खराब जीवनशैली से बढ़ता है स्तन कैंसर का खतरा, ये वनस्पतियां हैं फायदेमंद

स्तन कैंसर के कुछ लक्षणों में स्तन या बगल में गांठ बन जाना, स्तन के निप्पल से खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी धब्बे पड़ना, स्तन में दर्द होना, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना आदि प्रमुख हैं। जागरूकता की कमी और रोग की पहचान में देरी के चलते उपचार में कठिनाई भी आती है।

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खराब जीवनशैली से बढ़ता है स्तन कैंसर का खतरा, ये वनस्पतियां हैं फायदेमंदस्तन कैंसर से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी।

लखनऊ। स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाले बड़ा कैंसर है। जागरूकता की कमी, संकोच व देर से पहचान इस बीमारी को जानलेवा बना देती है। एक शोध की रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई है कि 2020 तक हर साल करीब 76,000 भारतीय महिलाओं की मौत हो सकती है।

डीएनए में अचानक से होने वाले बदलावों के कारण सामान्य स्तन कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है। स्तन कैंसर में इस रोग के ऊतक या टिश्यू स्तन के अंदर विकसित होते हैं। इस रोग के होने के पीछे जो कारक हैं, उनमें प्रमुख हैं- जीन की बनावट, पर्यावरण और दोषपूर्ण जीवनशैली।

भारत में महिलाओं में कैंसर के मामलों में 27 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के हैं। लखनऊ की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा जायसवाल बताती हैं, "स्तन कैंसर का खतरा महिलाओं में 30 वर्ष के बाद बढ़ जाता है, जो आगे चलकर 50 से 64 वर्ष की उम्र में भी हो सकती है। आंकड़ों के मुताबिक, 28 में से किसी एक महिला को जीवनकाल में कभी न कभी स्तन कैंसर होने का अंदेशा रहता है।"


मुंबई के कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ सुमित शाह बताते हैं, "पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में स्तन कैंसर के मामले कम हैं लेकिन तुलनात्मक रुप से इसके कारण होने वाली मौत का आंकड़ा ज्यादा है।'' वह इसकी वजह जागरुकता की कमी बताते हैं।

अक्टूबर महीने को अंतरराष्ट्रीय स्तन कैंसर जागरुकता माह के रुप में मनाया जाता है। भारत में स्तन कैंसर की सबसे ज्यादा शिकार कम उम्र की महिलाएं बन रही हैं। यह भारतीय महिलाओं में सबसे तेजी से फैलने वाला कैंसर भी है।

ये भी पढ़ें:हर्बल आचार्य: स्तन कैंसर से बचना है तो खूब खाएं पत्ते वाली गोभी और लाल अंगूर

लक्षण

स्तन कैंसर के कुछ लक्षणों में स्तन या बगल में गांठ बन जाना, स्तन के निप्पल से खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी धब्बे पड़ना, स्तन में दर्द होना, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना आदि प्रमुख हैं। जागरूकता की कमी और रोग की पहचान में देरी के चलते उपचार में कठिनाई भी आती है।

क्या कहते हैं आंकड़ें

2015 में जारी शोध 'ग्लोबल बर्डन ऑफ कैंसर 2013' के मुताबिक पूरे विश्व में महिलाओं में अन्य प्रकार के कैंसरों के मुकाबले स्तन कैंसर कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहा है। इस शोध के मुताबिक साल 2013 में दुनियाभर में महिलाओं में स्तन कैंसर के 18 लाख नए मामले सामने आए थे, यह किसी भी अन्य प्रकार के कैंसर के नए मामलों के मुकाबले काफी ज्यादा है। उसी साल इसकी चपेट में आकर 4,64,000 महिलाओं की मौत हुई थी।

ऐसे करें बचाव

  • जीवनशैली में भी कुछ बदलाव किए जाएं तो इस रोग की आशंका कम की जा सकती है।
  • उच्च जोखिम वाली महिलाओं को हर साल एमआरआई और मैमोग्राम कराना चाहिए।
  • धूम्रपान और स्तन कैंसर के बीच एक संबंध है, इसलिए, यह आदत छोड़ने में ही भलाई है।
  • अधिक वजन या मोटापे से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। रोजाना लगभग 30 मिनट व्यायाम अवश्य करें।
  • फलों और सब्जियों से समृद्ध, संपूर्ण अनाज और कम वसा वाला आहार लें।
  • यह प्रतिरक्षा को कमजोर करता है और शरीर के रक्षा तंत्र को बिगाड़ता है। योग अभ्यास, गहरी सांस लेने और व्यायाम करने से लाभ होता है।

