छोटे छोटे देसी नुस्खे आपके शरीर में ऊर्जा बनाए रखते हैं 

कोरोना से लड़ रही पूरी दुनिया में इम्युनिटी सबसे बड़ी दवा बनकर उभरी है। शरीर की अंदरूनी ताकत इस वायरस से अच्छे से निपट रही है। अगर को लगता है आपकी इम्युनिटी कमजोर है या फिर आपके शरीर में ऊर्जा की कमी हो रही है तो आप इन देसी नुस्खों को अपना सकते हैं..

Deepak AcharyaDeepak Acharya   2 Aug 2020 7:42 AM GMT

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छोटे छोटे देसी नुस्खे आपके शरीर में ऊर्जा बनाए रखते हैं भोजन और जीवनशैली में वनस्पतियों का बेजा इस्तमाल होता है ।

वनांचलों में वनवासियों की जीवनचर्या बेहत नियमित होती है, साथ ही इनके भोजन और जीवनशैली में वनस्पतियों का बेजा इस्तमाल होता है और शायद यही वजह है जिससे वनवासियों की औसत आयु आम शहरी लोगों से ज्यादा होती है। हम शहरी लोगों के भागदौड़ भरे जीवन में सेहत की देखभाल लगभग एक किनारे पर ही होती हैं।

लगातार कंप्यूटर पर बैठे रहना, खानपान के समय में अनियमितता और तनाव भरा जीवन मानसिक और शारीरिक तौर से थका देता है। सेहत की देखभाल करने के लिए के लिए किसी भी नुस्खों के इस्तमाल से पहले अपनी जीवनचर्या को व्यवस्थित करना जरूरी है। किसी भी औषधि का असर तब होता है जब आप अपनी मदद स्वयं करते हैं। दिनभर की भागादौड़ी के बीच कुछ पल अपने शरीर के देखभाल के लिए दिया जाना जरूरी है। इस सप्ताह हम आपको कुछ ऐसे नुस्खे बताने जा रहें हैं जिनका इस्तमाल कर आप भी शरीर की थकान और तनाव को दूर तो कर ही सकते हैं साथ ही नियमित जीवनशैली अपनाकर स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं।

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पातालकोट जैसे दूरगामी वनवासी अंचलों में प्रो-बायोटिक आहार "पेजा" दैनिक आहार के रूप में सदियों से अपनाया जाता रहा है और इसका भरपूर सेवन भी किया जाता है। पेजा एक ऐसा व्यंजन है जो चावल, छाछ, बारली (जौ), निंबू और कुटकी को मिलाकर बनाया जाता है। वनवासी हर्बल जानकार इस आहार को कमजोरी, थकान और बुखार आने पर अक्सर रोगियों को देते हैं। पके हुए चावल, जौ और कुटकी को एक मिट्टी के बर्तन में डाल दिया जाता है और इसमें छाछ मिला दी जाती है जिससे कि यह पेस्ट की तरह गाढ़ा बन जाए। इस पूरे मिश्रण पर स्वादानुसार नींबू का रस और नमक मिलाकर अंधेरे कमरे में रख दिया जाता है। दो दिनों के बाद इसे फेंटकर एक खास व्यंजन यानि पेजा तैयार हो जाता है। भोजन के वक्त एक कटोरी पेजा का सेवन जरूरी माना जाता है और ये बेहद स्वादिष्ट भी होता है।

पीपल के पेड़ से निकलने वाली गोंद को सेहत के लिए उत्तम माना जाता है। मिश्री या शक्कर के साथ पीपल की करीब १ ग्राम गोंद मात्रा लेने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और यह थकान मिटाने के लिए एक कारगर नुस्खा माना जाता है। प्रतिदिन इसका सेवन करते रहने से बुजुर्गों की सेहत भी बनी रहती है।

लटजीरा के संपूर्ण पौधे के रस (४ मिली प्रतिदिन) का सेवन तनाव, थकान और चिढ़चिढ़ापन दूर करता है साथ ही इसकी वजह से नींद नहीं आने की समस्या में भी राहत मिलती है। सेवन करने से निश्चित फायदा मिलता है।



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पातालकोट घाटी के वनवासी हर्बल जानकार घर से निकलने से पहले अक्सर कच्चे चावल की करीब ४ ग्राम मात्रा का सेवन करते हैं। माना जाता है कि यह थकान कम करने में मददगार होता है। इनके अनुसार ज्यादा प्यास लगने से रोकने के लिए कच्चे चावल के दाने चबाने चाहिये। मधुमेह के रोगियों को बार-बार प्यास लगने की समस्या का निवारण इसी फ़ार्मुले से किया जा सकता है। वैसे जब भी आप पहाड़ों या लंबी पगडंडियों पर सैर सपाटों के लिए जाएं, तो इस फार्मुले को जरूर अपनाएं, प्यास कम लगेगी और थकान भी कम होगी।
शरीर में अक्सर होने वाली थकान, ज्यादा पसीना आना और कमजोरी दूर करने के लिए वनवासी टमाटर के साथ फराशबीन को उबालकर सूप तैयार करते हैं और दिन में दो बार चार दिनों तक देते हैं, माना जाता है कि यह सूप शक्तिवर्धक होता है।
ग्रामीण इलाकों में जी मचलना, थकान होना या चिंतित और तनावग्रस्त व्यक्ति को कद्दू के बीजों को शक्कर के साथ मिलाकर खिलाया जाता है। कद्दू के करीब ५ ग्राम बीज और इतनी ही मात्रा में मिश्री या शक्कर की फांकी मारी जाए तो बेहद फायदा होता है।

