जहर सिर्फ जिंदगियां ही नहीं लेता, जिंदगियां बचाता भी है, दर्द में राहत देता है
Janaki Lenin | Sep 15, 2018, 08:06 IST
लोग सांपों से डरते हैं क्योंकि कुछ सांपों का जहर जानलेवा होता है। सांप के जहर का इलाज केवल एंटी-वेनम सीरम या प्रतिविष सीरम ये होता है, ये भी सांप के जहर से ही बनते हैं। सदियों पहले से ही इंसान को पता था कि जहरीले पदार्थों और एजांइम्स के खतरनाक मेल वाले इस जहर में कई औषधीय गुण भी हैं। जहर से बनी बहुत सी आधुनिक दवाएं तंत्रिका तंत्र, ह्दय संबंधी और रक्त से जुड़े रोगों के इलाज करने में कारगर हैं। जानकर हैरानी होगी कि सांप जब डसता है तो उसका जहर इन्हीं तंत्रों को नाकाम करके शिकार की जान ले लेता है।
'गिला मॉन्स्टर' की लार में मौजूद एक प्रोटीन से डायबिटीज के इलाज की कोशिश की जा रही है।
आज ऐसी बहुत सी दवाएं बाजार में हैं, जैसे कैप्टोप्रिल (हाइपरटेंशन और दिल के दौरे के लिए) साउथ अमेरिका के सांप पिट वाइपर जराराका के जहर से बनती है, एप्टीफिबाटिडाइ (रक्त संबंधी रोग के लिए) अमेरिका के सांप पिग्मी रैटलस्नेक से बनाई जाती है, एन्करॉड (मस्तिष्क आधात के मरीजों के लिए) को सांप मलय पिट वाइपर के जहर से बनाया जाता है। एक और दवा जाईमेलागाटरान कोबरा सांप के जहर से बनी है और इसका इस्तेमाल मस्तिष्क आघात के मरीजों के इलाज के अलावा हड्डियों की सर्जरी के दौरान किया जाता है। अमेरिका में पाई जाने वाली जहरीली छिपकली 'गिला मॉन्स्टर' की विषाक्त लार में मौजूद एक प्रोटीन से टाइप-टू डायबिटीज सही करने की कोशिश की जा रही है।
कुछ समय पहले मैँने कोलकाता में जंतु, सूक्ष्मीजीव, पादप विष और सर्पदंश के प्रबंधन पर आयोजित एक नेशनल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था। यहां मैं जहर के जरिए होने वाले इलाज की संभावनाओं को जानकर हैरान रह गई। कैटरपिलर, ततैया, घोंघे, सांप, टोड और जेलीफिश समेत बहुत सारे जीवों में जहर या वेनम होता है। (जानवरों के जहर को वेनम/Venom कहते हैं और पौधों के जहर को पॉयजन/Poison)।
लोनोमिया कैटरपिलर में बहुत घातक जहर पाया जाता है।
शायद सबसे अनोखा जहरीला जीव है लोनोमिया कैटरपिलर। 1989 में ब्राजील में इसके जहर से बहुत से लोगों की मृत्यु हुई थी। यह कैटरपिलर झुंड में रहता है, अगर यह त्वचा से रगड़ जाए तो इसके गंभीर परिणाम होते हैं। इस कॉन्फ्रेंस में कनाडा की एक केस हिस्ट्री का जिक्र किया गया था, इसमें दक्षिणी अमेरिकी देश पेरू की यात्रा पर गए कनाडा के एक टूरिस्ट का पैर गलती से पांच कैटरपिलर पर पड़ गया था। शुरू में तो इसके मामूली से लक्षण दिखाई दिए लेकिन कुछ दिनों बाद इस टूरिस्ट के जरूरी अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उसकी मृत्यु हो गई। इसके जहर से पीड़ित के शरीर के अंदर रक्तस्राव होता है, गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं और हीमोलाइसिस (लाल रक्त कोशिकाओं का फटना) हो जाता है। ब्राजील के संस्थान इंस्टीट्यूटो बुटानटन में इसका एंटीवेनम या प्रतिविष बनाया गया है।
