वर्ल्ड स्ट्रोक डे: स्ट्रोक होने के तीन घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचे तो संभव है इलाज : डॉ. आरके गर्ग

Deepanshu Mishra | Oct 30, 2017, 18:39 IST
भारत में पक्षाघात मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग...
King George's Medical University Lucknow
लखनऊ। पक्षाघात (स्ट्रोक) एक ऐसी बीमारी है जो लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है, ये एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण भारत में मौतें हो रही हैं। भारत में पक्षाघात मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग बताते हैं, "इसके प्रमुख रिस्क कारणों में उच्च रक्ताचाप, डायबिटीज, धूम्रपान, शराब का अत्याधिक सेवन, वसीय पदार्थों को अत्याधिक सेवन, हृदय रोग, जीवन शैली में व्यायम की कमी एवं प्रतिदिन खान-पान में हरी सब्जियाँ और फलों के सेवन की कमी का होना है।"

अगर पूरे विश्व स्तर पर आंकलन करे, तो हर 40 सेकेण्ड के अन्तराल में किसी न किसी को पक्षाघात हो रहा है और हर चार मिनट में कोई न कोई व्यक्ति स्ट्रोक के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। भारत वर्ष में पक्षाघात मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। अमेरिका जैसे विकसित देशो में स्ट्रोक के रिस्क कारकों को नियन्त्रित करके इस बीमारी को पांचवे नम्बर पर ला खड़ा कर दिया है।

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डा. राजेश वर्मा बताते हैं, "रिस्क कारणों पर ध्यान देने से स्ट्रोक को निश्चित तौर पर कम किया जा सकता है। हमारे देश में पक्षाघात एक महामारी का रूप लेता जा रहा है। हमारे समाज में डायबिटीज एवं हाई ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ रहा है और इन मापदंडों में भारत विश्व में सबसे आगे है।"

विश्व स्ट्रोक संगठन ने विकासशील देशों के लिए पक्षाघात के बचाव के सम्बन्ध में अभियान छेड़ रखा है। विश्व स्ट्रोक संगठन ने जन जागरण अभियान के तहत पक्षाघात दिवस (29 अक्टूबर, 2016) को, सम्पूर्ण विश्व के समाज को बताया है कि स्ट्रोक एक इलाज योग्य बीमारी है इसके इलाज के लिए समाज की जागरूकता, इलाज की सुविधा एवं त्वरित इलाज के लिए संबोधित किया गया।



क्या हैं प्रमुख लक्षण

हर व्यक्ति को स्ट्रोक के प्रमुख लक्षणों को समझने की आवश्यकता है। अगर शरीर के एक तरफ अचानक मुंह, हाथ, पैर में कमजोरी या सुन हो जाना, अचानक दिमाग की चेतना को खोना, बोलने की दिक्कत या दूसरे की भाषा को समझने में परेशानी, अचानक आंखों की रौशनी में कमी होना, चलने की दिक्कत, चक्कर आना या संतुलन खोना प्रमुख लक्षण है।

स्ट्रोक होने के तीन घंटे में अस्पताल पहुंचना जरुरी

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज कुमार ने बताया, "स्ट्रोक का त्वरित इलाज की सुविधा किंग जार्ज मेडिकज विश्वविद्यालय के सम्बन्ध इमरजेन्सी विभाग में उपलब्ध है। क्योंकि स्ट्रोक के इलाज के लिये मरीजों को स्ट्रोक होने के तीन घंटे के अन्दर अस्पताल पहुंचने कि आवश्यकता है। स्ट्रोक मरीज़ को अपने लक्षण अतिशीघ्र समझने कि आवश्यकता है। ऐसा इसलिये कि स्ट्रोक के इलाज में आरटीपीए नाम की दवा दी जाती है, जो स्ट्रोक होने के उपरान्त 4-5 घंटे में ही सम्भव है। हमारे स्ट्रोक के मरीज़ अस्पताल में तीन घंटे के अन्दर पहुंच सके इसके लिये न्यूरोलाजी विभाग का स्ट्रोक हेल्पलाइन (8887147300) उपलब्ध है।"

डॉ. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि स्ट्रोक होने के पश्चात अगर जान बच भी जाये तो भी विभिन्न प्रकार की मेडिकल जटिलतायें हो सकती है जिससे जीवन यापन मुश्किल हो जाता है। स्ट्रोक के बाद होने वाली जटिलताओं में यादाश्त की कमी, विशाद, भाषा समझने में या बोलने में परेशानी, मांसपेशियों का जकड़ना, हड्डीयों का फ्रैक्चर एवं लकवा ग्रस्त होना प्रमुख तौर पर पाये जाते हैं।

डॉ. राजेश वर्मा ने बताया, "स्ट्रोक के बाद होने वाली यादाश्त की कमी एवं अन्य दिमाग की परेशानियों पर शोध किया है जो विश्व के अतिविशिष्ट में प्रकाशित हुआ। यह अध्ययन 102 स्ट्रोक मरीजों पर हुआ जिससे 46 मरीजों (45.1 %) में यादाश्त एवं अन्य दिमाग की परेशानियाँ पाई गई। इस अध्ययन में साक्षकर्ता में कमी, दिमाग के विशिष्ट क्षेत्रों का नष्ट होना एवं बड़ा पक्षाघात पाया गया।"

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Tags:
  • King George's Medical University Lucknow
  • Latest Hindi news
  • किंग जॉर्ज मेडिकल युनिवर्सिटी
  • स्वास्थ्य सुविधाएं
  • health tips
  • Minister of health

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.