सेहत के लिए काफ़ी फायदेमंद हैं लोबिया और अरहर

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सेहत के लिए काफ़ी फायदेमंद हैं लोबिया और अरहरलोबिया और अरहर

फलियों वाली सब्जियों की चर्चा हो तो लोबिया और अरहर के बारे में जरूर बात की जाती है। ये दोनों एक फली हैं, लोबिया को चवली या बरबटी के नाम से भी जाना जाता है और अरहर को तुअर के नाम से आम बोलचाल में जाना जाता है। इन्हें लगभग हर रसोई में स्वादिष्ट सब्जियों और व्यंजनों को बनाने में खूब इस्तेमाल में भी लाया जाता है।

जहां एक ओर ये स्वाद से भरपूर होती हैं वहीं दूसरी तरफ इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व हमारी सेहत बेहतर करने में बेहद मददगार होते हैं। इस सप्ताह हम बताएंगे लोबिया और अरहर के औषधीय गुणों के बारे में और जानेंगे कि आखिर क्यों आधुनिक विज्ञान भी इनके गुणों की पैरवी करता है।

लोबिया के गुण

मधुमेह (डायबिटीज)

आधुनिक शोध रिपोर्ट्स के अध्धयन से ज्ञात होता है कि लोबिया का ग्लायसेमिक इंडेक्स अन्य फल्लियों वाली सब्जियों और दालों की तुलना में कम होता है यानि डायबिटीज से ग्रस्त रोगियों के लिए लोबिया किसी वरदान से कम नहीं।

सूक्ष्मजीवी संक्रमण

लोबिया में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो कई बीमारियों में लड़ पाने में बेहद सक्षम होते हैं। शरीर के अनावश्यक पदार्थों और टॉक्सिन्स आदि को शरीर से बाहर फेंक निकालने के अलावा लोबिया पेट में सूक्ष्मजीवी संक्रमण को रोकने में भी बेहद सहायक होते हैं।

कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण

लोबिया कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण वनस्पति है। लोबिया में कई महत्वपूर्ण फ्लावेनोइड्स और महत्वपूर्ण तत्त्व जैसे पोटैशियम और मैग्नीशियम के अलावा साइटोस्ट्रोजिन जैसे लिग्निन आदि पाए जाते हैं जो हृदय की समस्याओं में महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इनमें कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण की अद्भुत क्षमता होती है।

वजन कम करना

लोबिया में अपेक्षाकृत कम कैलोरी पाई जाती है जिस वजह से इसे कैलोरी पर ध्यान रखकर शरीर का वजन कम करने वालों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें जबरदस्त मात्रा में डाइटरी फाइबर भी पाए जाते हैं जो आपके पाचन और पेट सफाई का ख़याल रखने के साथ भूख कम करने का भी कार्य करते हैं।

बेहतर पाचक

लोबिया के फाइबर और प्रोटीन भोज्य पदार्थों को जल्द से जल्द पचाने में सहायक होते हैं। पाचन ठीक करने के अलावा लोबिया के फाइबर पेट से जुड़ी अनेक समस्याओं को दूर रखने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

स्वस्थ त्वचा

लोबिया के सेवन से शरीर की शुष्क त्वचा में निखार तो आता ही है साथ में यह त्वचा की बाह्य मृत कोशिकाओं को शरीर से दूर करने में मदद करती है और त्वचा से जहरीले टॉक्सिन्स को भी फेंक निकालने में मददगार होती है। इसकी फलियों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए और सी की उपस्थिति इस मायने से बेहद ख़ास होती है।

अरहर के गुण

दाल के रूप में उपयोग में लिए जाने वाली सभी दलहनों में अरहर का प्रमुख स्थान है। अरहर के कच्चे दानों को उबालकर पर्याप्त पानी में छौंककर स्वादिष्ट सब्जी भी बनाई जाती है। अरहर की हरी-हरी फलियों में से दाने निकालकर उन्हें तवे पर भूनकर भी खाते हैं।

माईग्रेन

अरहर के पत्तों तथा दूब (दूर्वा घास) का रस समान मात्रा में तैयार कर नाक में डालने से माईग्रेन में लाभ होता है।

नशा उतारने के लिए

भांग का नशा उतारने के लिए आदिवासी अरहर की कच्ची दाल को पानी में पीसकर नशे से परेशान पिलाते हैं जिससे नशा उतर जाता है।

ज्यादा पसीना आना

जिन लोगों में ज्यादा पसीना आने की शिकायत होती है उन्हें एक मुठ्ठी अरहर की दाल, एक चम्मच नमक और आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ लेकर सरसों के तेल से छौंकना चाहिए और इसे शरीर पर मालिश करनी चाहिए। इससे इस समस्या से निदान मिल जाता है।

घावों में

डाँग- गुजरात के आदिवासी अरहर के कोमल पत्ते पीसकर घाव पर लगाते हैं, इनके अनुसार ऐसा करने से घाव जल्दी सूखने लगते हैं और पकते भी नहीं है।

दांत दर्द

जिन्हें दांत दर्द की शिकायत हो, उन्हे अरहर के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करना चाहिए, ऐसा करने से पीड़ा खत्म होती है।

मुंह के छाले

अरहर की दाल छिलको सहित पानी में भिगोकर रख देते हैं। पानी से कुल्ले करने पर मुंह के छाले ठीक होने का दावा करते है। अरहर की ताजी हरी पत्तियों को चबाने से भी आराम मिलता है।

दूध स्रावण की समस्या

अरहर के पत्तों और दालों को एक साथ पीसकर हल्का सा गर्म करके प्रसव पश्चात महिला के स्तनों पर लगाते है, जिससे अधिक मात्रा में दूध का स्रावण हो रहा है तो वह सामान्य हो जाता है। अरहर के पौधे की कोमल डंडियां, पत्ते आदि दूध देने वाले पशुओं को खिलाते हैं जिससे वे अधिक दूध देते हैं।

   

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