किसानों के लिए मुसीबत बनी बारिश : लगातार हो रही बारिश से बर्बाद हो रही फसल
गाँव कनेक्शन | Sep 20, 2019, 06:35 IST
लगातार हो रही बारिश से बर्बाद हो रही फसल: पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश जहां धान जैसी फसलों के लिए फायदेमंद है तो दलहनी और सब्जियों की फसलों के लिए मुसीबत भी बन गई है।
वीरेंद्र सिंह/मोहित शुक्ला, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
सीतापुर/बाराबंकी। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश जहां धान जैसी फसलों के लिए फायदेमंद है तो दलहनी और सब्जियों की फसलों के लिए मुसीबत भी बन गई है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के दुन्दपुर गाँव के किसान रामचन्द्र वर्मा कहते हैं, "हमने लालमति किस्म का धान लगाया है, फसल पूरी तरह से तैयार होने को है, लेकिन पिछले रात पानी और हवाओं ने पूरी फसल चौपट कर दी है। हमारे क्षेत्र के कई किसानों के धान की फसल जमीन में गिर गई है और खेतों में पानी भरा है जिससे धान की फसल चौपट हो गई है।
वहीं सब्जी की खेती करने वाले सुशील मौर्य बताते हैं, "हमने गोभी की खेती एडवांस की थी उम्मीद थी की हमारा फूल बाजार में सबसे पहले आएगा और हमें अच्छे पैसे मिलेंगे लेकिन लगातार बरसात होने से पूरी फसल चौपट कर दी है। खेतों में पानी भर जाने से फूलगोभी की खेती बर्बाद हो गई पेड़ सूखने लगे हैं।"
लगातार एक हफ्ते से हो रही बरसात के कारण लता वाली सब्जियां लौकी तोरई, कद्दू, करेला, के खेतों में पानी भर जाने से पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। जिससे फसल नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई। इस समय क्षेत्र में दलहनी फसल के लिए उड़द की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही थी और ये समय फ्लावरिंग का होता है और इस समय लगातार बरसात के कारण उड़द की फसल भी चौपट हो गई है।
सीतापुर में गन्ना की खेती करने वाले किसान बबलू मिश्रा कहते हैं, "बहुत तेज हवा के साथ बारिश हुई, गन्ना गीला होने के बाद जब हवा आयी तो गन्ना पूरी तरह से खेत में बिछ गया, गन्ना गिरने से ये नुकसान हुआ कि अगर गन्ने को 24 घंटे के अंदर खड़ा न किया गया तो वो टेढ़ा हो जाता है, उसके बाद उसे बांधना मुश्किल हो जाता है, और आगे जब मौसम सही होता है तो लेबर नहीं मिल पाते हैं और गन्ना गिरने से बहुत नुकसान हो जाता है।
वो आगे बताते हैं, "पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था, एक एकड़ में गन्ना गिर गया था तो बहुत अच्छा गन्ना था जिसमें तीन-चार सौ कुंतल गन्ने का उत्पादन होता, लेकिन उसमें सिर्फ 130 कुंतल गन्ने की उपज हो पायी थी, जब गन्ना गिरता है तो नीचे सड़न पैदा हो जाती है, उनकी वृद्धि रुक जाती है, कई बार जब गन्ना छीलते हैं तो वो एकदम सूखा लिकलता है जिस तरह से पानी बरस रहा है धान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है, अगर और पानी बरसेगा तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।"
मढ़ई पुरवा के गन्ना किसान अचल मिश्रा कहते हैं, "तेज हवा व बारिश के चलते करीब चालीस बीघा गन्ने की फसल पलट गई है। जहां हम एक एकड़ में साढ़े सात सौ के आसपास गन्ना पैदावार होती थी, वहीं गिर जाने की वजह से करीब पंद्रह फीसद से बीस फीसद गन्ने की पैदावार कम हो जायेगी। वहीं गन्ना गिर जाने की वजह से चूहे व जंगली सूअर अलग खाना शुरू कर देंगे क्योंकि जनपद में सब से ज़्यादा 0238 कोशा की बुवाई अधिक होती है।"
सीतापुर/बाराबंकी। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश जहां धान जैसी फसलों के लिए फायदेमंद है तो दलहनी और सब्जियों की फसलों के लिए मुसीबत भी बन गई है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के दुन्दपुर गाँव के किसान रामचन्द्र वर्मा कहते हैं, "हमने लालमति किस्म का धान लगाया है, फसल पूरी तरह से तैयार होने को है, लेकिन पिछले रात पानी और हवाओं ने पूरी फसल चौपट कर दी है। हमारे क्षेत्र के कई किसानों के धान की फसल जमीन में गिर गई है और खेतों में पानी भरा है जिससे धान की फसल चौपट हो गई है।
वहीं सब्जी की खेती करने वाले सुशील मौर्य बताते हैं, "हमने गोभी की खेती एडवांस की थी उम्मीद थी की हमारा फूल बाजार में सबसे पहले आएगा और हमें अच्छे पैसे मिलेंगे लेकिन लगातार बरसात होने से पूरी फसल चौपट कर दी है। खेतों में पानी भर जाने से फूलगोभी की खेती बर्बाद हो गई पेड़ सूखने लगे हैं।"
लगातार एक हफ्ते से हो रही बरसात के कारण लता वाली सब्जियां लौकी तोरई, कद्दू, करेला, के खेतों में पानी भर जाने से पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। जिससे फसल नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई। इस समय क्षेत्र में दलहनी फसल के लिए उड़द की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही थी और ये समय फ्लावरिंग का होता है और इस समय लगातार बरसात के कारण उड़द की फसल भी चौपट हो गई है।
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सीतापुर में गन्ना की खेती करने वाले किसान बबलू मिश्रा कहते हैं, "बहुत तेज हवा के साथ बारिश हुई, गन्ना गीला होने के बाद जब हवा आयी तो गन्ना पूरी तरह से खेत में बिछ गया, गन्ना गिरने से ये नुकसान हुआ कि अगर गन्ने को 24 घंटे के अंदर खड़ा न किया गया तो वो टेढ़ा हो जाता है, उसके बाद उसे बांधना मुश्किल हो जाता है, और आगे जब मौसम सही होता है तो लेबर नहीं मिल पाते हैं और गन्ना गिरने से बहुत नुकसान हो जाता है।
वो आगे बताते हैं, "पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था, एक एकड़ में गन्ना गिर गया था तो बहुत अच्छा गन्ना था जिसमें तीन-चार सौ कुंतल गन्ने का उत्पादन होता, लेकिन उसमें सिर्फ 130 कुंतल गन्ने की उपज हो पायी थी, जब गन्ना गिरता है तो नीचे सड़न पैदा हो जाती है, उनकी वृद्धि रुक जाती है, कई बार जब गन्ना छीलते हैं तो वो एकदम सूखा लिकलता है जिस तरह से पानी बरस रहा है धान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है, अगर और पानी बरसेगा तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।"
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मढ़ई पुरवा के गन्ना किसान अचल मिश्रा कहते हैं, "तेज हवा व बारिश के चलते करीब चालीस बीघा गन्ने की फसल पलट गई है। जहां हम एक एकड़ में साढ़े सात सौ के आसपास गन्ना पैदावार होती थी, वहीं गिर जाने की वजह से करीब पंद्रह फीसद से बीस फीसद गन्ने की पैदावार कम हो जायेगी। वहीं गन्ना गिर जाने की वजह से चूहे व जंगली सूअर अलग खाना शुरू कर देंगे क्योंकि जनपद में सब से ज़्यादा 0238 कोशा की बुवाई अधिक होती है।"