ठंड में ऐसे रखें सेहत का खास ख्याल

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ठंड में ऐसे रखें सेहत का खास ख्यालफोटो साभार: इंटरनेट

मेरा हमेशा से मानना है कि सुदूर अंचलों में बसे आदिवासियों के हजारों साल पुराने परंपरागत हर्बल ज्ञान को अपनाकर हम हर मौसम में अपनी सेहत की देखभाल भलिभांति कर सकते है। ठंड सर-चढकर बोल रही है और इस घोर ठंड में सर्दी, खांसी, पैरों में बिवाई पड़ आने जैसी साधारण समस्याओं के अलावा दमा जैसी भयावह समस्याएं भी आम तौर देखने में आती है।

अल्प अवधि में इलाज के लिए हमारे चिकित्सक भारी एंटीबायोटिक्स इलाज के तौर पर दे देते है, लेकिन इनके दुष्परिणामों का कोई जिक्र नहीं करता, अब समय आ गया है जब हम समस्याओं की जड़ों तक जाएं और देसी ज्ञान के असर को समझें, गाँव कनेक्शन में इस अंक में आप सभी पाठकों के लिए ठंड से जुड़े विकारों के लिए कुछ देसी आदिवासी उपाय बताने जा रहा हूं।

अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याएं

ठंड में अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फ़ायदा होता है। यदि बीजों को भूनकर एक सूती कपड़े मे लपेट लिया जाए और रात तकिये के नजदीक रखा जाए तो दमा, सर्दी, खांसी के रोगियों को रात को नींद में सांस लेने मे तकलीफ़ नही होती है। कफ को दूर करने के लिए अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है जिससे अस्थमा में अतिशीघ्र आराम मिलता है।

पातालकोट के आदिवासी टीबी के मरीजों को अडूसा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर 100 मिली रोज पीने की सलाह देते हैं, दरअसल अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है। इसी गुण के कारण इसे ब्रोंकाइटिस के इलाज का रामबाण माना जाता है। बाजार में बिकनेवाली अधिकतर कफ की आयुर्वेदिक दवाइयों में अडूसा का प्रयोग किया जाता है। मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख तैयार कर ली जाए और इसे पीस लिया जाए, इसमें अपने स्वाद के अनुसार सेंधा नमक डालकर दिन में 4 बार एक चम्मच फ़ांकी लेने से कुकर खांसी, कफ़ और सर्दी में आराम मिलता है।

डांग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार मक्का के दाने निकालने के बाद बचे मक्के को जलाकर राख कर लें और चुटकी भर राख को शहद के साथ मिलाकर दिन में २-3 बार लेने से काली खांसी दूर हो जाती है। हालांकि कुछ आदिवासी इसी फ़ार्मुले को दिल की कमजोरी दूर करने के लिए उपयोग में भी लाते है लेकिन यहां शहद के बजाए मख्खन का प्रयोग किया जाता है। नीलगिरी का तेल एक सूती कपड़े में लगा दिया जाए और सर्दी और खाँसी होने पर सूंघा जाए तो आराम मिलता है। गले में दर्द होने पर भी नीलगिरी के तेल का उपयोग किया जाता है। अस्थमा का दौरा पड़ने पर गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से लेना अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए अच्छा होता है।