ऑस्ट्रेलिया के बायोकेमिस्ट ग्लेन किंग ने दुनिया की चार सबसे खतरनाक मकड़ियों में से एक फनल वेब पर रिसर्च की है। वह इसके जहर से जैविक कीटनाशक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कीटनाशक उन मच्छरों पर भी असर करेगा जिन पर डीडीटी का कोई असर नहीं होता, साथ ही कपास को नुकसान पहुंचाने वाले बॉलवर्म को भी खत्म कर सकेगा जिस पर रासायनिक कीटनाशक बेअसर है। मकड़ी का जहर इंसानी कोशिशों से ज्यादा कारगर है, हो भी क्यों न, आखिर मकड़ियां कई लाख वर्षों से कीड़ों को ही तो मारने का काम कर रही हैं।
दुनिया की खतरनाक मकड़ियों में से एक फनल वेब के जहर से बनेगा जैविक कीटनाशक।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में मंजूनाथ किनी की प्रयोगशाला में किंग कोबरा के जहर पर काम चल रहा है। इस रिसर्च में कुछ चमत्कारिक रासायनिक तत्व हाथ लगे हैं। इनमें से एक है कार्डियो टॉक्सिन इसका इस्तेमाल दिल की धड़कनों को धीमा करने और ब्लड प्रेशर कम करने के लिए किया जाता है। एक दूसरा यौगिक है, हैडीटॉक्सिन, यह मॉर्फीन से 200 गुना ज्यादा ताकतवर दर्दनिवारक बताया जाता है। इसे गोली के तौर पर लिया जा सकता है और मॉर्फीन की तरह इसकी लत भी नहीं पड़ती। एक कोन स्नेल और इस्राइली बिच्छू में भी इसी तरह के दर्दनिवारक गुण होते हैं।
अमेरिका के मशहूर वैज्ञानिक बिल हॉस्ट मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एक किस्म का तंत्रिका तंत्र रोग) के इलाज के लिए सांप के जहर की वकालत करते रहे। पहले तो किसी चिकित्सकीय सबूत के अभाव में अमेरिका के खाद्य और औषधि विभाग ने इस पर ध्यान नहीं दिया। फिर कुछ साल पहले एक ऐसी महिला मरीज का मामला सामने आया जो मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जूझ रही थी लेकिन एक बार जब उसे एक बिच्छू ने डंक मारा तो उसके बाद उसे महीनों तक राहत रही। जब अमेरिका के शोधकर्ताओं के सामने यह मामला आया तो उन्होंने इसकी और जांच की, इसके बाद उन्होंने समुद्री जीव सी एनीमोन में एक विषैला पदार्थ खोजा जिसका इस्तेमाल ऑटोइम्यून रोगों का इलाज करने में किया जा सकता है।
शायद प्राचीन ग्रीस के निवासियों को पता था कि जहर में ढेरों औषधीय गुण हैं, तभी उन्होंने एक छड़ी के आसपास लिपटे सांप को चिकित्सा के प्रतीक के रूप में अपनाया था। आज आधुनिक समय भी यह चिन्ह प्रचलित है।
(जानकी लेनिन एक लेखक, फिल्ममेकर और पर्यावरण प्रेमी हैं। इस कॉलम में वह अपने पति मशहूर सर्प-विशेषज्ञ रोमुलस व्हिटकर और जीव जंतुओं के बहाने पर्यावरण के अनोखे पहलुओं की चर्चा करेंगी।)
'गिला मॉन्स्टर' की लार में मौजूद एक प्रोटीन से डायबिटीज के इलाज की कोशिश की जा रही है।
आज ऐसी बहुत सी दवाएं बाजार में हैं, जैसे कैप्टोप्रिल (हाइपरटेंशन और दिल के दौरे के लिए) साउथ अमेरिका के सांप पिट वाइपर जराराका के जहर से बनती है, एप्टीफिबाटिडाइ (रक्त संबंधी रोग के लिए) अमेरिका के सांप पिग्मी रैटलस्नेक से बनाई जाती है, एन्करॉड (मस्तिष्क आधात के मरीजों के लिए) को सांप मलय पिट वाइपर के जहर से बनाया जाता है। एक और दवा जाईमेलागाटरान कोबरा सांप के जहर से बनी है और इसका इस्तेमाल मस्तिष्क आघात के मरीजों के इलाज के अलावा हड्डियों की सर्जरी के दौरान किया जाता है। अमेरिका में पाई जाने वाली जहरीली छिपकली 'गिला मॉन्स्टर' की विषाक्त लार में मौजूद एक प्रोटीन से टाइप-टू डायबिटीज सही करने की कोशिश की जा रही है।
यह भी देखें: जानवरों की दुनिया में ज्यादा आम है समलैंगिकता
लोनोमिया कैटरपिलर में बहुत घातक जहर पाया जाता है।
