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सबसे बढ़िया दवाखाना आपकी अपनी रसोई

डॉ दीपक आचार्य | Apr 04, 2017, 11:14 IST
देसी दवाखाना
आदिवासियों के हर्बल ज्ञान की बात करूं तो दावे के साथ कह सकता हूं कि इनके बताए फार्मूले काफी तेजी के साथ असर करते हैं। शब्दों के जरिए तैरता हुआ इनका पारंपरिक ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता रहा है। आदिवासी हर्बल जानकार अपने आस-पास पाई जाने वाली वनस्पतियों से ही साधारण से साधारण और खतरनाक से खतरनाक रोगों को मिटाने तक का दावा करते हैं।

मजे की बात ये भी है कि इनके बताए काफी सारे फार्मूलों में ऐसी जड़ी-बूटियां उपयोग में लाई जाती है जो हमारे घर-आंगन या हमारी रसोई में पाई जाती है। इस सप्ताह ऐसी ही कुछ चुनिंदा वनस्पतियों की जानकारी जो आपकी रसोई में ही उपलब्ध होती है और आप इन्हें किसी भी वक्त इस्तमाल में ला सकते हैं। अब जरूरी थोड़े कि छोटी-छोटी सेहर समस्याओं के लिए डॉक्टर साहब का दरवाजा खटखटाया जाए,आपकी रसोई भी किसी दवाखाने से कम थोड़े।

तुलसी

आदिवासी अंचलों मे पानी की शुद्धता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते हैं और कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है। कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फिर यह पीने योग्य हो जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा रोगों में लाभ होता है।

किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित ६ माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है। जिन्हें अनिद्रा की शिकायत हो, रात को सोने से पहले 8-10 तुलसी की पत्तियों को चबाकर सोएं साथ ही सिराहने के पास कुछ पत्तियों को रख दें, बेहतर नींद आएगी। दिल की बीमारी में तुलसी एक वरदान साबित होती है क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है। इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाएं और रात को चेहरे पर लगाएं तो झाईयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है। फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा,सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।

धनिया

आमतौर पर सब्जियों में मसाले और सुगंध के लिए इस्तेमाल होने वाले धनिया की खेती भारत के हर हिस्से में होती है। हरे ताजे धनिया की पत्तियां लगभग 20 ग्राम और उसमें चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें। इस रस की दो बूंदे नाक के छिद्रों में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का-हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून, जिसे नकसीर भी कहा जाता है, तुरंत बंद हो जाता है।

थोड़ा सा धनिया दाना कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा करके मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें और इसकी दो बूंदे आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं। धनिया महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यदि मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग 6 ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पीएं, फायदा होगा। धनिए को मधुमेह नाशी भी माना जाता है, इसके सेवन से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। धनिए के जूस में हल्दी का चूर्ण मिलाकर चेहरे पर लगाएं, इससे मुहांसों की समस्या दूर होती है और यह ब्लैकहेड्स को भी हटाता है।

प्याज

रसोई में अगर प्याज न हो तो रसोई अधूरी होती है। प्याज एक अत्यंत गुणकारी पौधा है। प्याज के बीजों को सिरका में पीसकर लगाने से दाद-खाज और खुजली में अतिशीघ्र आराम मिलता है। प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से आमवात, जोड़ दर्द में आराम मिलता है। वृद्धों और बच्चों को ज्यादा कफ हो जाने की दशा में प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चटाने से फायदा मिलता है। गर्मियों में माथे पर दर्द होने से प्याज के सफेद कंद को तोड़कर सूंघना चाहिए तथा चंदन में कपूर घिसकर कपाल पर लगाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है।

लहसुन

आदिवासी अंचलों में इसे वात और हृदयरोग के लिए अत्यंत उपयोगी माना जाता है। सूखे लहसुन की 15 कलियां, 1/2 लीटर दूध और 4 लीटर पानी को एक साथ उबालकर थोड़ा औटाया जाता है और इस पाक को वात और हृदय रोग से ग्रसित रोगियों को दिया जाता है, आराम मिल जाता है। जिन्हें जोड़ो का दर्द, आमवात जैसी शिकायतें हो, लहसुन की कच्ची कलियां चबाना उनके लिए बेहद फायदेमंद होता है।

सरसों के तेल में लहसुन को भून लें और इस तेल से जोड़ दर्द होने पर मालिश करें, दर्द में आराम मिलता है। बच्चों को पेट में कृमि (कीड़े) की शिकायत हो तो लहसुन की कच्ची कलियों का 20-30 बूंद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं। जिन्हें उच्च-रक्तचाप की शिकायत हो उन्हें प्रतिदिन सुबह लहसुन की कच्ची कली चबाना चाहिए।

नमक और लहसुन का सीधा सेवन रक्त शुद्ध करता है, जिन्हें रक्त में प्लेटलेट्स की कमी होती है उन्हे भी नमक और लहसुन की समान मात्रा सेवन में लेनी चाहिए। दुनियाभर के वैज्ञानिक लहसुन के एंटीबॉयोटिक गुणों का बखान करते थकते नहीं, वायरल या बैक्टिरियल संक्रमण होने पर लहसुन का उपयोग काफी फायदा करता है।

टमाटर

टमाटर का उपयोग हर भारतीय किचन में सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। इसे सलाद, चटनी, सूप और अन्य कई प्रमुख व्यंजनों में उपयोग में लाया जाता है। टमाटर में पाए जाने वाले विटामिन्स की खासियत यह है कि ये गर्म करने से खत्म नहीं होते हैं। यह संतरा और अंगूर से ज्यादा लाभदायक होता है। जिन लोगों को रक्त-अल्पता की शिकायत है उन्हें एक गिलास टमाटर का रस पिलाया जाए तो रक्तहीनता दूर होकर खून की वृद्धि होती है।

कम वजन वाले लोग यदि भोजन के साथ पक्के टमाटर खाएं तो उनका वजन बढ़ने लगता है। लाल टमाटर पर सेंधानमक और अदरक डालकर खाने से एपेंडिक्स साइटिस में लाभ मिलता है। अगर चेहरे पर काले दाग या धब्बे हों तो टमाटर के रस में रुई भिगोकर लगाने से काले धब्बे खत्म हो जाते हैं।

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