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एमपी : बैतूल जिले में अब साल भर मिलेगा तोतापरी किस्म का आम

Rashmi Vaidya | Sep 04, 2019, 12:56 IST
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बैतूल(मध्य प्रदेश)। जल्द ही जिले के किसानों को तोतापरी आम की किस्म का साल भर आम का उत्पादन मिलेगा। पांच सौ अधिक किसानों को आम की खेती का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

दो बड़ी कंपनियों ने जिले के पांच सौ किसानों के करीब एक हजार एकड़ ज़मीन में तोतापरी आम के पौधे लगाने का अनुबंध किया है। इसमें बारहमासी फ़ल आएंगे और किसानों से कम्पनी उन्हें तय दाम पर खरीदेगी। इसके लिए किसानों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

बैतूल जिले के उद्यान विभाग की उपसंचालक आशा उपवंशी बताती हैं, "खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से बैतूल जिले के 500 से ज़्यादा चिन्हित किसानों की एक हजार एकड़ से ज़्यादा कृषि भूमि में 12 मासी तोतापरी आम की प्रोसेसिंग वैरायटी लगाई जा रही है। हाइजेनिक तरीके से देखभाल कर आम की वैरायटी के इन पौधों से आगामी चार से पांच साल बाद किसानों को आमदनी होने लगेगी। पौधों की देखरेख के लिए किसानों को पांच दिवसीय ट्रेनिंग भी दी जा रही है।"

जैन एरिगेशन कंपनी किसानों से आम खरीद कर उसका पल्प बनाकर कोका कोला कंपनी को देगी। कोका कोला इससे पेय पदार्थ माजा बनाएगी। प्रदेश सरकार की यह योजना अगर सफल हो जाती है तो आने वाले वर्षो में प्रदेश के चिन्हित तीन में से किसी एक जिले में माजा की प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है।

किसान हीरालाल जी कहते हैं, "हम चाहते हैं कि पौधे जल्द फल देने लग जाए और इनकम शुरू हो जाए। हमको ट्रेनिंग भी दी जा रही है।"

बीते महीने मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में मुख्य सचिव तथा जैन इरिगेशन व कोकाकोला कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में यह तय किया गया था कि उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए निजी क्षेत्रों से सहयोग लिया जायेगा। जैन इरिगेशन ने आम की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में रुचि ली। कान्ट्रेक्ट फार्मिंग के तहत जैन इरिगेशन आम की उन्नत वेराइटी तोतापरी के पौधे उपलब्ध कराएगा। कम्पनी ही तय दामों पर किसानों से आम भी खरीदेगी। ताकि किसानों को आम की मार्केटिंग के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

पिछले वर्ष 250 एकड़ में बगीचे लगाए गए थे जबकि इस साल 1000 एकड़ में बगीचे लगाए जाएंगे। आम के पौधे तीन साल में फल देने लग जाएंगे और 4 से 5 सालों में इनसे किसानों को इनकम चालू हो जाएगी। अभी 16 किसानों को जलगांव ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है। आगे जिले के बाकी किसानों को भी जलगांव और कोयंबटूर प्रशिक्षण के लिए भेजा जायेगा। आने वाले वर्षो में प्रोसेसिंग उत्पाद का एरिया बढ़ जाता है तो कंपनी इस संभाग में ही कहीं प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकती है।


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