सड़क हादसों को रोकना है तो ट्रैफिक नियमों को कड़ाई से लागू क्यों नहीं करते?

Dr SB Misra | Dec 31, 2024, 15:25 IST
भारत में हर साल सड़क हादसों में क़रीब डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है। ट्रैफ़िक नियमों का सख़्ती से पालन न होना और आसानी ने ड्राइविंग लाइसेंस मिलना इसकी बड़ी वजह है। गाँवों में तक नशे की आदत इतनी बढ़ चुकी है कि कई बार गाड़ियों की भीड़ के कारण नहीं बल्कि चालक की असावधानी और दूसरे लोगों की उद्दण्डता के कारण दुर्घटनाएँ होती हैं। गाड़ी चलाने वालों में अक्सर धीरज नहीं होता और वह दूसरों से पहले निकलने की जल्दी में दाहिने-बाएं टक्कर मार देते हैं।
Road accident
इतने अधिक सड़क हादसों का कारण और उनका निवारण अति आवश्यक है। अभी कुछ दिन पहले देश के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सदन को बताया कि देश में सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं, जिससे गर्दन नीची हो जाती है। यह जानकारी अपने में पर्याप्त नहीं है जब तक हम इसका कारण और निवारण न समझें। हमारे यहां ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए उतना अच्छा टेस्ट नहीं होता जितना विदेश में होता है, यहाँ पर बिचौलियों को पैसा देकर लाइसेंस बन जाता है । ऐसे ट्रैफिक नियमों को ना समझने वाले और गैर जिम्मेदार लोगों के हाथों में गाड़ियाँ देकर एक्सीडेंट को दावत देना जैसा होता है। इतना ही नहीं, कभी कभी बच्चों को गाड़ी चलाने के लिए घर वाले अनुमति दे देते हैं, उसके कारण भी कई बार जबरदस्त दुर्घटनाएं हुई हैं। कुछ लोग नियमों को जानते नहीं, लेकिन अधिकांश लोग जानते हुए भी उन्हें मानते नहीं।

आप चौराहों पर देखिए,रेड लाइट होते हुए भी अगर ट्रैफिक पुलिस का आदमी ना हो तो लाइट जंप करके निकल जाने की होड़ जैसी लगी रहती है। यदि ट्रैफिक पुलिस वालों की ड्यूटी लगाना ही पड़े तब ट्रैफिक लाइट की उपयोगिता क्या रह जाएगी? अनेक बार रात के समय शराब पीकर चलाने वाले वाहन चालकों द्वारा बड़ी दुर्घटनाएँ हो जाती हैं और उसको रोकने का कोई उपाय भी नहीं दिखता। शराब पीकर गाड़ी चलाना तो पश्चिमी देशों में भी प्रचलित है, लेकिन वहाँ पर सप्ताह के अन्त में जिसे वीकेंड कहते हैं, सबसे ज्यादा दुर्घटनाएँ होती हैं। लेकिन हमारे देश में ऐसा कोई भेद नहीं, केवल दिन और रात का अन्तर ज़रूर है और बड़ी दुर्घटनाएँ प्रायः रात के समय होती हैं, जो अक्सर ड्राइवर के नशे के कारण होती हैं। मुझे याद है सेंट जॉन एस न्यूफाउंडलैंड में मैं अपनी फॉक्सवैगन चलाकर शाम को घर जा रहा था अंधेरा था, ट्रैफिक बहुत कम थी या ना के बराबर थी इसलिए आराम से दाहिने बाएं का कोई भेद में नहीं कर रहा था, एक पुलिस वाला पीछे-पीछे मेरे घर तक आया आकर बगल में खड़ा हुआ और बोला आप क्या समझते हैं? क्या आप इंग्लैंड में गाड़ी चला रहे हैं? अंग्रेजी में कहा था उसने। जहाँ इंग्लैंड और भारत में बाँयी तरफ, वहीं अमेरिका और कनाडा में सड़क के दाहिनी तरफ गाड़ी चलाने का नियम है, वास्तव में वह पास में इसलिए आया कि उसे संदेह हुआ मैं नशे में तो नहीं हूँ, जो कि मैं नहीं था। हमारे यहाँ यदि कोई ड्राइवर या गाड़ी चलाने वाला गलती अनजाने में या जानबूझकर करता है तो ट्रैफिक पुलिस वाले कुछ पैसा ले-देकर उसे छोड़ देते हैं, यह प्रायः देखा गया है लेकिन अगर नियमों का कड़ाई से पालन हो और ट्रैफिक पुलिस इतनी आसानी से ना छोड़ दे तब शायद बेहतर कन्ट्रोल बनेगा। असल में ऐसा नहीं कि हर बार चालक के कारण ही दुर्घटना होती है बल्कि हमारे देश में सड़कों की जो हालात है उनके कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं । सड़कों के सालाना या दो-तीन साल के बाद मरम्मत की जाती है और बरसात के बाद वह मरम्मत के लिए फिर तैयार हो जाती हैं । ऐसी दशा में यदि वाहन चालक होशियार और अनुभवी नहीं है तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। वाहन चलाने के अलावा अपनी गाड़ी के पार्किंग का भी ध्यान नहीं दिया जाता जब पार्क करते हैं तो आने- जाने वाली गाड़ियों की चिन्ता नहीं रहती, कभी-कभी सड़क पर खड़े होकर सवारियां भरते हैं।