शायद सबसे अनोखा जहरीला जीव है लोनोमिया कैटरपिलर। 1989 में ब्राजील में इसके जहर से बहुत से लोगों की मृत्यु हुई थी। यह कैटरपिलर झुंड में रहता है, अगर यह त्वचा से रगड़ जाए तो इसके गंभीर परिणाम होते हैं। इस कॉन्फ्रेंस में कनाडा की एक केस हिस्ट्री का जिक्र किया गया था, इसमें दक्षिणी अमेरिकी देश पेरू की यात्रा पर गए कनाडा के एक टूरिस्ट का पैर गलती से पांच कैटरपिलर पर पड़ गया था। शुरू में तो इसके मामूली से लक्षण दिखाई दिए लेकिन कुछ दिनों बाद इस टूरिस्ट के जरूरी अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उसकी मृत्यु हो गई। इसके जहर से पीड़ित के शरीर के अंदर रक्तस्राव होता है, गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं और हीमोलाइसिस (लाल रक्त कोशिकाओं का फटना) हो जाता है। ब्राजील के संस्थान इंस्टीट्यूटो बुटानटन में इसका एंटीवेनम या प्रतिविष बनाया गया है।
ऑस्ट्रेलिया के बायोकेमिस्ट ग्लेन किंग ने दुनिया की चार सबसे खतरनाक मकड़ियों में से एक फनल वेब पर रिसर्च की है। वह इसके जहर से जैविक कीटनाशक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कीटनाशक उन मच्छरों पर भी असर करेगा जिन पर डीडीटी का कोई असर नहीं होता, साथ ही कपास को नुकसान पहुंचाने वाले बॉलवर्म को भी खत्म कर सकेगा जिस पर रासायनिक कीटनाशक बेअसर है। मकड़ी का जहर इंसानी कोशिशों से ज्यादा कारगर है, हो भी क्यों न, आखिर मकड़ियां कई लाख वर्षों से कीड़ों को ही तो मारने का काम कर रही हैं।
दुनिया की खतरनाक मकड़ियों में से एक फनल वेब के जहर से बनेगा जैविक कीटनाशक।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में मंजूनाथ किनी की प्रयोगशाला में किंग कोबरा के जहर पर काम चल रहा है। इस रिसर्च में कुछ चमत्कारिक रासायनिक तत्व हाथ लगे हैं। इनमें से एक है कार्डियो टॉक्सिन इसका इस्तेमाल दिल की धड़कनों को धीमा करने और ब्लड प्रेशर कम करने के लिए किया जाता है। एक दूसरा यौगिक है, हैडीटॉक्सिन, यह मॉर्फीन से 200 गुना ज्यादा ताकतवर दर्दनिवारक बताया जाता है। इसे गोली के तौर पर लिया जा सकता है और मॉर्फीन की तरह इसकी लत भी नहीं पड़ती। एक कोन स्नेल और इस्राइली बिच्छू में भी इसी तरह के दर्दनिवारक गुण होते हैं।
अमेरिका के मशहूर वैज्ञानिक बिल हॉस्ट मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एक किस्म का तंत्रिका तंत्र रोग) के इलाज के लिए सांप के जहर की वकालत करते रहे। पहले तो किसी चिकित्सकीय सबूत के अभाव में अमेरिका के खाद्य और औषधि विभाग ने इस पर ध्यान नहीं दिया। फिर कुछ साल पहले एक ऐसी महिला मरीज का मामला सामने आया जो मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जूझ रही थी लेकिन एक बार जब उसे एक बिच्छू ने डंक मारा तो उसके बाद उसे महीनों तक राहत रही। जब अमेरिका के शोधकर्ताओं के सामने यह मामला आया तो उन्होंने इसकी और जांच की, इसके बाद उन्होंने समुद्री जीव सी एनीमोन में एक विषैला पदार्थ खोजा जिसका इस्तेमाल ऑटोइम्यून रोगों का इलाज करने में किया जा सकता है।
यह भी देखें: चूहे पकड़ने की कला और उसमें माहिर ये आदिवासी शिकारी
(जानकी लेनिन एक लेखक, फिल्ममेकर और पर्यावरण प्रेमी हैं। इस कॉलम में वह अपने पति मशहूर सर्प-विशेषज्ञ रोमुलस व्हिटकर और जीव जंतुओं के बहाने पर्यावरण के अनोखे पहलुओं की चर्चा करेंगी।)