केंद्र सरकार का दावा: यूपी में 2 लाख 74 हजार रेहड़ी-पटरी वालों को मिला बिना गारंटी का 10 हजार रुपए का लोन
गाँव कनेक्शन | Oct 28, 2020, 07:04 IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अर्थव्यवस्था में स्ट्रीट वेण्डर्स का बड़ा योगदान रहा है और इससे बड़ी संख्या में पलायन रोकने में भी मदद मिल रही है।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। लखनऊ के विजय बहादुर ठेले पर लईया-चना लगाते थे लेकिन लॉकडाउन में सब बंद हो गया। उनके पास इतने पैसे भी नहीं बचे कि दोबारा काम शुरु कर सकें, इसी बीच उन्होंने स्ट्रीट वेंडर योजना में फार्म भरा और उन्हें बिना गारंटी का 10 हजार रुपए का लोन मिल गया।
विजय बहादुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी कहानी बताई। प्रधानमंत्री मंगलवार को इंटर्नेट के माध्यम से यूपी के स्ट्रीट वेण्डर्स आत्मनिर्भर योजना (पीएम स्वनिधि योजना) के लाभार्थियों से बात कर रहे थे।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत अब तक 7 लाख से अधिक पटरी दुकानदारों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जिसमें आधे से अधिक लगभग 3 लाख 70 हजार लोगों को ऋण स्वीकृत हो गया है। 2 लाख 74 हजार रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को इसके तहत ऋण मिल चुका है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश में ही लगभग 5 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के अन्तर्गत पटरी दुकानदारों को 10,000 रुपये तक का सिक्योरिटी फ्री लोन उपलब्ध कराया जाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि लाभार्थियों से बात करने पर पता चलता है कि बैंक खुद उनके पास पहुंचकर इस योजना का लाभ उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने बैंकों की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि इस योजना को सफल बनाने के लिए बैंक कर्मियों ने भी बहुत मेहनत की है। यह 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान रेहड़ी-पटरी और ठेले वालों के ऊपर रोजगार का संकट आ गया था। लेकिन सरकार उन्हें फिर से रोजगार मुहैया कराने की दिशा में लगातार लगी हुई थी, जिसके तहत यह योजना आई। कोरोना काल में गरीबों की सहायता के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू की गई। इसके तहत लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया।
पीएम प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद इस प्रकार की योजना पहली बार बनी है, जिसके केंद्र में रेहड़ी-पटरी वाले हैं और इसे तेजी से लागू किया जा रहा है। इसके कारण गरीबों को रोजगार में काफी मदद मिल रही है और यह गरीबों के श्रम का सम्मान है। इसके तहत इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि गरीबों को ऋण प्राप्ति में कोई दिक्कत न हो। ज्यादा से ज्यादा तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए उन्हें लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को लाभ लेने के लिए किसी गारन्टर, कागजी कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे बड़े पैमाने पर पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत पूरे देश में अब तक 25 लाख आवेदन मिले हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि इस योजना को लागू करने में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। इससे पता लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार गरीबों के प्रति कितनी संवेदनशील है। उन्होंने इस योजना के लाभार्थियों को अपने रेहड़ी-पटरी वाले साथियों और दुकानदारों से अधिक से अधिक जानकारी साझा करने की अपील की।
इस वर्चुअल बातचीत के दौरान इस योजना के लाभार्थियों ने अपने अनुभव भी साझा किये। वाराणसी के अरविन्द मौर्य ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे मोमोज बेचने का कार्य करते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनकी दुकानदारी पूरी तरह से बन्द हो गई, जितनी जमा-पूंजी थी, वह लॉकडाउन के लंबे अवधि के दौरान खर्च हो गयी। इसके बाद उनके पास फिर से दुकान खोलने के लिए पूंजी नहीं बची हुई थी। इस दौरान उन्हें इस योजना के बारे में पता चला और उन्हें 10,000 रुपये का लोन मिला। इसके बाद उनकी दुकानदारी फिर से सुचारु रूप से चलने लगी है।
इसी तरह राजधानी लखनऊ के विजय बहादुर ने बताया कि वे लॉकडाउन से पहले ठेले पर लईया-चना बेचने का काम करते थे। लॉकडाउन के दौरान उनका भी काम ठप पड़ गया और पूंजी समाप्त हो गई। इसके बाद उन्हें इस योजना के तहत लोन मिला और उनका कार्य फिर से चलने लगा है। अब उनकी दैनिक आय लगभग 250 रुपये है।
इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पटरी व्यवसायियों के लिए पहली बार ऐसी योजना लागू की गयी है, इसके लिए मैं प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 7 लाख से अधिक पटरी दुकानदारों ने इस योजना के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि 3 लाख 70 हजार से अधिक पटरी व्यवसायियों के ऋण स्वीकृत हुए हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि इन सभी को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जाए। प्रदेश का नगर विकास विभाग बैंकर्स के साथ मिलकर इस योजना को सफल बनाने के सारे प्रयास कर रहा है।
हालांकि विपक्ष ने केंद्र और यूपी सरकार के इन दावों पर निशाना साधा है। यूपी में विपक्ष के प्रमुख नेता और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा रेहड़ी-पटरीवालों को ऋण देने की बात भी कह रही है और आत्मनिर्भर बनाने की बात कर रही है। यह अपने आप में विरोधाभासी है कि ऋण देकर किसी को आत्मनिर्भर बनाने की बात की जा रही है। उन्होंने इसे 'झूठी मदद' कहा और कहा कि जितना इस योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिला उससे अधिक इसके प्रचार में ख़र्च कर दिया गया।