हाथ, पैर और होंठों का फटना

गेंदा के पत्तों को मोम में गर्म करके ठंडा होने पर ठंड में बनी पैरों की बिवाई पर लगाने से आराम मिल जाता है, तालु चिकने हो जाते है। अनंतमूल की जड़ों का काढ़ा अथवा रस यदि होठों पर लगाया जाए तो फ़टे होंठ सामान्य हो जाते है, ठीक इसी तरह पैरों की बिवाईयों या त्वचा के किसी भी हिस्सें के कटे-फ़टे होने पर इसका लेपन काफी आराम दिलाता है। आदिवासियों के अनुसार, लगभग 20 ग्राम मोम लीजिए और लगभग इतनी ही मात्रा में गेंदे की ताजी बारीक-बारीक कटी हरी पत्तियां। दोनों को एक बर्तन में लेकर धीमी आंच पर गर्म कीजिए, कुछ देर में मोम पिघलने लगेगी और साथ ही पत्तियों का रस भी मोम के साथ घुल मिल जाएगा। जब मोम पूरी तरह से पिघल जाए, हल्का हल्का खौलने लगे, बर्तन को नीचे उतार दीजिए और ठंडा होने दीजिए। मोम को सोने से पहले पैरों की बिवाईयों पर लगाइए, दिन में भी इस मोम को लगाकर मोजे पहन लें, पैरों की बिवाईयों या कटे फ़टे हिस्से दो दिन में ठीक होने लगेंगे।

सर्दी और खांसी

लगभग दो कप पानी मे अदरख के छोटे-छोटे टुकड़े और कुछ पत्तियां इमली की ड़ालें और तब तक उबालें जब तक कि ये एक कप न रह जाये। इसमें 4 चम्मच शक्कर ड़ालकर धीमी आंच पर कुछ देर और उबालें, फिर ठंडा होने दिया जाए। ठंडा होने पर इसमें 10 बूंदे नींबू रस की डाल दी जाए, हर तीन घंटे में इस सिरप का एक बार सेवन करने से खांसी छू-मंतर हो जाती है।

  • अडूसा के पत्तों के रस (6 मिली) को शहद (4 मिली) में मिलाकर पीने से भी खांसी और गले की खराश से राहत मिलती है। सर्दी-खांसी के इलाज के लिए पातालकोट के करेयाम गाँव के आदिवासी बाजरे के आटे से तैयार रोटी बनाते हैं। इस रोटी को लहसुन, बैंगन और मेथी दाने की सब्जी के साथ खाते हैं। इनका मानना है कि ऐसा भोजन पेट में गरमी लाता है और इसका सीधा असर सर्दी और खांसी के सफ़ाये की तरह होता है।

बालों से जुड़ी समस्याएं

ठंड का मौसम है और ठंड में बालों की विशेष देखरेख जरूरी होती है और ठंड और कोहरा अक्सर बालों की समस्याओं को जन्म देता हैं। सिर में डेंड्रफ का होना, बालों का निरंतर झड़ना और आम बात होती है लेकिन कुछ हर्बल उपायों को अपनाकर हम इस समस्या का समाधान बखूबी निकाल सकते हैं।

  • मेथी के बीजों में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन होने से ये कॉड-लिवर ऑयल जैसे पोषक और बल प्रदान करने वाले होते हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बालों की बेहतर सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। लगभग 3 ग्राम चूर्ण लेकर इसमें पानी मिलाया जाए ताकि पेस्ट तैयार हो जाए। इस पेस्ट को बालों में लगाएं और आधा घंटे बाद धो लें, सप्ताह में 2 से 3 बार ऐसा करने से डेंड्रफ की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
  • डांगी आदिवासियों के अनुसार नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर सिर में मालिश करने से रूसी से छुटकारा मिलता है और बाल स्वस्थ और लंबे होते हैं।
  • चने का बेसन एक बड़े गिलास पानी में घोलकर लेप तैयार करें और बालों पर लगाएं, इसके बाद सिर को धो लें।
  • तिल के तेल को प्रतिदिन बालों में लगाने से बाल काले हो जाते है और इनका झड़ने का क्रम रुक जाता है साथ ही रूसी से भी छुटकारा मिल जाता है।
  • नारियल और जैतून के तेल की बराबर मात्रा लेकर इसमें कुछ बूंदे नींबू के रस की मिला ली जाएं और इससे बालों की मालिश लगभग 10 मिनट तक की जाए और गर्म तौलिए से सिर को 3 मिनट के लिए ढक लिया जाए बालों से जुड़ी समस्याओं में काफी फायदा करता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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