खेत में ही बर्बाद हो गई करेला की फसल, कमाई तो दूर लागत भी नहीं निकल पायी

Mohit Saini | Jun 26, 2020, 07:43 IST
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हापुड़ (उत्तर प्रदेश)। लीज पर जमीन लेकर करेला की फसल लगाई थी कि अच्छी कमाई हो जाएगी, लेकिन जब फसल तैयार हुई तो बाजार में सही दाम ही नहीं मिला। अब तो कमाई तो दूर मजदूरों की मजदूरी भी नहीं दे पा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर धनौरा गाँव के रहने वाले सुभाष त्यागी ने डेढ़ एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती की शुरुआत की थी। इस बार उन्होंने डेढ़ एकड़ में करेले की खेती की लेकिन सब बर्बाद हो गया। वो बताते हैं, "लाखों का माल खेत में सड़ रहा है, समस्या सबसे बड़ी आ रही है दाम न मिलना, 70 हजार रुपए का खर्च पूरा स्ट्रक्चर बनवाने में आया। इसमें बांस लोहे का तार आदि का खर्च और मजदूरी शामिल थी। दो हफ्ते से ज्यादा समय में स्ट्रक्चर बनकर तैयार हुआ था और जब जाकर फसल तैयार हुई, गरीब किसानों के लिए लॉकडाउन काल साबित हुआ।"

करेले का दाम न मिलने के कारण खेत को अपने हाल पर छोड़ दिया

सुभाष त्यागी आगे बताते हैं कि माल छोटी सब्जी मंडी से लेकर दिल्ली तक लेकर गया था, लेकिन दाम ही नहीं मिला वापस लाकर खेत में ही पटक दिया क्या करें मजबूर हैं, अब इसीलिए खेत को इसी हालत में छोड़ दिया पैसा नहीं है जेब में अब खेत को खाली करने लगे तो स्ट्रक्चर उखाड़ने में भी पैसा लगेगा, मजदूर लगेंगे। इसलिए अभी यूं ही छोड़ दिया है गाँव के कुछ लोग ही 10-20 रुपए का करेला ले जाते हैं।

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लाखों का करेला खेत मे ही बर्बाद हो रहा है

सुभाष त्यागी आगे बताते हैं अगर डेढ़ एकड़ के करेले का सही दाम मिल जाए तो डेढ़ लाख से ज्यादा का माल है, अब क्या करें मिलना तो कुछ है। खेत में यूं ही चल रहा है अब तो ऐसा हाल है कि खेत पर जाने का भी मन नहीं करता।

मजदूरी 450 रुपए की करेला 200 रुपए का

राजेंद्र सिंह बताते हैं, "मजदूरी 450 कि चल रही है जो दिनभर काम करते हैं। लेकिन करेला का दाम बहुत कम है 200 रुपए की पन्नी जा रही है जिसमें 250 रुपए भी अपनी जेब से देने पड़ रहे हैं, लाने व ले जाने का खर्च अलग से तो साहब हमें कुछ नहीं मिल रहा सब जेब से जा रहा है। इसलिए खेत यूं ही छोड़ दिया कर्ज लेकर पैसे लेंगे कही से जब जा कर खेत खाली होगा ।

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लॉकडाउन तो खुल गया मंडी तक खरीदार नहीं पहुंच रहे

राजेंद्र सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन तो खुल चुका है मंडी भी खुल गई है, लेकिन अभी भी ग्राहकों में डर का माहौल है। कहीं कोरोना ना हो जाए इसलिए मंडी तक ग्राहक नहीं पूछ रहा इसलिए हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या आ रही है माल नहीं बिक रहा बताओ जब ग्राहक आएगा तभी तो माल बिकेगा ऐसे में लाने ले जाने का खर्च भी अपनी जेब से देना पड़ रहा है या फिर मंडी में ही माल को छोड़ आते हैं।

70 हज़ार रुपए में तैयार हुआ था, लकड़ी का स्ट्रक्चर

सुभाष त्यागी आगे बताते हैं कि डेढ़ एकड़ जमीन पर तैयार हुआ लकड़ी का स्ट्रक्चर जिसमें 70 हज़ार से ज्यादा का खर्च आया था लोहे का तार और बॉस से बना यह स्ट्रक्चर तैयार हुआ था जिस पर करेले की बेल चलती है। बताओ इस फसल से 70 हजार का खर्च भी नहीं निकल पाया , इससे पहले आलू की फसल बोई थी वह ओलावृष्टि से खराब हो गई थी।

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