सुअर पालन से हर महीने एक से दो लाख की कमाई

Mohit Saini | Dec 31, 2019, 12:37 IST
#pig farming
मेरठ(उत्तर प्रदेश)। सुअर पालन से हर महीने की आमदनी एक लाख से दो लाख रुपए तक सु... सुनकर भरोसा नहीं होगा, लेकिन सेना का यह रिटायर जवान हर महीने इतना कमाता है। दस साल पहले शुरू हुआ ये पिग फार्म आज मेरठ जिले का सबसे बड़ा फार्म बन गया है।

मेरठ जिला मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर राजपुरा ब्लॉक के सिसौली गाँव में सेना से रिटायर फौजी मुनेश कुमार ने 10 साल पहले पिग फार्म खोला था, आज मेरठ के सबसे बड़े और सबसे पुराने पिग पालक हैं। वो बताते हैं, "सेना में 22 साल नौकरी करने के बाद सोचा कुछ काम करना चाहिए, दिमाग मे पिग फार्म का आया तो खोल लिया, जब खोला था तो लोग अलग निगाह से देखते थे क्योंकि उन्हें लगता था ये काम बहुत गन्दा है, लेकिन मैं सबको नकारते हुए चला गया आज मेरठ का सबसे पुराना पिग फार्म है।"

वो आगे बताते हैं, "व्यापार कुछ भी हो सकता है लेकिन है तो कमाई का जरिया ही जो लोग इस काम को गलत सोचते थे आज वो ही मुझसे इस काम की जानकारी लेने आते हैं, देखते ही देखते आज मेरठ में लगभग 20 से 25 फार्म हैं। जब मैंने ये काम शुरू किया था 10 बच्चों से शुरुआत की थी, लेकिन आज मेरे पास 250 से अधिक छोटे बड़े जानवर हैं, मेरे पास पिग की 3 प्रजाति है जो विदेशी ब्रीड है, योकशायर , लेंडर्स , डुरोक्स, लोगों की काफी डिमांड इन्हीं की होती है।"

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सालाना हो जाती है 12 से 20 लाख की कमाई

मुनेश कुमार बताते हैं, "साल में अगर हम लगाए तो 12 से 20 लाख रुपए इस काम में कहीं नहीं गए दूसरे व्यापार से अच्छा व्यापार है, लागत कम मुनाफ़ा ज्यादा मिलता है। काम कुछ भी है तो काम ही, 12 से 15 हजार रुपए तक एक जानवर चला जाता हैं।"

पिग फार्म की साफ-सफाई का रखा जाता है विशेष ध्यान

मुनेश कुमार बताते हैं, "हमारे फार्म में कोई भी आता है तो उसे लगता ही नहीं है कि यहां पिग पालन होता है। सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, इंफेक्शन फैलने का खतरा हो सकता है, जिसके कारण बीमारी फैलने का डर होता हैं, और दूसरी बात सेना से रिटायर हूं तो पहले से ही सफाई का शौक रहा है।"

पिग को होटल वेस्टेज नहीं सूखा चारा खिलाते हैं

मुनेश कुमार बताते हैं, "हम जानवरों को होटल वेस्टेज नहीं खिलाते हम ड्राई राशन खिलाते हैं, उसमें प्रोटीन मक्का, सोयाबीन, मिनरल फिक्चर, गेंहू , चोकर, बाजरा का मिश्रण होता है, जिसे हम जानवर को दिन में दो बार डालते हैं, होटल वेस्टेज इसलिए नहीं खिलाते क्योंकि उसे लोग लेना पसंद नहीं करते यह तो एक तरह दूसरे जानवरों की तरह ही खाना मिलता है।"

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बड़े जानवरों के लिए अलग ड्राई फ़ीड होता है छोटे जानवरों के लिए अलग

मुनेश कुमार बताते हैं कि जो सबसे छोटे जानवर होते हैं उन्हें हम प्री स्टार्टर देते है उन से बड़े होते है तो स्टार्टर खिलाते हैं। 20 किलो के जब हो जाते हैं तो ग्रोवर दिया जाता हैं। 70 किलो से जब जानवर बड़ा हो जाता है तो उन्हें फिनिशर दिया जाता हैं, सबको अलग ड्राई फ़ीड दिया जाता है इनके खाने का सामान मुज्जफरनगर जनपद से मिलता हैं मेरठ में कम मिलता है और महंगा भी।

सात लोगों को दिया है रोज़गार

मुनेश कुमार बताते हैं, "हमने अपने फार्म पर सात लोगों को रोजगार दिया है, जिसमें एक तो परिवार ही है जो फार्म पर ही रात को देखरेख करते हैं, साफ़-सफ़ाई के लिए भी अलग से एक व्यक्ति को रोजगार दिया है, बाक़ी के लोग खाना - दाना को ले जाने लाने वाले लोग हैं।"


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