स्वाइन फ्लू से घबराएं नहीं, सावधानी से करें बचाव के उपाय

गाँव कनेक्शन | Aug 07, 2017, 10:06 IST
health department
लखनऊ। हर तरफ स्वाइन फ्लू की ही चर्चा है। हर व्यक्ति भयभीत है कि कहीं उसे भी स्वाइन फ्लू न हो जाये। पिछले वर्ष भी स्वाइन फ्लू की घटनायें प्रकाश में आई थीं परन्तु इस बार भी इसका प्रकोप दिखाई पड़ रहा है। समाचार-पत्र एवं न्यूज चैनल स्वाइन फ्लू की खबरों से भरे पड़े हैं

सरकार एवं स्वास्थ विभाग इस बीमारी के आक्रमण से चिंतित है और इसकी रोकथाम एवं उपचार के लिये हर संभव उपाय कर रही हैं फिर भी जनता दहशत में है। वैसे तो स्वाइन फ्लू भी वायरस जनित रोग है लेकिन हर फ्लू स्वाइन फ्लू नहीं होता है इसलिये घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्वाइन फ्लू से बचाव एवं उपचार पूरी तरह संभव है परन्तु सतर्क एवं सावधान रहने की जरूरत है।

स्वाइन फ्लू के क्या लक्षण हैं और होम्योपैथी से किस तरह से इसका बचाव व उपचार संभव है इस सम्बन्ध में वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक एवं केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के सदस्य डॉ. अनुरूद्ध वर्मा ने जानकारी दी है।

डॉ. वर्मा ने बताया कि यह बीमारी एच1 एन1 वायरस के कारण फैलती है और गर्भवती महिलायें, बच्चे, वृद्ध, डायविटीज रोगी, एचआईवी रोगी, दमा के रोगी व्रांकाइटिस के रोगी, नशे के लती, कुपोषण, एनीमिया एवं अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग इस वायरस के चपेट में आसानी से आ जाते हैं, क्योंकि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू का संक्रमण किसी स्वाइन फ्लू के रोगी के सम्पर्क में आने पर होता है। यह रोगी व्यक्ति से हाथ मिलाने, खांसने, छीकने या सामने से या नजदीक से बात करने से होता हैं स्वाइन फ्लू का वायरस श्वसन-तंत्र के रास्ते से शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण स्वाइन फ्लू की बीमारी हो जाती है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

स्वाइन फ्लू बीमारी के लक्षण सामान्य इन्फ्ल्युंजा की तरह है इसमें तेज बुखार, सुस्ती, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, रक्त चाप गिरना, खांसी के साथ खून या वलगम, नाखूनों का रंग नीला हो जाना आदि लक्षण हो सकते है। यदि इस प्रकार के लक्षण मिलें तो स्वाइन फ्लू की जांच कराकर उपचार कराना चाहिये।

होम्योपैथिक में है स्वाइन फ्लू का उपचार

डॉ. अनुरूद्ध वर्मा ने बताया कि स्वाइन फ्लू का उपचार एलोपैथिक पद्धति के माध्यम से किया जा रहा है परन्तु होम्योपैथी में जब रोग फैल रहा होता है और जिस प्रकार के लक्षण ज्यादातर रोगियों में मिलते हैं उसी को ध्यान में रखकर जीनस इपिडिमकस का निर्धारण कर बचाव के लिये होम्योपैथिक औषधि का चयन किया जाता है। इसके बचाव में आर्सेनिक एल्बम 200 शक्ति की औषधि का प्रयोग कारगर साबित हो सकता हैं। होम्योपैथी में रोगी के लक्षणों के आधार पर औषधि का चयन किया जाता है। हर रोगी की दवा अलग-अलग होती है। इसलिये प्रशिक्षित होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह पर ही होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग करना चाहिये।

क्या करें क्या न करें

  • खांसते या छीकतें समय मुंह पर हाथ या रूमाल रखें।
  • खाने से पहले साबुन से हाथ धोयें।
  • मास्क पहन कर ही मरीज के पास जायें।
  • साफ रूमाल में मुंह ढके रहें।
  • खूब पानी पियें व पोषण युक्त भोजन करें।
  • मरीज से कम से कम एक हाथ दूर रहें।
  • भीड़-भाड़ इलाकों में न जाये।
  • साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें।
  • यदि लक्षण दिखें तो तुरन्त चिकित्सक से सलाह लें।
डॉ. वर्मा का कहना है कि स्वाइन फ्लू से घबरायें नहीं इससे बचाव के लिये पूरी सावधानी रखें और यदि लक्षण दिखायी पड़ें तो तुरन्त चिकित्सक की सलाह लें। अपने आस-पास के लोगों को इससे बचाव की जानकारी दें तभी स्वाइन फ्लू की समस्या से निजात पायी जा सकती है।



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