काम की बात : सर्दियों में मछली पालक इन बातों का रखें ध्यान
Diti Bajpai | Jan 12, 2018, 17:53 IST
सर्दियों में मछली पालन व्यवसाय में मछली और तालाबों की देखरेख एवं प्रबंधन की खास जरूरत होती है। ज्यादातर मछली पालक इस मौसम में ध्यान नहीं देते है। जितनी लागत मछली पालक लगाता है उससे मुनाफा भी नहीं मिल पाता है।
"जाड़े में किए जाने वाले प्रबंधन के अभाव में तालाब में ऑक्सीजन की कमी एवं तापमान गिरावट हो जाती है, जिससे मछलियां कम खाना खाती हैं। इसका प्रभाव मछलियों की विकास पर पड़ता है। भारी संख्या में मछलियों का मरना भी देखा जाता है।" ऐसा बताते हैं, मेरठ स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विषय विशेषज्ञ डॉ डीवी सिंह।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार मछली उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में भारत का दूसरा स्थान है। वर्तमान में भारत 95,80,000 मिट्रिक टन मछली उत्पादन करता है जिसमें से 64 प्रतिशत देश के भीतर और 36 प्रतिशत समुद्री स्रोतों से किया जाता है।
सर्दियों में ज्यादा ध्यान देने वाली बातों के बारे में डॅा सिंह बताते हैं, "तालाब में लगभग पौने दो मीटर तक जलस्तर बनाए रखना आवश्यक है, जिससे हमारी मछलियों को कोई प्रतिकूल प्रभाव ठंड की वजह से न पड़ने पाएं। साथ ही साथ तालाब के चारों किनारों पर घास-फूंस निकालकर साफ कर लेना चाहिए ताकि तालाब में जो भी हानिकारक जीवजंतु है वो हट जाऐंगे।"
ाब में लगभग पौने दो मीटर तक जलस्तर बनाए रखना आवश्यक देश में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण खाद्यान्न मांग बढ़ रही है, खेती योग्य जमीन सीमित हो रही है और कृषि उत्पाद गिर रहा है, ऐसे में खाद्यान्न की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए मछली पालन क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण बनती जा रही है। इसमें लाभ कमाने के लिए जरूरी है कि सर्दियों में मछली पालक इसका विशेष ध्यान रखें।
"पीएच मान के आधार पर तालाब में लगभग 300 किलो ग्राम चूने का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए। सर्दियों में 15 दिन के अंदर तालाब में जाल चलाकर देखना चाहिए। मछलियों के स्वास्थ्य का प्रशिक्षण करते रहना चाहिए। मछलियों को जब हाथ में लेकर देखेंगे तो अगर वो किसी बीमारी का शिकार है तो इसका पता लग जाता है।" डॅा सिंह ने बताया।
खाद्य कृषि संगठन की 2014 की जारी सांख्यिकी रिपोर्ट '' द स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर 2014'' के अनुसार पूरे विश्व में मछली उत्पादन 15 करोड़ 80 लाख टन हो गया है और खान-पान के लिए मछली की आपूर्ति में औसत वार्षिक वृद्धि दर 3.2 हो गई है जो कि जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1.6 से ज्यादा है।
ठंड में भी मछलियों से अच्छा उत्पादन हो सके इसके बारे में डॅा डीवी सिंह बताते हैं, "सर्दियों में जो मछलियों के भोजन होता है उसको शाम को भिगोकर सुबह उसका सौ- दो सौ ग्राम का गोला (बॅाल की तरह) बना लें और तालाब के किसी एक कोने पर मिट्टी की ट्रे मे रखकर प्रतिदिन निश्चित समय और स्थान पर रखकर उनको भोजन कराए।"
