं, लेकिन कन्यादेवी के घर में शौचालय नहीं होने के कारण उन्हें शौच जाने में परेशानी हुआ करती थी।" घर में शौचालय बनने से कन्यादेवी बहुत ख़ुश हैं। अपनी खु्शी जताते कहा, ''घर में शौचालय बन जाने से बेटियों को घर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। अम्मा को बार-बार बाहर भी नहीं ले जाना पड़ेगा।''

शेफाली त्रिपाठी



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