कैंसर से बचना है तो इसे अपने खाने में करें शामिल

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कैंसर से बचना है तो इसे अपने खाने में करें शामिलसाल 2015 में दुनिया भर में कैंसर के नए मामले 1.75 करोड़ रहे और 87 लाख लोगों की इससे मृत्यु हुई।

टोरंटो। कैंसर से बचना है तो मछली खाइये। ये मैं नहीं एक रिपोर्ट कहती है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मछली का सेवन आपको कैंसर से बचा सकता है। कैंसर से रोकथाम में अन्य तेलों की बजाए मछली से प्राप्त ओमेगा-तीन ज्यादा कारगर साबित हुआ है। एक नए अध्ययन में यह नतीजा निकला है।

अध्ययनकर्ताओं ने पता लगाया है कि ट्यूमर को फैलने से रोकने में समुद्री स्रोतों से प्राप्त ओमेगा-तीन आठ गुणा ज्यादा असरदार होता है। कनाडा में गुलेफ विश्विद्वालय की प्रोफेसर डेविड मा ने कहा कि इस अध्ययन के जरिए पहली बार कैंसर से मुकाबले में पौधा और समुद्री जीव से प्राप्त ओमेगा तीन की तुलना की गयी। उन्होंने कहा इस तरह के सबूत हैं कि पौधा और समुद्री स्रोतों से प्राप्त ओमेगा-3 कैंसर से बचाव में मददगार है और हम जानना चाहते थे कि इसमें से भी कौन सा ज्यादा फायदेमंद है। ओमेगा-तीन फैटी एसिड के तीन प्रकार होते हैं। ए-लाइनोलेनिक एसिड, इकोसापेंटाइनोइक एसिड (ईपीए) और डोकोसाहेक्साइनोइक एसिड (डीएसए)।

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भारत में हर साल कैंसर के 10 लाख नए मरीज सामने आते हैं। बीमारी की गंभीरता की वजह से इन 10 लाख में से 7 लाख मरीजों की मौत हो जाती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मानें तो 2020 तक मरीजों की संख्या 17.8 लाख और मौतों की संख्या 8.8 लाख हो जाएगी।

जैविक मछली पालन के लिए भारत में शुरू हुई आर्गेनिक एक्वालकल्चर परियोजना।

वर्तमान में, दुनिया भर में हर साल 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग) मर जाते हैं। इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करना है। वर्ष 2025 तक, कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़कर प्रति वर्ष 60 लाख होने का अनुमान है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए तो हर साल 15 लाख जीवन बचाए जा सकते हैं

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मछली को खाने का प्रमुख स्त्रोत भी माना जाता है। बात अगर भारत की करें तो यहां मात्स्यिकी क्षेत्र में विकास के लिए भारत सरकार द्वारा रु.3000 करोड़ के बजट के साथ एकछत्र योजना 'नीली क्रांति' की शुरुआत की गई है। जिसके फलस्वरूप, समग्र मछली उत्पादन में गत तीन वर्षों में तुलनात्मक रूप में लगभग 18.86% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अंतः स्थलीय मात्स्यिकी क्षेत्र में 26% वृद्धि दर्ज की गई है। सभी प्रकार के मत्स्य पालन (कैप्चर एवं कल्चर) के उत्पादन को एक साथ मिलकर, 2016-17 में देश में कुल मछली उत्पादन 11.41 मिलियन टन तक पहुँच गया है। वहीं पूरी दुनिया में 107 टन से ज्यादा मछली की खपत होती है।

(भाषा से इनपुट)

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