मधुमक्खी पालन को बनाया कमाई का जरिया, करते हैं 200 से 250 कुंतल शहद का उत्पादन
Mohit Saini | Feb 03, 2020, 07:14 IST
मेरठ (उत्तर प्रदेश)। खेती में आमदनी न होने पर दोस्त की सलाह पर मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करने वाले रणवीर सिंह तोमर आज हर साल 200 से 250 कुंतल तक शहद का उत्पादन कर रहे हैं।
मेरठ मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर दूर रजपुरा ब्लाक के मऊखास गांव के रहने वाले रणवीर सिंह तोमर 1984 से पहले वह खेती करते थे, खेती में कुछ आमदनी नहीं थी। तो उनके मित्र ने सलाह दी क्यों ना आप मधुमक्खी पालन करें उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा आज 45 साल हो चुके हैं मधुमक्खी पालन करते हुए। वो बताते हैं, "हमारे पास उस समय 12 बीघा खेती थी जिसमें कुछ मुनाफा हमें मिलता नहीं था, एक साइकिल भी मजदूर आदमी के पास होती है लेकिन हमारे पास उस समय कुछ नहीं था आज इसी काम से हमारे पास दो गाड़ियां हैं अच्छा मकान है इतना ही नहीं हमने इसी काम से खेती भी खरीद ली है।"
रणवीर सिंह तोमर आगे बताते हैं कि हमने 1984 में 10 बॉक्स से मधुमक्खी पालन शुरू किया था वह भी सरकारी विभाग से मिले थे, उसके बाद उससे जो उत्पादन हुआ हमने बॉक्स बनाएं और फिर सरकारी अधिकारी ने अपने बॉक्स वापस ले लिए थे, लेकिन आज हमारे पास 1500 से अधिक बॉक्स हैं जिसमें हम मधुमक्खी पालन करते हैं, साल में 6 से 7 बार शहद का उत्पादन करते हैं , आज हमारे पास 200 से 250 कुंतल प्रतिवर्ष शहद बेच देते हैं।
रणवीर सिंह तोमर बताते हैं, "हम आज इस काम से प्रतिवर्ष 15 से 20 लाख रुपए कमा लेते हैं, सभी का खर्चा काटकर हमने किराए पर जगह लेकर अलग-अलग साइट लगा रखी है जहां पर मधुमक्खी पालन करते हैं , ट्रांसपोर्टेशन लोडिंग का खर्चा ज्यादा आता है उन्हें सब को हटाकर भी अच्छा मुनाफा मिल जाता है।"
कुछ साल पहले शहद का उत्पादन ज्यादा होता था आज कम होता हैं
रणवीर सिंह तोमर आगे बताते हैं कि पहले एक बॉक्स से एक कुंतल शहद निकल जाता था आज उत्पादन बहुत कम होता है बहुत बड़ा कारण है। क्योंकि पहले आसपास के खेतों में कोई उर्वरक नहीं डालते थे आज किसान भाई अपनी खेती में जहरीले पेस्टिसाइड डालते हैं जिससे हमारे मधुमक्खी मर भी जाती हैं और उत्पादन भी बहुत कम होता है।"
रणवीर सिंह तोमर आगे बताते हैं सबसे अच्छा उत्पादन गर्मी के महीने में होता है अच्छा उत्पादन भी मिलता है, लेकिन बरसात के मौसम में मधुमक्खी की देखभाल ज्यादा करनी होती है क्योंकि वर्षा के समय मधुमक्खी बाहर नहीं जा पाती जिसके कारण उत्पादन में कमी आ जाती है और मधुमक्खी का ध्यान भी रखना पड़ता है ।
रणवीर सिंह तोमर बताते हैं की पहले हमारे पास कम बॉक्स थे जिससे हम खुद ही काम कर लेते थे, लेकिन आज 15 जगह पर अलग-अलग गांव में मधुमक्खी पालन हो रहा है दर्जनों से अधिक लोगों को रोजगार भी मिला है और हमें अच्छा लगता है कि हम आज रोजगार देने लायक हुए ।
रणवीर सिंह तोमर आगे बताते हैं कि हमारा शहर अन्य राज्यों में भी जाता है लोगों को सीधा साइड से ही मिल जाता है और वह अपने सामने जब शहर निकलता है तो वहीं से खरीद कर ले जाते हैं क्योंकि आजकल अच्छी चीजें बहुत कम मिलती है इसीलिए दूर दराज से लोग हमारे यहां शहद लेने आते हैं।
रणवीर सिंह तोमर आगे बताते हैं कि आज सबसे बड़ी समस्या हमारे साथ यह आती है कि जो बड़ी कंपनियां है वह हम से सीधे संपर्क करते हैं और हमारे कम दामों में शहद को खरीदकर ले जाते हैं और अपना ब्रांड से अच्छे दामों में लोगों तक बेच देते हैं लेकिन हमारे शहद पर लोग विश्वास करते हैं और हम बिना ब्रांड के शहद को बेचते हैं।
मेरठ मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर दूर रजपुरा ब्लाक के मऊखास गांव के रहने वाले रणवीर सिंह तोमर 1984 से पहले वह खेती करते थे, खेती में कुछ आमदनी नहीं थी। तो उनके मित्र ने सलाह दी क्यों ना आप मधुमक्खी पालन करें उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा आज 45 साल हो चुके हैं मधुमक्खी पालन करते हुए। वो बताते हैं, "हमारे पास उस समय 12 बीघा खेती थी जिसमें कुछ मुनाफा हमें मिलता नहीं था, एक साइकिल भी मजदूर आदमी के पास होती है लेकिन हमारे पास उस समय कुछ नहीं था आज इसी काम से हमारे पास दो गाड़ियां हैं अच्छा मकान है इतना ही नहीं हमने इसी काम से खेती भी खरीद ली है।"
रणवीर सिंह तोमर आगे बताते हैं कि हमने 1984 में 10 बॉक्स से मधुमक्खी पालन शुरू किया था वह भी सरकारी विभाग से मिले थे, उसके बाद उससे जो उत्पादन हुआ हमने बॉक्स बनाएं और फिर सरकारी अधिकारी ने अपने बॉक्स वापस ले लिए थे, लेकिन आज हमारे पास 1500 से अधिक बॉक्स हैं जिसमें हम मधुमक्खी पालन करते हैं, साल में 6 से 7 बार शहद का उत्पादन करते हैं , आज हमारे पास 200 से 250 कुंतल प्रतिवर्ष शहद बेच देते हैं।
लागत निकालकर हो जाती है 15 से 20 लाख की कमाई
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कुछ साल पहले शहद का उत्पादन ज्यादा होता था आज कम होता हैं
बरसात के मौसम में मधुमक्खी की ज्यादा देखभाल करनी होती है
दर्जनों लोगों को भी मिला है रोजगार
अन्य राज्यों में भी जाता है शहद की है भारी डिमांड
रणवीर सिंह तोमर आगे बताते हैं कि आज सबसे बड़ी समस्या हमारे साथ यह आती है कि जो बड़ी कंपनियां है वह हम से सीधे संपर्क करते हैं और हमारे कम दामों में शहद को खरीदकर ले जाते हैं और अपना ब्रांड से अच्छे दामों में लोगों तक बेच देते हैं लेकिन हमारे शहद पर लोग विश्वास करते हैं और हम बिना ब्रांड के शहद को बेचते हैं।