ये वैक्सीन 57 लाख बच्चों को डायरिया से बचाएगी

Deepanshu Mishra | Sep 04, 2018, 13:32 IST
रोटावायरस दस्त के कारण गंभीर अवस्था में बच्चों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। कभी-कभी दस्त जानलेवा भी हो जाती है।
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लखनऊ। लखनऊ में उत्तर प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी द्वारा बच्चों को रोटा वायरस से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए पिलाई जाने वाली वैक्सीन का शुभांरभ किया।

रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, "रोटावायरस दस्त के कारण गंभीर अवस्था में बच्चों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। कभी-कभी दस्त जानलेवा भी हो जाती है। राज्य के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में आज एक नई वैक्सीन शामिल की जा रही है, जो रोटावासरस के कारण होने वाली गंभीर दस्त से सुरक्षा प्रदान कराएगी।"

"रोटा वायरस और इससे बचाव में प्रयोग की जाने वाली वैक्सीन के बारे में राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. ए.पी. चतुर्वेदी ने बताया, "प्रत्येक नवजात को जन्म के छठे, दसवें और चौदहवें सप्ताह में रोटा वायरस वैक्सीन की पांच बूंदे पेन्टा-एक, दो और तीन वैक्सीन के साथ पिलाई जानी है। अब उत्तर प्रदेश देश का ग्यारहवॉं ऐसा राज्य हो जायेगा, जो इस वैक्सीन को बच्चों को रोटा वायरस से पूर्ण प्रतिरक्षित करेगा।"

चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने कहा, "इस वैक्सीन से होने वाली मौतों में कमी आएगी। साथ ही इसका कुपोषण दर और विकास संकेतकों पर भी अच्छा असर पड़ेगा। यह वैक्सीन सबसे पहले भारत में नियमित प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत 2016 में ओडिसा में शुरू की गई थी, जिसके बाद इसे हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और झारखंड में दिया जाना शुरू किया गया।''

परिवार कल्याण विभाग की महानिदेशक नीना गुप्ता ने कहा, "मई 2018 तक 2.1 करोड़ से अधिक रोटावायरस वैक्सीन बच्चों को दी जा चुकी है। रोटावायरस वैक्सीन के शुरूआती दौर में, केवल पहली ओपीवी की खुराक और पेंटावेलेंट के लिए आने वाले शिशुओं को रोटावायरस की ड्रॉप दी जाएगी। रोटावायरस वैक्सीन की मदद से हर साल डायरिया से 57 लाख नवजात शिशुओं का बचाव किया जाएगा।"

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने कहा, "विश्व स्तर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों में नौ प्रतिशत और भारत में 10 प्रतिशत के लिए डायरिया जिम्मेदार है। आंकड़ों के हिसाब से रोटावायरस लगभग 40 प्रतिशत मध्यम से गंभीर डायरिया का कारण है, जिसके परिणाम स्वरूप देश में 5 साल से कम उम्र के लगभग 78,000 बच्चों की मौतें हुई हैं। डायरिया के हर मामले में भारतीय परिवारों की औसत वार्षिक आय का सात प्रतिशत खर्च होता है, जो कम आय वाले परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे धकेलता है। अनुमान लगाया गया है कि भारत हर साल रोटावायरस डायरिया के प्रबंधन पर 1,000 करोड़ रुपये खर्च करता है।"

यूनीसेफ के अमित मेहरोत्रा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर रोटावायरस बीमारी से निजात पाने के लिए ऐसा माना जाता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी देशों के राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम में इस वैक्सीन को शामिल करने की सिफारिश की गई है। 95 देशों में रोटावायरस वैक्सीन की शुरुआत हो गई है। जिन देशों में रोटावायरस वैक्सीन प्रारम्भ हो गई है वहां रोटावायरस के कारण अस्पताल में भर्ती और मृत्यु की दर में कमी दर्ज की गई है।

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