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मध्य प्रदेश: लॉकडाउन में खरीद न होने से सूख रही अफीम, किसानों को सता रहा लाइसेंस निरस्त होने का डर

Pushpendra Vaidya | May 03, 2020, 03:17 IST
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मंदसौर (मध्य प्रदेश)। लॉकडाउन के कारण इन दिनों मंदसौर जिले के अफीम किसान परेशान हैं। किसानों के घरों में पड़ी अफीम अब तक नारकोटिक्स विभाग में जमा नहीं हो पाई है। घर में पड़े रहने से अफीम की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है और उसका वजन कम हो रहा है। ऐसे में किसानों को औसत से कम अफीम होने पर लाइसेंस (पट्टा) निरस्त होने का डर सता रहा है।

मंदसौर जिले में लगभग 18 हजार जबकि मालवा क्षेत्र में लगभग 37 हजार से अधिक अफीम किसान हैं। इस वर्ष अफीम की अच्छी पैदावार हुई है। हर साल अप्रैल महीने में नारकोटिक्स विभाग किसानों से अफीम खरीद लेता है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण एक महीने से अफीम किसानों के घरों में ही पड़ी है। ऐसे में किसानों को लाइसेंस (पट्ठा) निरस्त होने का डर सता रहा है।

दरअसल समय के साथ-साथ घरों में पड़ी अफीम की प्रगाढ़ता खत्म होती जा रही है। ऐसी स्थिति में अफीम के सुख जाने की प्राकृतिक खूबी के चलते अफीम का वजन भी कम होता जा रहा है। ऐसे में किसानों का कहना है कि खरीदी देर से होने से अगर अफीम का औसत कम होता हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? पिछले कई सालों से अफीम किसानों की सरकार से लड़ाई लड़ते आ रहे अफीम किसान अमृतराम पाटीदार ने अपने पट्टे की अफीम की स्थिति बताते हुए गुहार लगाई है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द अफीम किसानों की चिंता कर अफीम ख़रीदी शुरू करें या गाइड लाइन जारी करें।

ये भी पढ़ें: आंध्र प्रदेश: कैंसर से नाना की मौत के बाद जैविक खेती करने वाले किसान का 'दर्द' लाखों किसान की कहानी है अफीम की खेती करने वाले किसान अमृत राम पाटीदार कहते हैं, "अफीम घरों में पड़ी सूख रही है। अफ़ीम में गाड़ापन आने लगा है जिससे का वज़न कम पड़ रहा है। साथ ही किसानों को डर है कहीं उनका अफीम का लाइसेंस (पट्ठा) निरस्त हो सकता है। अफीम तोल नहीं होने के कारण किसान काफी चिंतित और परेशान हैं। हर साल अफीम तोल का 20 अप्रैल तक पूर्ण हो जाता था लेकिन अभी तक तोल नहीं हुआ हैं।

भारत सरकार ने अभी तक अफ़ीम ख़रीदने की कोई नीति नहीं बनाई हैं। किसानो को यह डर हैं कि उनका अफ़ीम का लाइसेंस निरस्त ना हो जाये। इस मामले में अफ़ीम अधिकारी ग्वालियर और नीमच डीएनसी को सूचना दी हैं और आवेदन भी दे चुके हैं। जल्दी से जल्दी गाँव-गाँव से अफ़ीम के तोल को किया जा सकता हैं। किसानों का कहना कि है अफीम का कार्य एक माह पूर्व हो चुका हैं। अफीम घरों में पड़ी पड़ी सूख हैं जिससे अफ़ीम की मार्फ़िन की मात्रा कम हो रहीं हैं। ऐसे में औसत कम होने से अफ़ीम लाइसेंस (पट्टा कट) निरस्त हो जायेगा।

वहीं भाजपा सांसद सुधीर गुप्ता का कहना है कि मैं लगातार केंद्र सरकार के सम्पर्क में हूं। जल्द ही समाधान होगा।

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