स्तनपान कराने से स्तन कैंसर की रोकथाम

हार्मोन थेरेपी की अवधि तीन से पांच साल तक होने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आप कितना हारमोन लेते हैं इसकी निगरानी डाक्टर खुद करे तो बेहतर होगा। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं की स्क्रीनिंग आवश्यक रूप से की जाए। 45 वर्ष से 54 वर्ष की महिलाओं को हर साल एक बार स्क्रीनिंग मैमोग्राम करा लेना चाहिए। 55 वर्ष या अधिक उम्र की महिलाओं को सालाना स्क्रीनिंग करानी चाहिए।

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ये वनस्पतियां हैं कारगर

महिलाओं में स्तन कैंसर जैसी घातक बीमारी से निपटने के लिए इन आठ वनस्पतियों को अतिमहत्वपूर्ण माना जाता है। इन आठ वनस्पतियों और इनमें पाए जाने वाले रसायनों पर औषधि विज्ञान जगत में जबरदस्त शोध जारी है। इनके बारे में बता रहे हें हमारे हर्बल एक्सपर्ट दीपक आचार्य बता रहे हैं, चलिए जानते हैं इन्ही आठ वनस्पतियों के बारे में और जानते हैं कि आखिर क्या कहती हैं आधुनिक शोध और किस तरह महिलाओं में स्तन कैंसर रोकथाम या उपचार में कारगर साबित हो सकती हैं ये वनस्पतियां-

पत्ता गोभी: इंडोल-३-कार्बिनोल नामक रसायन पत्ता गोभी में प्रचूरता से पाया जाता है और आधुनिक शोधों से जानकारी मिलती है कि यह रसायन स्तन कैंसर होने की संभावनाओं को काफी हद तक कम करता है।

लाल अनार: प्रयोगशालाओं से प्राप्त क्लिनिकल परिणामों पर नजर डाली जाए तो जानकारी मिलती है कि अनार के दानों में एरोमाटेज नामक एंजाईम की क्रियाशीलता को कम करने का गुण होता है। दर असल एरोमाटेज एंजाईम एंड्रोजन को एस्ट्रोजन में बदलने का कार्य करता है जिससे अक्सर महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावनांए बढ जाती है।

चुकंदर: लाल चुकंदर का काढा मल्टी-ओर्गन ट्युमर्स की वृद्धि रोकने में अतिकारगर है और अब वैज्ञानिक इसके काढे या जूस को अन्य कैंसर औषधियों के साथ उपयोग में लाने के प्रयास कर रहे हैं ताकि कैंसर दवाओं के साईड इफेक्ट को कम करने में भी मदद मिले।

चुकंदर फायदेमंद

लाल मूली: लाल मूली में एंटीओक्सिडेंट्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो कि स्तन कैंसर की कोशिकाओं को फैलने से रोकती है। जापान के वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक क्लिनिकल प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला कि लाल मूली चूहों में स्तन कैंसर होने की घटनाओं को कम करती है।

गाजर: संतरे की तरह गाजर में भी जबरदस्त मात्रा में बीटा कैरोटीन नामक रसायन पाए जाते हैं जिनमें जबरदस्त एंटीओक्सिडेंट गुण होते है और स्तन कैंसर नियंत्रण के लिए यह अत्यंत कारगर है।

सेब: जिस सेव पर लाल और गुलाबी रंग दिखाई दे, मान लीजिए कि इसमें एन्थोसायनिन्स और क्वेरसेटिन (एक तरह का फ़्लेवेनोल) नामक रसायन प्रचुर है और प्रयोगशालाओं के परिणामों की मानी जाए तो यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में काफी सक्षम हैं।

शकरकंद: ये भी एंटिओक्सिडेंट्स की खदान माने जाते हैं और इसके छिलकों में बीटा कैरोटीन भी जबरदस्त पाया जाता है। एक शोध के परिणामों के अनुसार यदि रोज शकरकंद खाया जाए तो महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावनांए 25% कम हो जाती है। जापानी वैज्ञानिकों के एक अध्धयन के अनुसार शकरकंद का जूस स्तन कैंसर होने पर कैंसर कोशिकाओं की वृद्दि रोकता है और नयी कैंसर कोशिकाओ के बनने के क्रम को रोकता है।

लाल अंगूर: लाल और बड़े आकार के अंगूरों के छिलकों में एंटीओक्सिडेंट गुणों की भरमार होती है। इसकी प्रामाणिकता भी विज्ञान ने कर चुका है कि यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्दि को प्रभावित कर कम कर देता है।

लाल अंगूर है फायदेमंद।

कैंसर से बचने के लिए क्या करें ये जानने के लिए ये वीडियो देखें

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