दांतों की समस्याओं के लिए हर्बल नुस्ख़े

डॉ दीपक आचार्य | Sep 16, 2016, 16:14 IST
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हर इंसान उम्र के किसी ना किसी पड़ाव में दंत रोगों से सामना जरूर करता है। दांतों की समस्याओं के निपटारे के लिए यूं तो बाजार में अनेक औषधियां उपलब्ध हैं लेकिन जटिल रसायनों और कृत्रिम दवाओं के सेवन के बाद दुष्प्रभावों से अक्सर लेने के देने पड़ जाते हैं।

प्राचीनकाल से आयुर्वेद जैसे ग्रंथों में भी हर्बल उपचार से दांतों की समस्या के निपटारे के लिए अनेक नुस्खों का जिक्र किया गया है। अब चाहे मध्यप्रदेश के पातालकोट की बात की जाए या गुजरात सुदूर ग्रामीण अंचलों जैसे डाँग आदि में आज भी आदिवासी लोग हर्बल नुस्खों का उपयोग कर अपनी दांतों की समस्याओं को विदा कर देते हैं।

सुबह उठते ही मुंह में दातून चबा, वनवासी अपने दैनिक जीवनचर्या की शुरुआत करते हैं, अब चाहे हम प्लास्टिक के ब्रश से अपने दांतों की सफाई करने वाले शहरी लोग इनका मजाक बनाएं, इन्हें फर्क नहीं पड़ता,आखिर इनके दांत हम शहरियों से ज्यादा समय तक मुंह में रहेंगे। इन बातों के जिक्र का सीधा संबंध पारंपरिक उपायों की तरफ है, जिनका इस्तेमाल कर हम सभी स्वस्थ दांतों और मसूड़ों के मालिक हो जाएंगे। हर्बल आचार्य में हम जानते हैं दंतरोगों के लिए आदिवासियों द्वारा आजमाए जाने वाले कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खों के बारे में-

अनंतमूल के पत्ते

डाँग गुजरात के आदिवासी अनंतमूल के पत्तों का उपयोग दंतरोगों के लिए करते हैं और माना जाता है कि इसके पत्तों को दांतों के बीच दबा लिया जाए तो यह दांत दर्द खींच लेता है।

अनार के फूल

पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार अनार के फूल को छाया में सुखाकर बारीक पीस लिया जाए और इसे मंजन की तरह दिन में 2 से 3 बार इस्तेमाल किया जाए तो दांतों से खून आना बंद होकर दांत मजबूत हो जाते हैं।

काली मिर्च

दांतों के दर्द में काली मिर्च के काढ़े से कुल्ला करने से भी बहुत फायदा होता है। पातालकोट के हर्बल जानकारों के अनुसार प्रतिदिन रोज सुबह खाली पेट ऐसा करने से दंतरोग होने की संभावनाएं लगभग शून्य हो जाती है।

गिलोय के तने

पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि गिलोय के तने और बबूल की फल्लियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लायी जाए तो दांतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाती है।

गुंदा की छाल

गुंदा की छाल की लगभग 200 ग्राम मात्रा लेकर इतने ही मात्रा पानी के साथ उबाला जाए और जब यह एक चौथाई शेष रहे तो इससे कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन, दांतों का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है।

दारू हल्दी का काढ़ा

मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए आदिवासी दारू हल्दी का काढ़ा बनाकर उस पानी से गरारे करते हैं, ऐसा करने से दांतो के दर्द से भी राहत मिलती है।

नकछिकनी का लेप

दांतों में अधिक दर्द होने पर नकछिकनी को पीसकर लेप तैयार कर गुनगुना करके मुंह के अन्दर कुल्ला कर थूक दिया जाए और बाहर गालों तरफ से सिकाई की जाए तो दांतों का दर्द जल्द खत्म होता है।

पत्तागोभी का रस

पत्तागोभी का रस लगभग 75 मिली प्रतिदिन लेने से दांतो से संबंधित रोग और पायरिया आदि में लाभ होता है। कच्ची सलाद बनाकर खाने से भी इन सभी विकारों के निवारण में फायदा होता है।

बरगद की छाल

लगभग 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर चूर्ण बनाया जाए और मंजन किया जाए तो दांतों का हिलना, सड़ी बदबू आदि दूर होकर दांत साफ और सफेदी प्राप्त करते हैं।

महुआ की टहनियां

पातालकोट के आदिवासी महुआ की टहनियों का इस्तेमाल दातून की तरह करते है, उनके अनुसार ऐसा करने से दांत मजबूत और मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है।

लटजीरा पत्ते व हींग

लटजीरा पत्तों के साथ हींग चबाने से दांत दर्द में तुरंत आराम मिलता है। माना जाता है कि दांतों से निकलने वाले खून को भी रोकने में यह काफी कारगर होता है। मसूड़़ों से खून आना, बदबू आना अथवा सूजन होने से लटजीरा की दातुन उपयोग में लाने पर तुरंत आराम पड़ता है।

अकरकरा के फूल

अकरकरा के फूलों की कलियों को दांतो और मसूड़ों पर रखकर चबाया जाए तो दर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है।

पुदीने की सूखी पत्तियां

जिन्हें मुंह से बदबू आने की शिकायत हो, उन्हें दुर्गंध दूर करने के लिए पुदीने की सूखी पत्तियों को पीसकर उसका चूर्ण बनाकर इसे दांतों पर मंजन की तरह लगाना चाहिए ऐसा करने से मुख से दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े भी मजबूत होते हैं।

चिरोटा की पत्तियां

चिरोटा की पत्तियों के काढ़े को दांतों पर लगाने और इसी काढे से कुल्ला करने से से दांतों की समस्या जैसे दाँत दर्द, मसूड़़ों से खून आना आदि शिकायत में आराम मिलता है।

जामुन की छाल का चूर्ण

जामुन की छाल का चूर्ण (एक चम्मच) लगभग एक कप पानी में डालकर खौलाया जाए और ठंडा होने पर इससे कुल्ला किया जाए तो मसूड़ों की सूजन, दांत दर्द और मसूड़ों से खून आने की समस्या में काफी फायदा होता है।

फूलगोभी के पत्ते का रस

आदिवासियों के अनुसार फूलगोभी के पत्तों को कुचलकर रस तैयार किया जाए और कुल्ला किया जाए तो मसूढ़ों से खून का निकलना बंद हो जाता है। वैसे कच्ची फूल गोभी को चबाने से मसूड़ों की सूजन भी उतर जाती है।

पीपल की पत्तियां या छाल

पीपल की पत्तियों या छाल को कच्चा चबाने और चबाकर थूक देने से मसूड़ों से खून निकलने की समस्या में आराम मिलता है, आदिवासी मानते हैं कि इससे मुंह से दुर्गंध भी दूर होती है और यह जीभ का कट फट जाना भी ठीक कर देता है।

नीम की दातून

नीम की दातून तो सभी जानते हैं, रोज नीम की दातून से दांत साफ करने से ना सिर्फ दांत चमकने लगते हैं बल्कि दांतों के बीच दरारों में बसे सूक्ष्मजीव भी खत्म हो जाते हैं और मसूड़े भी मजबूत बनते हैं।

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