यह भी पढ़ें- रेहड़ी, खोमचे वाले भी होंगे डिजिटल
प्रवासी श्रमिकों के लिए नई नीति लाने की तैयारी में छत्तीसगढ़ सरकार, मजदूरों के बनाए जाएंगे डिजिटल कार्ड
विजय बहादुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी कहानी बताई। प्रधानमंत्री मंगलवार को इंटर्नेट के माध्यम से यूपी के स्ट्रीट वेण्डर्स आत्मनिर्भर योजना (पीएम स्वनिधि योजना) के लाभार्थियों से बात कर रहे थे।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत अब तक 7 लाख से अधिक पटरी दुकानदारों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जिसमें आधे से अधिक लगभग 3 लाख 70 हजार लोगों को ऋण स्वीकृत हो गया है। 2 लाख 74 हजार रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को इसके तहत ऋण मिल चुका है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश में ही लगभग 5 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के अन्तर्गत पटरी दुकानदारों को 10,000 रुपये तक का सिक्योरिटी फ्री लोन उपलब्ध कराया जाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि लाभार्थियों से बात करने पर पता चलता है कि बैंक खुद उनके पास पहुंचकर इस योजना का लाभ उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने बैंकों की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि इस योजना को सफल बनाने के लिए बैंक कर्मियों ने भी बहुत मेहनत की है। यह 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान रेहड़ी-पटरी और ठेले वालों के ऊपर रोजगार का संकट आ गया था। लेकिन सरकार उन्हें फिर से रोजगार मुहैया कराने की दिशा में लगातार लगी हुई थी, जिसके तहत यह योजना आई। कोरोना काल में गरीबों की सहायता के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू की गई। इसके तहत लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया।
पीएम प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद इस प्रकार की योजना पहली बार बनी है, जिसके केंद्र में रेहड़ी-पटरी वाले हैं और इसे तेजी से लागू किया जा रहा है। इसके कारण गरीबों को रोजगार में काफी मदद मिल रही है और यह गरीबों के श्रम का सम्मान है। इसके तहत इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि गरीबों को ऋण प्राप्ति में कोई दिक्कत न हो। ज्यादा से ज्यादा तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए उन्हें लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को लाभ लेने के लिए किसी गारन्टर, कागजी कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे बड़े पैमाने पर पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत पूरे देश में अब तक 25 लाख आवेदन मिले हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि इस योजना को लागू करने में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। इससे पता लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार गरीबों के प्रति कितनी संवेदनशील है। उन्होंने इस योजना के लाभार्थियों को अपने रेहड़ी-पटरी वाले साथियों और दुकानदारों से अधिक से अधिक जानकारी साझा करने की अपील की।
इस वर्चुअल बातचीत के दौरान इस योजना के लाभार्थियों ने अपने अनुभव भी साझा किये। वाराणसी के अरविन्द मौर्य ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे मोमोज बेचने का कार्य करते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनकी दुकानदारी पूरी तरह से बन्द हो गई, जितनी जमा-पूंजी थी, वह लॉकडाउन के लंबे अवधि के दौरान खर्च हो गयी। इसके बाद उनके पास फिर से दुकान खोलने के लिए पूंजी नहीं बची हुई थी। इस दौरान उन्हें इस योजना के बारे में पता चला और उन्हें 10,000 रुपये का लोन मिला। इसके बाद उनकी दुकानदारी फिर से सुचारु रूप से चलने लगी है।
इसी तरह राजधानी लखनऊ के विजय बहादुर ने बताया कि वे लॉकडाउन से पहले ठेले पर लईया-चना बेचने का काम करते थे। लॉकडाउन के दौरान उनका भी काम ठप पड़ गया और पूंजी समाप्त हो गई। इसके बाद उन्हें इस योजना के तहत लोन मिला और उनका कार्य फिर से चलने लगा है। अब उनकी दैनिक आय लगभग 250 रुपये है।
इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पटरी व्यवसायियों के लिए पहली बार ऐसी योजना लागू की गयी है, इसके लिए मैं प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 7 लाख से अधिक पटरी दुकानदारों ने इस योजना के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि 3 लाख 70 हजार से अधिक पटरी व्यवसायियों के ऋण स्वीकृत हुए हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि इन सभी को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जाए। प्रदेश का नगर विकास विभाग बैंकर्स के साथ मिलकर इस योजना को सफल बनाने के सारे प्रयास कर रहा है।
हालांकि विपक्ष ने केंद्र और यूपी सरकार के इन दावों पर निशाना साधा है। यूपी में विपक्ष के प्रमुख नेता और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा रेहड़ी-पटरीवालों को ऋण देने की बात भी कह रही है और आत्मनिर्भर बनाने की बात कर रही है। यह अपने आप में विरोधाभासी है कि ऋण देकर किसी को आत्मनिर्भर बनाने की बात की जा रही है। उन्होंने इसे 'झूठी मदद' कहा और कहा कि जितना इस योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिला उससे अधिक इसके प्रचार में ख़र्च कर दिया गया।
यह भी पढ़ें- रेहड़ी, खोमचे वाले भी होंगे डिजिटल
प्रवासी श्रमिकों के लिए नई नीति लाने की तैयारी में छत्तीसगढ़ सरकार, मजदूरों के बनाए जाएंगे डिजिटल कार्ड