आलू- बुखारे के सेवन से शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं, कब्जियत दूर होती है और पेट की बेहतर सफाई होती है। इन फलों में पाए जाने वाले फ़ाईबर्स और एंटी ऑक्सिडेंट्स की वजह से पाचन क्रिया ठीक तरह से होती है और शरीर की कोशिकाओं में मेटाबोलिज़्म की क्रिया सुचारू क्रम में होती है। इन फलों में सिट्रिक एसिड पाया जाता है जो कि थकान दूर करने में सहायक होता है और इसके सेवन से लीवर यानि यकृत तथा आंतो की क्रियाविधियां सुचारू रहती हैं अत: आलू-बुखारा खाने से शरीर में जमा अतिरिक्त वसा या ज्यादा वजन कम करने में मदद होती है और व्यक्ति शारीरिक तौर पर बेहद स्वस्थ महसूस करता है।

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वनवासियों के अनुसार दूब घास/ दूर्वा का प्रतिदिन सेवन शारीरिक स्फूर्ति प्रदान करता है और शरीर को थकान महसूस नहीं होती है। करीब १० ग्राम ताजी दूर्वा को एकत्र कर साफ धो लिया जाए और इसे एक गिलास पानी के साथ मिलाकर ग्राईंड कर लिया जाए और पी लिया जाए, यह शरीर में ताजगी का संचार लाने में मददगार होती है। वैसे आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी दूबघास एक शक्तिवर्द्धक औषधि है क्योंकि इसमें ग्लाइकोसाइड, अल्केलाइड, विटामिन `ए´ तथा विटामिन `सी´ की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।

शहद यदि दूध के साथ मिलाकर लिया जाए तो हृदय, दिमाग और पेट के लिये फ़ायदेमंद होता है। निंबू पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से ये शरीर को ऊर्जा और ठंडक प्रदान करता है। वनवासियों का मानना है कि यदि शहद का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो ये शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने में काफ़ी मदद करता है साथ ही शारिरिक ताकत को बनाए रखकर थकान दूर करता है।

हम जानते हैं कि आलू में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। कच्चे आलू को कुचलकर एक चम्मच रस तैयार किया जाए और इसे दिन में कम से कम चार बार लिया जाए। वनवासी हर्बल जानकारों के अनुसार आलू का रस रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता शरीर को मिल जाती है। आलू की मदद से कमजोरी, थकान और ऊर्जा की कमी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उबले आलूओं का सेवन भी थकान दूर भगाने में बेहद कारगर होता है।
पातालकोट के वनवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते है, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।
गुजरात के वनवासी तरबूज के छिलकों की आंतरिक सतह को काटकर वनवासी इनका मुरब्बा तैयार करते हैं, माना जाता है कि यह बेहद शक्तिवर्धक होता है। कुछ इलाकों में लोग इसके छिलकों को बारीक काटकर सुखा लेते हैं और चूर्ण तैयार कर लिया जाता है। माना जाता है कि इस चूर्ण की आधी चम्मच मात्रा प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेने से शरीर में ताकत का संचार होता है और कई तरह की व्याधियों में राहत भी मिलती है, कुलमिलाकर ये पूर्ण रूप से सेहत दुरुस्ती के लिए कारगर होता है।

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शतावरी की जड़ों मे सेपोनिन्स और डायोसजेनिन जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते है। इसके पत्तों का सत्व कैंसर में उपयोगी है। पत्तों का रस (लगभग २ चम्मच) दूध में मिलाकर दिन में दो बार लिया जाए तो यह शक्तिवर्धक होता है। शतावरी की जड़ों का चूर्ण (४ ग्राम) शक्कर के साथ या पानी में घोलकर लिया जाए तो शरीर से थकान दूर भगाने में मदद मिलती है।

कमरख जिसे स्टार फ्रूट के नाम से भी जाना जाता है, स्वाद में इसके फल काफी खट्टे होते है और ज्यादा पक जाने पर इनमें थोड़ी मिठास भी आ जाती है। वनवासियों के अनुसार इसके फलों का सेवन शरीर में बेहद ऊर्जा का संचार करता है और हमें शक्तिवर्धक बनाता है।

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