आपने टेंपो स्टैण्ड पर देखा होगा किस तरह से ऑटो, टेंपो, टैक्सी खड़ी रहती हैं और असुविधा के साथ दुर्घटना की भी संभावना बनी रहती है। शहरों में तो गाड़ियों की संख्या अधिक है इसलिए एक बहाना हो सकता है की सिंगल रोड पर ट्रैफिक अधिक होने से दुर्घटना की सम्भावना अधिक रहती है लेकिन गाँव देहात के विषय में ऐसा नहीं कहा जा सकता। वैसे 50 साल पहले जहाँ गाँव में साइकिल नहीं होती थी वहाँ अब मोटरसाइकिल स्कूटर और चार पहिए की गाड़ियाँ बहुतायत में पाई जाने लगी हैं, इन्हें चलाने के लिए ना ठीक प्रकार के सिखाने वाले हैं और न सीखने वालों को इस बात की चिन्ता है कि दुर्घटना हो जाएगी।

गाँव में नशे की आदत बहुत अधिक बढ़ चुकी है इसलिए अनेक बार गाड़ियों की भीड़ के कारण नहीं बल्कि चालक की असावधानी और दूसरे लोगों की प्रायः उद्दण्डता के कारण दुर्घटनाएँ होती हैं। वाहन चालकों में प्रायः धीरज नहीं होता और वह दूसरों से पहले ही निकलने की जल्दी में दाहिने-बाएं टक्कर मार देते हैं। और ज़्यादा हॉर्न बजाते हैं जिसके कारण बाकी लोगों का ध्यान अनावश्यक रूप से आकर्षित होता है फिर चाहे किसी अस्पताल या स्कूल के बगल से निकल रहे हों, इसका कोई लिहाज नहीं होता। कहीं-कहीं पर रफ्तार को नियन्त्रित करने के लिए सड़क पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं लेकिन उनके बनाने का कोई मानक नहीं होता है, कई बार जहाँ पर आवश्यकता होती है वहाँ पर नहीं बनते और अनावश्यक जगहों पर मानक हीन स्पीड ब्रेकर बना दिए जाते हैं, इसलिए ऐसे स्पीड ब्रेकर दुर्घटनाओं का कारण भी बन जाते हैं।

कई बार एक्सीडेन्ट करने वाला चालक घायल लोगों को सड़क पर छोड़कर भाग जाता है और वह अपनी किस्मत पर पड़े रहते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह कानून की जटिलता के कारण और परेशानी से बचने के कारण किया जाता है लेकिन मानवीय दृष्टि से यह किसी तरह उचित नहीं है। मानवी दृष्टि से देखा जाए तो घायलों को कम से कम नजदीक के अस्पताल तक पहुँचा देना चाहिए। एक बार मैं अपने गाँव से लखनऊ जा रहा था, रास्ते में बक्शी का तालाब के पास दो घायल व्यक्ति पड़े थे, भीड़ थी और दो-तीन पुलिस वाले भी वहाँ मौजूद थे। मैंने उनसे कहा क्या मैं कुछ कर सकता हूं? तो पुलिस वाले ने कहा यदि यह बलरामपुर अस्पताल लखनऊ पहुँच जाते हैं तो ठीक था। मैंने कहा हाँ, मैं लखनऊ ही जा रहा हूँ, इन्हे पहुँचा दूँगा और अपने मार्शल जीप में बिठाकर उन्हें बलरामपुर अस्पताल पहुँचा दिया, पुलिस वाले ने कहा यदि सब लोग इतना सहयोग करें तो हम लोगों का काम बहुत आसान हो सकता है। पुलिस वाले ने मेरा पता और फोन नम्बर नोट कर लिया और मैं चला आया, शायद कुछ लोग इस बात से डर जाते होंगे कि कहीं गवाही के लिए पेशी पर न जाना पड़े या फिर उनके ऊपर कोई आँच ना आ जाए, लेकिन मानवता में इतना तो करना ही चाहिए।

पहले बैलगाड़ी, रिक्शा, तांगा, इक्का और साइकिल के लिए प्रबन्धन और उसकी ट्रैफिक की व्यवस्था तो हो जाती थी और आसान भी था लेकिन तेज रफ्तार ट्रैफिक भी उसी के साथ-साथ जुड़ गई और ट्रक, जीप, कार, मोटरसाइकिल आदि को मिलाकर प्रबन्धन थोड़ा कठिन हो गया है। सड़क सिंगल लेन बनी हैं और इस तरह की मिक्स ट्रैफिक के लिए तैयार नहीं है, साथ ही उनके लिए अलग-अलग लेन इसलिए नहीं हो सकती क्यों कि सड़कों की चौड़ाई कम है। भले ही अब आजकल विश्व स्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था हो रही है और अब जो नई सड़कें बन रही हैं उन पर इन तमाम बातों का ध्यान रखा जाता है। इस मिक्सड ट्रैफिक के कारण और उसके साथ असावधान ड्राइविंग के चलते बहुत बार भारी भीड़ रहती है। सड़कों पर कभी ट्रैफिक जाम भी लगता है और इस कारण डीजल तथा पेट्रोल का खर्चा भी अनावश्यक रूप से बढ़ जाता है। यातायात की समस्याओं से निजात पानी है तो विविधि प्रकार के वाहनोंके लिए कोई उपाय निकालते हुए उनके चलने का अलग-अलग प्रावधान होना चाहिए ।

Tags:
  • India
  • KisaanConnection
  • Road Accidents
  • accident
  • barabani
  • uttarprdesh
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.