पर्यावरण बचाने के लिए ग्रामीणों की अनोखी पहल

Ankit Kumar Singh | Jul 18, 2019, 13:59 IST
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तरभ (मेहसाणा )। पृथ्‍वी पर वृक्ष का सम्बन्ध मानव से कुछ सालों या कुछ दशकों का नहीं बल्कि युगों का है। मगर आज बदलते समय के साथ और मनुष्य की बढ़ती आकांक्षाओं ने प्रकृति को तहस नहस कर दिया है। जिसमें वृक्ष सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। लोग पेड़ों के न होने वाले नुकसान को भली भांति जानते है फिर भी पौधों को काट कर घर, उद्योग व अनेक काम कर रहे हैं। इन सबके बीच एक गाँव लोगों के मिशाल बना हुआ है।

गुजरात राज्य की राजधानी गाँधीनगर से लगभग 100 किलोमीटर दूर मेहसाणा जिले के विसनगर तालूका के तरभ गाँव में हरियाली ही हरियाली है। यहां के लोग अपने गाँव को हरा भरा करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने में लगे हुए हैं। वे यह कार्यक्रम पिछले 5 सालों से चल रहे हैं।

गाँव के प्रवेश द्वार पर लगे वृक्षों से राहगीरों को आराम मिलता है। इस गाँव का कोई भी रास्ता या गली नहीं है जहां पेड़ लगे न हो। तरभ गाँव की जनसंख्या लगभग दस हजार के आसपास है। वहीं यहाँ का मुख्य जीविकोपार्जन का साधन खेती और पशुपालन है।

गाँव के कमलेश चौधरी जो पेशे से शिक्षक हैं, उनका कहना है कि आजकल तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है और गर्मी बढ़ रही है| वर्षा भी बहुत कम हो रही है। जिसके प्रभाव से आज पूरी दुनिया जूझ रही है। पांच साल पहले गाँव के जागरुक लोगों ने यह सोचा की आखिर इस गर्मी से निजात कैसे मिले, तब हमने यह पाया की इसका एक ही इलाज है कि पेड़ पौधे अधिक से अधिक लगाए जाएं।

इसे देखते हुये गाँव के युवाओ ने मिलकर इस काम में अपना योगदान देना शुरू किया। शुरूआती समय में पेड़ लगाने में काफी परेशानी हुई। मगर हम हार नहीं माने और इस अभियान को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहे हैं। आज पूरे गाँव में हरियाली देखने को मिल रही है और हमारा प्रयास भी जारी है।

इस काम में अब लोगों का साथ मिल रहा है। यह एक छोटा प्रयास है, इससे हम तापमान की वृद्धि को पूरी तरह रोक नहीं सकते। अगर पूरा देश पेड़ लगाने का काम शुरु कर दे तो बढ़ते तापमान को काफी हद तक रोका जा सकता है।

इस गाँव की सबसे खास बात यह है कि यहां हर घर के सामने एक पेड़ जरूर मिलेगा। वही लोग अपने खेतों में भी पेड़ लगा रहे हैं साथ ही इस गाँव में कोई उत्सव हो या बच्चा पैदा हो तो गाँव के युवा संगठन उनके घर जाकर पेड़ दान करते है। इस गाँव में अभी तक छोटे बड़े पेड़ों को मिलाकर लगभग 6 हजार तक पेड़ लगाये जा चुके है।

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