कुछ ऐसे समाज भी हैं जहां किसी ने रेप की कल्पना तक नहीं की
Janaki Lenin | Aug 21, 2018, 09:43 IST
जानकी लेनिन एक लेखक, फिल्ममेकर और पर्यावरण प्रेमी हैं। इस कॉलम में वह अपने पति मशहूर सर्प-विशेषज्ञ रोमुलस व्हिटकर और जीव जंतुओं के बहाने पर्यावरण के अनोखे पहलुओं की चर्चा करेंगी।
थॉर्नहिल और पामर की किताब, ए नेचुरल हिस्ट्री ऑफ रेप के मुताबिक, पुरुष तब रेप करते हैं जब उन्हें सेक्स की कमी महसूस होती है। इस लिहाज से रेप इस कमी को पूरा करने के लिए एक यौन रणनीति है; मतलब यह एक जन्मजात या सहज प्रवृत्ति है। यह विचार नारीवादियों के तर्क का खंडन करते हुए ऐलान करता है कि रेप का प्रभुत्व और सत्ता से कोई लेना देना नहीं है यह विशुद्ध सेक्स से संबंधित है।
विकासवादी जीवविज्ञानी जेरी कोयने ने इस किताब की कड़ी आलोचना करते हुए इसे विकासवादी मनोविज्ञान की सबसे घटिया परिणति कहा है। वह कहते हैं, "रेप एक मनोविकार है यह प्राकृतिक नहीं है।" तब क्या सभी बलात्कारी मनासिक रोगी होते हैं? हालांकि, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां पीड़ित के दर्द, तकलीफों को देखकर बलात्कारी को यौन सुख मिलता है, दिल्ली में हुए मामले में ऐसा ही था, लेकिन रेप के अधिकतर मामले ऐसे होते हैं जिनमें रेप करने वाला सामान्य व्यक्ति होता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में हुए अध्ययन बताते हैं (भारत में इस तरह के अध्ययनों की कमी है) कि मनोविकारों के स्तर पर एक बलात्कारी और सामान्य व्यक्ति में कोई भेद नहीं होता। इसके अलावा रेप की घटनाएं इतनी आम हो चुकी हैं कि उनके बारे में यह विचार रखना कि केवल सनकी या पागल ही रेप करते हैं, ठीक नहीं होगा।
कनाडा और अमेरिका में किए गए अध्ययन बताते हैं कि रेप करने वाले पुरुष दूसरे पुरुषों की तुलना में सेक्स के मामले में ज्यादा अनुभवी होते हैं। इससे यह धारणा गलत साबित होती है कि रेप वही करते हैं जिन्हें यौन संबंध बनाने का अवसर नहीं मिलता। इससे थॉर्नहिल और पामर की वह अवधारणा भी खारिज होती है कि रेप का संबंध सिर्फ और सिर्फ सेक्स से है।
थॉर्नहिल और पामर की किताब छपने के बाद ऐसा माहौल बन गया था कि जीवविज्ञानी विकासवादी मनोवैज्ञानिकों से नफरत करने लगे थे। दूसरी तरफ समाजशास्त्रियों के गले के नीचे यह बात नहीं उतर रही थी कि मानव समाज में रेप की भावना के विकास का कोई इतिहास हो सकता है। दोनों पक्ष अपना-अपना तर्क दे रहे थे। तब क्या रेप का सबंध सेक्स से है या सत्ता से? क्या यह सीखा हुआ व्यवहार है या नैसर्गिक प्रवृत्ति?
पर अगर रेप पुरुष का नैसर्गिक या सहज व्यवहार होता तो सभी मानव समाजों में पाया जाता। लेकिन मानव विज्ञानी पैगी सैंडे ने अपने अध्ययन में पाया कि वह जिन 95 मानव समाजों को जानती थीं उनमें से 45 में रेप की घटनाएं दुर्लभ हैं। केवल 17 में रेप होना आम है, शेष 33 दूसरे समाजों में इसकी छिटपुट घटनाएं तो होती हैं पर पैगी को इससे ज्यादा जानकारी नहीं मिली।
एक दूसरे मानवशास्त्री वेरियर एल्विन के मुताबिक, मध्य भारत की गोंड जनजाति में रेप नहीं होता। इसी तरह मानवशास्त्री जिल नैश ने बताया कि पापुआ न्यू गिनी के पास स्थित बोगनविलिया द्वीप में रहने वाली नागोविसी जनजाति के लोग तो रेप की कल्पना भी नहीं कर सकते।
नागोविसी और गोंड जैसी संस्कृतियों में रेप की गैर मौजूदगी की व्याख्या हम कैसे करेंगे? इन समाजों के पुरुष अपनी यौन भूख को कैसे शांत करते होंगे?