सिंह आगे बताते हैं, "इसके अलावा डिमांड फीडिंग होती है जिसमें बोरी में जो भी दाना उस तालाब में डालना है उसे भर लेते है और गर्म रॅाड से बोरी में छेद कर लेते है, जिससे मछलियों को भोजन मिलता रहता है। इस विधि से उतना ही भोजन मछलियां खा पाती हैं, जितना उसको आवश्यकता होती है। इससे भोजन बेकार भी नहीं जाता है। सर्दियों में मछलियां कम भोजन करती हैं।"
"जाड़े में किए जाने वाले प्रबंधन के अभाव में तालाब में ऑक्सीजन की कमी एवं तापमान गिरावट हो जाती है, जिससे मछलियां कम खाना खाती हैं। इसका प्रभाव मछलियों की विकास पर पड़ता है। भारी संख्या में मछलियों का मरना भी देखा जाता है।" ऐसा बताते हैं, मेरठ स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विषय विशेषज्ञ डॉ डीवी सिंह।
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सर्दियों में ज्यादा ध्यान देने वाली बातों के बारे में डॅा सिंह बताते हैं, "तालाब में लगभग पौने दो मीटर तक जलस्तर बनाए रखना आवश्यक है, जिससे हमारी मछलियों को कोई प्रतिकूल प्रभाव ठंड की वजह से न पड़ने पाएं। साथ ही साथ तालाब के चारों किनारों पर घास-फूंस निकालकर साफ कर लेना चाहिए ताकि तालाब में जो भी हानिकारक जीवजंतु है वो हट जाऐंगे।"
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"पीएच मान के आधार पर तालाब में लगभग 300 किलो ग्राम चूने का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए। सर्दियों में 15 दिन के अंदर तालाब में जाल चलाकर देखना चाहिए। मछलियों के स्वास्थ्य का प्रशिक्षण करते रहना चाहिए। मछलियों को जब हाथ में लेकर देखेंगे तो अगर वो किसी बीमारी का शिकार है तो इसका पता लग जाता है।" डॅा सिंह ने बताया।
खाद्य कृषि संगठन की 2014 की जारी सांख्यिकी रिपोर्ट '' द स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर 2014'' के अनुसार पूरे विश्व में मछली उत्पादन 15 करोड़ 80 लाख टन हो गया है और खान-पान के लिए मछली की आपूर्ति में औसत वार्षिक वृद्धि दर 3.2 हो गई है जो कि जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1.6 से ज्यादा है।
ठंड में भी मछलियों से अच्छा उत्पादन हो सके इसके बारे में डॅा डीवी सिंह बताते हैं, "सर्दियों में जो मछलियों के भोजन होता है उसको शाम को भिगोकर सुबह उसका सौ- दो सौ ग्राम का गोला (बॅाल की तरह) बना लें और तालाब के किसी एक कोने पर मिट्टी की ट्रे मे रखकर प्रतिदिन निश्चित समय और स्थान पर रखकर उनको भोजन कराए।"
सिंह आगे बताते हैं, "इसके अलावा डिमांड फीडिंग होती है जिसमें बोरी में जो भी दाना उस तालाब में डालना है उसे भर लेते है और गर्म रॅाड से बोरी में छेद कर लेते है, जिससे मछलियों को भोजन मिलता रहता है। इस विधि से उतना ही भोजन मछलियां खा पाती हैं, जितना उसको आवश्यकता होती है। इससे भोजन बेकार भी नहीं जाता है। सर्दियों में मछलियां कम भोजन करती हैं।"
इन बातों को भी रखें ध्यान
- तालाब में 15 दिन या एक महीने में थोड़ा ताजा पानी डालना चाहिए और जो भी पुराना पानी उसको लगभग 1/4 या उससे कम निकाल देना चाहिए और नए पानी का समावेश करते रहना चाहिए।
- तालाब में ऑक्सीजन बढ़ाने के लिए तालाब में ऊंचाई से पानी डालते रहना चाहिए या ऑक्सीजन का ऐरियेटर को प्रति दिन एक-दो घंटे चलाते रहे तो तालाब में मछलियों की वृद्वि होती रहेगी।
- समय-समय पर तालाब में जाल चलाकर देखते रहना चाहिए कि मछली स्वस्थ है या नहीं।