कोरोना से फीकी पड़ी रामपुर के खुरचन की मिठास, मिठाई बनाने वाले 1000 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट
Sachin Tulsa tripathi | Jul 18, 2020, 02:30 IST
कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन का प्रभाव जहां बड़े उद्योगों पर पड़ा तो वहीं छोटे व्यापार भी इससे प्रभावित हुए हैं। मध्य प्रदेश के सतना जिले का खुरचन व्यापार भी चौपट होने के कगार पर पहुंच चुका है। व्यापारी भी परेशान हैं।
- हाईवे की दुकानें भी छोड़ गए कारीगर और व्यापारी
- एक हजार से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी पर संकट
मध्य प्रदेश के सतना जिले के रामपुर बाघेलान नगर और इससे जुड़े आसपास के एक दर्जन से ज्यादा गांवों में खुरचन बनता है। दूध और पीसी चीनी को मिलाकर बनने वाली सतना की यह मिठाई पूरे प्रदेश में है। दुकानें हाईवे पर लगती हैं जिस कारण इसकी पहचान देश के दूसरे राज्यों में भी है। लगभग 80 सालों से इस क्षेत्र में खुरचन का व्यापार हो रहा है।
पीढ़ी दर पीढ़ी इस व्यापार से जुड़े 67 साल के गणेश पयासी कहते हैं " लॉकडाउन में तो हम लोगों की हालत इतनी पतली हो गई है कि कुछ पूछिए मत। अब चूंकि यह हम लोगों का बहुत पुराना व्यवसाय है खुरचन का और इससे हजारों लोग जुड़े हैं तो इसे बंद भी नहीं कर सकते। आज हालत यह है कि सब बंद है। दूध वाले तक परेशान हैं। अब आगे क्या होगा प्रभु जाने।"
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भले ही लोग खुरचन को रामपुर बाघेलान के नाम से जानते हों लेकिन इसकी असली शुरूआत सतना के ही नागौद नगर से हुई थी। व्यापार से जुड़े लोग बताते हैं कि स्वर्गीय रामचरण मिश्रा फौज से आने कर बाद बैलगाड़ी का काम करते थे। इस सिलसिले में नागौद आना जाना था। तब इनकी भेंट वहाँ के सेठ (नाम नहीं बता पाए) से हुई। जो खुरचन बनाते थे। यहां रामपुर बाघेलान के बस स्टैंड में सेठ दुद्धि के मिठाई की दुकान थी। जिसके लिए रामचरण खुरचन बनाया करते थे। इस तरह से ही रामपुर बाघेलान में खुरचन का व्यापार शुरू हुआ।
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