इन संस्कृतियों में कुछ बातें समान हैं, जैसे: न केवल कबीलों के भीतर के मामले सुलझाने में बल्कि दूसरे कबीलों से हुए विवादों में भी हिंसा का कम से कम इस्तेमाल, मर्दानगी का कोई महिमामंडन नहीं और महिलाओं को आदर देना।
पर कुछ ऐसी जनजातियों के भी उदाहरण हैं जिनमें हिंसा तो होती है लेकिन रेप नहीं होता। उत्तरी अमेरिका में इरक्वो नाम का एक योद्धा जनजातियों का समूह था जो दूसरी जनजातियों को युद्ध में हराकर अपने क्षेत्र का विस्तार करता था। जब यूरोपियन पहली बार उत्तरी अमेरिका आए तो वे यह देखकर हैरान रह गए कि इरक्वो योद्धा महिलाओं के प्रति बहुत अधिक सम्मान का भाव रखते थे। यहां तक कि बंदी बनाई हुई महिलाओं के प्रति भी सम्मान का प्रदर्शन किया जाता था। यूरोपियन लोग इस नतीजे पर पहुंचे कि इरक्वो इसलिए रेप नहीं करते क्योंकि उनके भीतर सेक्स को लेकर बहुत कम इच्छा होती है।
इन समाजों में बलात्कारियों को दिए जाने वाला कठोर दंड तो कहीं वह कारण नहीं था जो इन्हें रेप करने से रोकता था?
इंडोनेशिया की एक जनजाति है मिनांग्काबाउ। इसके बारे में पैगी सैंडे ने लिखा है, "यहां रेप करने वालों की मर्दानगी का मजाक उड़ाया जाता है, रेप करने वाले को हमेशा के लिए कबीले से निकाला भी जा सकता है यहां तक कि उसकी हत्या तक कर दी जाती है।"
मेस्क्लैरो अपाचे नाम की जनजाति दक्षिण पश्चिमी अमेरिका में रहा करती है। इसके बारे में बात करते हुए मानवविज्ञानी क्लेयर फेरर कहती हैं, "इस जनजाति में रेप करना कायरता की हरकत माना जाता है। रेप करने वाला शख्स कहीं अपना चेहरा नहीं दिखा पाता यहां तक कि उसे इंसान कहने लायक भी नहीं समझा जाता।"
दुनिया के देशों में बलात्कार के आंकड़ों और उनके ऊपर बने कानूनों की तुलना करना मुश्किल काम है क्योंकि हर देश में रेप की परिभाषा अलग-अलग है। बहुत से देशों में रेप की घटनाओं की शिकायत तक नहीं की जाती। पर ऐसे असंख्य मामले हैं जहां युद्ध और दंगों के समय कानून-व्यवस्था भंग होने पर पुरुषों ने रेप किए, क्योंकि उन्हें पकड़े जाने का डर नहीं था। पर सवाल फिर वही है कि उन्होंने ऐसा किया ही क्यों?
विकासवादी जीवविज्ञानी इसे दो संदर्भों में देखते हैं: निकटवर्ती और दूरगामी। यह मुमकिन है कि रेप के पीछे दूरगामी कारक हों सेक्स और वंशवृद्धि करना ये जैविक कारक हैं, जबकि समाजशास्त्रीय नजरिए से देखा जाए तो महिला पर प्रभुत्व जमाना रेप का निकटवर्ती प्रेरक तत्व हो सकता है। लेकिन ये दोनों विचारधाराएं भी फिट नहीं बैठती हैं।
यह भी देखें: आखिर तेंदुए क्यों बन जाते हैं आदमखोर?
(ये जानकी लेनिन के निजी विचार हैं।)
विकासवादी जीवविज्ञानी जेरी कोयने ने इस किताब की कड़ी आलोचना करते हुए इसे विकासवादी मनोविज्ञान की सबसे घटिया परिणति कहा है। वह कहते हैं, "रेप एक मनोविकार है यह प्राकृतिक नहीं है।" तब क्या सभी बलात्कारी मनासिक रोगी होते हैं? हालांकि, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां पीड़ित के दर्द, तकलीफों को देखकर बलात्कारी को यौन सुख मिलता है, दिल्ली में हुए मामले में ऐसा ही था, लेकिन रेप के अधिकतर मामले ऐसे होते हैं जिनमें रेप करने वाला सामान्य व्यक्ति होता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में हुए अध्ययन बताते हैं (भारत में इस तरह के अध्ययनों की कमी है) कि मनोविकारों के स्तर पर एक बलात्कारी और सामान्य व्यक्ति में कोई भेद नहीं होता। इसके अलावा रेप की घटनाएं इतनी आम हो चुकी हैं कि उनके बारे में यह विचार रखना कि केवल सनकी या पागल ही रेप करते हैं, ठीक नहीं होगा।
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कनाडा और अमेरिका में किए गए अध्ययन बताते हैं कि रेप करने वाले पुरुष दूसरे पुरुषों की तुलना में सेक्स के मामले में ज्यादा अनुभवी होते हैं। इससे यह धारणा गलत साबित होती है कि रेप वही करते हैं जिन्हें यौन संबंध बनाने का अवसर नहीं मिलता। इससे थॉर्नहिल और पामर की वह अवधारणा भी खारिज होती है कि रेप का संबंध सिर्फ और सिर्फ सेक्स से है।
थॉर्नहिल और पामर की किताब छपने के बाद ऐसा माहौल बन गया था कि जीवविज्ञानी विकासवादी मनोवैज्ञानिकों से नफरत करने लगे थे। दूसरी तरफ समाजशास्त्रियों के गले के नीचे यह बात नहीं उतर रही थी कि मानव समाज में रेप की भावना के विकास का कोई इतिहास हो सकता है। दोनों पक्ष अपना-अपना तर्क दे रहे थे। तब क्या रेप का सबंध सेक्स से है या सत्ता से? क्या यह सीखा हुआ व्यवहार है या नैसर्गिक प्रवृत्ति?
पर अगर रेप पुरुष का नैसर्गिक या सहज व्यवहार होता तो सभी मानव समाजों में पाया जाता। लेकिन मानव विज्ञानी पैगी सैंडे ने अपने अध्ययन में पाया कि वह जिन 95 मानव समाजों को जानती थीं उनमें से 45 में रेप की घटनाएं दुर्लभ हैं। केवल 17 में रेप होना आम है, शेष 33 दूसरे समाजों में इसकी छिटपुट घटनाएं तो होती हैं पर पैगी को इससे ज्यादा जानकारी नहीं मिली।
एक दूसरे मानवशास्त्री वेरियर एल्विन के मुताबिक, मध्य भारत की गोंड जनजाति में रेप नहीं होता। इसी तरह मानवशास्त्री जिल नैश ने बताया कि पापुआ न्यू गिनी के पास स्थित बोगनविलिया द्वीप में रहने वाली नागोविसी जनजाति के लोग तो रेप की कल्पना भी नहीं कर सकते।
नागोविसी और गोंड जैसी संस्कृतियों में रेप की गैर मौजूदगी की व्याख्या हम कैसे करेंगे? इन समाजों के पुरुष अपनी यौन भूख को कैसे शांत करते होंगे?
इन संस्कृतियों में कुछ बातें समान हैं, जैसे: न केवल कबीलों के भीतर के मामले सुलझाने में बल्कि दूसरे कबीलों से हुए विवादों में भी हिंसा का कम से कम इस्तेमाल, मर्दानगी का कोई महिमामंडन नहीं और महिलाओं को आदर देना।
यह भी देखें: क्या जानवर भी इंसानों की तरह रेप करते हैं?
इन समाजों में बलात्कारियों को दिए जाने वाला कठोर दंड तो कहीं वह कारण नहीं था जो इन्हें रेप करने से रोकता था?
इंडोनेशिया की एक जनजाति है मिनांग्काबाउ। इसके बारे में पैगी सैंडे ने लिखा है, "यहां रेप करने वालों की मर्दानगी का मजाक उड़ाया जाता है, रेप करने वाले को हमेशा के लिए कबीले से निकाला भी जा सकता है यहां तक कि उसकी हत्या तक कर दी जाती है।"
मेस्क्लैरो अपाचे नाम की जनजाति दक्षिण पश्चिमी अमेरिका में रहा करती है। इसके बारे में बात करते हुए मानवविज्ञानी क्लेयर फेरर कहती हैं, "इस जनजाति में रेप करना कायरता की हरकत माना जाता है। रेप करने वाला शख्स कहीं अपना चेहरा नहीं दिखा पाता यहां तक कि उसे इंसान कहने लायक भी नहीं समझा जाता।"
दुनिया के देशों में बलात्कार के आंकड़ों और उनके ऊपर बने कानूनों की तुलना करना मुश्किल काम है क्योंकि हर देश में रेप की परिभाषा अलग-अलग है। बहुत से देशों में रेप की घटनाओं की शिकायत तक नहीं की जाती। पर ऐसे असंख्य मामले हैं जहां युद्ध और दंगों के समय कानून-व्यवस्था भंग होने पर पुरुषों ने रेप किए, क्योंकि उन्हें पकड़े जाने का डर नहीं था। पर सवाल फिर वही है कि उन्होंने ऐसा किया ही क्यों?
विकासवादी जीवविज्ञानी इसे दो संदर्भों में देखते हैं: निकटवर्ती और दूरगामी। यह मुमकिन है कि रेप के पीछे दूरगामी कारक हों सेक्स और वंशवृद्धि करना ये जैविक कारक हैं, जबकि समाजशास्त्रीय नजरिए से देखा जाए तो महिला पर प्रभुत्व जमाना रेप का निकटवर्ती प्रेरक तत्व हो सकता है। लेकिन ये दोनों विचारधाराएं भी फिट नहीं बैठती हैं।